गुज़र चुके मौसम का
आख़िरी सुर्ख़ पत्ता
भूला रह गया है
कविता की किताब के बीच।
आख़िरी सुर्ख़ पत्ता
भूला रह गया है
कविता की किताब के बीच।
मैं ठिठकी रह गयी हूँ
वहीं
आधी कविता में।
वहीं
आधी कविता में।
***
उसने आँसुओं में घोल दीं
अपनी काली आँखें
उस स्याही से अलविदा लिखते हुए
सबकी ही उँगलियाँ काँपती थीं
उसने आँसुओं में घोल दीं
अपनी काली आँखें
उस स्याही से अलविदा लिखते हुए
सबकी ही उँगलियाँ काँपती थीं
***
नालायकों के हाथ बर्बाद हो जाना है
एक दिन सब कुछ ही
मुहब्बत। हिज्र। उदासी।
तुम अपना क़ीमती वक़्त
उनसे बचा कर रखो।
नालायकों के हाथ बर्बाद हो जाना है
एक दिन सब कुछ ही
मुहब्बत। हिज्र। उदासी।
तुम अपना क़ीमती वक़्त
उनसे बचा कर रखो।
***
मुहब्बत की बेवक़ूफ़ी का क्या कहें
महसूसती है जो होता नहीं कहीं
'अलविदा' में 'फिर मिलेंगे' की ख़ुशबू.
मुहब्बत की बेवक़ूफ़ी का क्या कहें
महसूसती है जो होता नहीं कहीं
'अलविदा' में 'फिर मिलेंगे' की ख़ुशबू.
***
ज़ख़्म नयी जगह देना
कि उसे देखते हुए
तुम्हारी याद आए
ज़ख़्म नयी जगह देना
कि उसे देखते हुए
तुम्हारी याद आए
दिल हज़ार बार टूटा है मेरा
तुम रूह चुनना
जानां
तुम रूह चुनना
जानां
***
It should hurt less.
You should love less.
It should hurt less.
You should love less.
***
किसी अनजानी भाषा की फ़िल्म है। दुखती है जैसे कि रूह ने कहे हों उससे जन्मपार के दुःख। वे दुःख जो मुझे मालूम भी नहीं थे, कि आँख में रहते हैं। हमेशा से। ट्रेलर रिपीट पर सुन रही हूँ।
किसी अनजानी भाषा की फ़िल्म है। दुखती है जैसे कि रूह ने कहे हों उससे जन्मपार के दुःख। वे दुःख जो मुझे मालूम भी नहीं थे, कि आँख में रहते हैं। हमेशा से। ट्रेलर रिपीट पर सुन रही हूँ।
आवाज़ अनजानी भाषा का एक शब्द है, मैं सुनती हूँ अपना पहचाना हुआ, 'सिनमॉन'। फिर से देखती हूँ ट्रेलर। और सही ही शब्द है। 'प्रेम के बिना'। मेरा नाम। 'सिनमॉन'।
Ana ने एक छोटे से बिल्ली के आकार वाले बटुए में सायनाइड की गोली रखी है। मेरे पास ठीक वैसा बटुआ है। ऐना खो गयी है। उसकी दोस्त कहती है, 'उन दिनों हमारे पास 'गुम जाने' के लिए कोई शब्द नहीं था। मेरे पास तुम्हारे खो जाने के लिए कोई शब्द कहाँ है।
उन सारे दोस्तों के खो जाने के लिए कोई शब्द कहाँ है। लेकिन मैं चाहती हूँ। लिखूँ कोई एक शब्द, जो कह सके, 'गुम हो गए लोग'। लेकिन मैं तुम्हें लिखने से डरती हूँ। मेरे लिखे किरदार सच हो जाते हैं।
मैंने जाने कितने दिन बाद पूछा किसी से आज शाम। 'मैं आपको चिट्ठियाँ लिख सकती हूँ?'।
टूटा हुआ दिल प्रेम करने की इजाज़त नहीं देता। कहानियाँ लिखने की भी नहीं। लेकिन फिर भी मुझे लगता है। तुम्हारे होने से ज़िंदगी थोड़ी ज़्यादा काइंड लगती। थोड़ी ज़्यादा बर्दाश्त करने लायक।
मोक्ष। लौट आओ। मैं तुमसे प्यार करती हूँ। लेकिन लौट आओ सिर्फ़ इसलिए कि मुझे अलविदा कहना है तुम्हें। प्रॉमिस। मैं तुम्हें रोकूँगी नहीं।
अपूर्व की कविता की तरह, लौट आओ कि अलविदा कह सकूँ, कि, 'तीन बार कहने में विदा, दो बार का वापस लौटना भी शामिल होता है'।
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