17 September, 2014

मेरा जिद्दी, बिगड़ैल, पागल हीरो

वो कॉपी के पन्नों में नहीं रहना चाहता. जिद्दी होता जा रहा है मेरी तरह. कहता है रोज रोज अलग अलग रंग की सियाही से लिखती हो...कभी गुलाबी, कभी फिरोजी, कभी पीला...मुझे हैलूसिनेशन होने लगे हैं. कमसे कम लिखते हुए तो एक जैसे मूड में लिखा करो. ये कागज़ के पन्ने हैं, तुम्हारे शहर का आसमान नहीं कि हर शाम बदल जाएँ. मैंने यूँ ही सर चढ़ा रखा है उसे. कहता है भले ही आते वक़्त सिर्फ मुस्कुराओ मुझे देख कर, लेकिन अगर आखिरी हर्फ़ के बाद वाले सिग्नेचर के पहले मुझे हग नहीं किया तो रूठ जाऊँगा...फिर हफ्ते भर तक दूसरे किरदारों के बारे में लिखते रहना...और सारी गलती तुम्हारी ही होगी.

बाबा रे उसके चोंचले दिन भर बढ़ते जा रहे हैं. कल कहने लगा कि मुझे सिगरेट नहीं सिगार चाहिए. विस्की फ्लेवर्ड. दिल तो किया चूल्हे में झोंक दूं उसे...कमबख्त. बड़ा आया सिगार पीने वाला. जब रचना शुरू किया था उसे तो कैसी मासूमियत से टुकुर टुकुर देखता था. जो बोलती थी सुनता था, जो पीने को देती थी पीता था...मगर जाने कब उसमें जान आने लगी और अब तो एकदम बिगडैल बच्चा हो गया है. तुनकमिजाज. सरफिरा. बाइक पंचर थी और कार में पेट्रोल कम तो सोचा पैदल ही ले आती हूँ, बगल में ही खोमचा है तो जनाब की फरमाइश कि वो भी जायेंगे खुद से ब्रांड पसंद करने वरना मैं सबसे सस्ता और घटिया सिगार ला दूँगी. एक वक़्त था कि बीड़ी पी के भी खुश रहता था और आज ये मिज़ाज कि ब्रैंड के बारे में फिनिकी हो रहे हैं जनाब.

तुम्हारा ऐसा टेस्ट कहाँ से डेवलप हुआ रे...तुमरे जान पहचान में तो कोई नहीं जानता कि सिगार नाम की कोई चीज़ भी होती है. सब दोस्त लोग तो छोटे शहर से आये हैं, उन्हें क्या मालूम कि सिगार क्या होता है, उसमें फ्लेवर्स कौन से होते हैं. तुमको मालूम भी है, एक सिगार १८० रुपये का आता है. इतने में अच्छी वाली सिगरेट का एक पूरा पैकेट आ जाता है, २० सिगरेट होती हैं उसमें. ऐसे ही सिगार पी पी के कड़वे हो जायेंगे होठ, फिर कौन लड़की किस करेगी तुमको. फिर तुम कहोगे कि तुम्हारे जैसी कोई लड़की रचें हम कि जिसको सिगार पीने का शौक़ हो. बाइक्स का शौक़ कम नहीं था कि ये नए फितूर पालने लगे हो. मेरे बॉयफ्रेंड से दूर रहो तुम. उसके सारे रईसों वाले शौक़ हैं. खुद तो साहबजादे लाटसाहब हैं, बड़ी ऐड एजेंसी में काम करते हैं, उनको पैसों की कोई दिक्कत नहीं है. मुझे हिंदी के गरीब लेखक के किरदार ऐसे शौक़ पालने लगे तब तो निकला मेरा खर्चा पानी. 

एक तो आजकल तुम्हारा दिमाग जाने कहाँ बौराया रहता है. मालूम कल रात को ब्रश करने के बाद नल बंद करना भूल गए थे तुम. बूंद बूँद पानी सपने में मेरे सर पर टपकता रहा. एक तो नींद गीली रही, ख्वाब गीले रहे, उसपर उनींदे लिखी कहानी गीले कागज़ से धुल गयी. तुमको जब मालूम है कि हम इंक पेन से लिखते हैं और अक्सर आधी नींद में लिखते हैं तो कमसे कम ढंग से नल बंद नहीं कर सकते थे तुम. मेरी ही गलती थी कि कागज़ से निकाल कर घर में धर दिया तुमको. ये सब करने के पहले शऊर सिखाना था तुम्हें. जाहिल ही रहोगे. घर को कबाड़खाना बना रखा है. न कलमें मिलती हैं न टिशु पेपर. कल तुम्हारी ही हिरोइन को रच रही थी कि लिपस्टिक जरा सा लाइन से बाहर हो गयी. अब मैं कितना भी खोज लूं, तुम्हारा धरा हुआ सामान कभी मेरे हाथ आया है जो कल आता. लाख मन करो कि मेरे सामान को हाथ मत लगाओ, तुमको समझ में ही नहीं आता है. लड़की का निचला होठ जरा ज्यादा पतला रह गया है और बायीं ओर को झुका हुआ. मानसिक रोगी लगती है एकदम. कितनी तो खूबसूरत मुस्कान सोची थी मैंने. एकदम स्माइल स्पेशियलिस्ट जैसे. दोनों गालों में गहरे डिम्पल. मगर तुम्हारी मनहूस किस्मत में यही बंदरिया लिखी थी तो मैं क्या करूँ. कहा है कि मेरे स्टडी से कमसे कम अलग रहा करो. इतना बड़ा घर है, कुछ काम धंधा ही सीख लो. कब से पेन्टिन्ग सिखाने की कोशिश कर रही हूँ तुम्हें लेकिन तुम हो कि ब्रश देखते खुराफात सूझती है. घर की सारी दीवारों में चीस चुके हो लेकिन एक काम की लकीर नहीं खींची है. बुरी आदत दुनिया भर की अपना लोगे, ढंग की चीज़ सीखने में तुम्हारा जान जाता है. 

चुप चाप से कोना पकड़ के बैठो और वो किताब रखी है मुराकामी की, काफ्का ऑन द शोर, उसको पढ़ो. अगले चैप्टर में तुम्हें मुराकामी को कोट करना है. बिना पढ़े लिखते खाली एक लाइन बोलोगे तो ऑथेंटिक नहीं लगेगा. खुद से पढ़ के देखो और सोचो कि कौन सी लाइन उस माहौल पर नैचुरली सूट करती है. बोलते वक़्त हड़बड़ाना नहीं, लड़की कहीं भाग के नहीं जा रही और बहुत इंटेलेक्चुअल भी है. कॉन्टेक्स्ट समझेगी. वैसे भी खूबसूरती नहीं है तो कमसेकम ऐसी चीज़ें तो होनी चाहिए कि तुम्हारे साथ अगले दस चैप्टर कुछ नया कर सके. बस इत्तनी मिन्नत है मेरे लाल, अपने साथ फुसला के उसे भी कागज़ से बाहर मत निकाल लाना. एक तुम्हारे होने से घर कम पागलखाना नहीं है जो तुम्हारी प्रेमिका के नखरे भी उठाऊं मैं. उसके आने का सिर्फ इतना मकसद है कि तुम्हारे थके हुए दिमाग और आँखों को कोई बदलाव मिले और तुम घड़ी घड़ी आइना में अपना चेहरा देखने से फुर्सत पाओ. यूँ भी इश्क एक काफी लम्बा चैप्टर है. तुम्हें किसी मुसीबत में फेंकने से पहले मैं तुम दोनों के नाम फूलों की वादी में एक डेट फिक्स कर देती हूँ. उससे तमीजदार लड़के की तरह पेश आना, समझे?  

2 comments:

  1. बिना पढ़े लिखते खाली एक लाइन बोलोगे तो ऑथेंटिक नहीं लगेगा. खुद से पढ़ के देखो और सोचो कि कौन सी लाइन उस माहौल पर नैचुरली सूट करती है. बोलते वक़्त हड़बड़ाना नहीं, लड़की कहीं भाग के नहीं जा रही और बहुत इंटेलेक्चुअल भी है. कॉन्टेक्स्ट समझेगी. वैसे भी खूबसूरती नहीं है तो कमसेकम ऐसी चीज़ें तो होनी चाहिए कि तुम्हारे साथ अगले दस चैप्टर कुछ नया कर सके.

    वाह क्या खूब बातचीत है अपने ही रचे हीरो के साथ।

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