18 February, 2013

राग बिछोह

तुम
किसी लैंड माईन की तरह
बिछे थे इंतज़ार में

आवाजें, शोर
सब याद नहीं
बस तुम्हारा नाम
जिस्म में चुभ गया है 
असंख्य टुकड़ों में 

जहाँ पर आई खरोंचे 
वहां झूठ लगाता है 
जलता हुआ टिंचर आयोडीन 
'शायद' का मरहम 
'अफ़सोस' की पट्टी 

सच छीलता है 
आत्मा की परतें
रिसता है, टपकता है
दर्द बहुत सारा

कुछ खतरनाक से टुकड़े
निकाले हैं डॉक्टर ने बड़ी मुश्किल से

इन टुकड़ों को पिघला कर
एक घड़ीसाज़ बना देता है मेरे लिए
एक अलार्म घड़ी
उसमें हमेशा तुमसे मिलने के मौसम दिखते हैं

प्रोबबिलिटी थ्योरी की तलाश
किसी ठुकराए आशिक ने की होगी 
सोचते हुए मैंने निशान लगा दिया है
एटलस में तुम्हारे शहर पर 

तुम्हारे होने का वहम 
वो खुशनुमा चीज़ है
जो बांधे रखती है मुझे 
इस काली मिटटी वाली ज़मीन से
वरना दिल को कौन रोकता 
कि वो हमेशा से एक तन्हा एस्ट्रोनोट है 
मार्स पर संभावनाएं खोजता हुआ

मुझे टोटली फिट डिक्लेयर कर के
भेज दिया गया दुनिया में वापस

ब्लास्ट में किरिच हुए दिल के साथ
या उसके बगैर बिलकुल आसान है जीना

सब कुछ मुमकिन है
सिर्फ नहीं लिखी जा सकती कविता

9 comments:

  1. बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति,आभार.

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  2. :)
    sab kuch mumkin hai........... bus nahin likhi ja sakti kavita
    vakai

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  3. तुम्हारे होने का वहम
    वो खुशनुमा चीज़ है
    जो बांधे रखती है मुझे
    इस काली मिटटी वाली ज़मीन से
    वरना दिल को कौन रोकता
    कि वो हमेशा से एक तन्हा एस्ट्रोनोट है
    मार्स पर संभावनाएं खोजता हुआ

    बहुत सुंदर ....

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  4. एक लैण्डमाइन इतने काम आ सकता है, सच कहा ऐसा तो प्रेमी ही कर सकता है।

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  5. पहली पंक्ति ही चीर कर रख देती है

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  6. प्रोबबिलिटी थ्योरी की तलाश
    किसी ठुकराए आशिक ने की होगी
    Awesome thought...

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  7. This comment has been removed by the author.

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  8. probability theory ki talash kisi thukraye ashik ne ki hogi
    zabardast

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