07 July, 2010

सपनो का अनजानी भाषाओँ का देश

इतना मुश्किल भी नहीं है
अभी इन्सान पर भरोसा करना

भाषिक आतताइयों के देश में
किसी साधारण उन्माद वाले दिन
वो नहीं करेंगे तुमसे बातें

मगर किसी अनजानी भाषा के देश में
भूखे नहीं मरोगे तुम
अहम् जिजीविषा से ज्यादा नहीं होता

इसी विश्वास से
बांधो यथार्थ और चलो
सपनों की तलाश में

कहीं मिलेगा खँडहर
नालंदा की जल चुकी किताबों में
हिमालय में कुछ पांडुलिपियाँ

इतिहास से निकलेगा
कोई रास्ता किसी देश का
एक मानचित्र सपनो का

आँख मूँद कर चल देना
सपनो का देश घूमने
लौट आना है जल्दी ही

ज्यादा दिन नहीं हैं जब मुश्किल होगा...इन्सान पर भरोसा करना 

18 comments:

  1. मगर किसी अनजानी भाषा के देश में
    भूखे नहीं मरोगे तुम
    अहम् जिजीविषा से ज्यादा नहीं होता

    सुन्दर...सकारात्मक सोच लिए ..अच्छी रचना

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  2. उलझा दी हर डोर, हमें जो बाँध रही थी,
    छिन्नित संस्कृति वहीं जहाँ से साध रही थी ।
    देखो फूहड़ता छितराकर बिखरायी है,
    निशा-शून्यता विहँस स्वयं पर इठलायी है ।

    जाओ इतिहासों के अब अध्याय खोज लो,
    नालंदा और तक्षशिला, पर्याय खोज लो ।
    सपनों और अपनों में झूल रहा जीवन है,
    आत्म-प्रेम के वैभव का उन्माद चरम है ।

    यदि ला पाना कहीं दूर से समाधान तुम,
    तब रच लेना मेरे जीवन का विधान तुम ।
    औरों की क्या कहें, स्वयं पर नहीं आस्था,
    विश्व भरेगा दंभ तुम्हारे हर प्रयास का ।

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  3. "अहम् जिजीविषा से ज्यादा नहीं होता"..शायद.....

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  4. अब भी वापसी की राह तकती हूँ
    कहीं से तो लौट के आओ जिंदगी

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  5. "सही बात लिखी है कि अहम जिजीविषा से महत्तवपूर्ण नहीं होता...."

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  6. मगर किसी अनजानी भाषा के देश में
    भूखे नहीं मरोगे तुम
    अहम् जिजीविषा से ज्यादा नहीं होता
    achchi hain ye panktiyaan.

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  7. कहीं मिलेगा खँडहर
    नालंदा की जल चुकी किताबों में
    हिमालय में कुछ पांडुलिपियाँ

    इतिहास से निकलेगा
    कोई रास्ता किसी देश का
    एक मानचित्र सपनो का

    आँख मूँद कर चल देना
    सपनो का देश घूमने
    लौट आना है जल्दी ही

    ज्यादा दिन नहीं हैं जब मुश्किल होगा...इन्सान पर भरोसा करना

    Kavita ka ye hissa bahut khoobsoorat hai....Ek natural writer lagti ho tum....kaafi dino se soch rahe hain poora blog chat karne ki ...abhi tak kar nahi paaye.....Ek ladki ka itna expressive hona bahut achcha laga.

    Be happy always.

    Priya

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  8. कविता का खूबसूरत यथार्थबोध इसे पढे जाने के देर बाद तक जेहन के सन्नाटों मे बजता रहता है..सपनों की कोई भाषा नही होती है..इसी लिये सपनों के बीच गूँगा रह पाना भी संभव नही होता..भाषा के भोजपत्रों मे दर्ज सारे शब्दों के झर जाने के बाद भी एक अनजाना, अनविष्कृत भाव अँखुआया सा रह जाता है मन के बंजर पठारों के बीच..एक विलम्बित सा सुर देर तक बजता रह जाता है..नल से बहते जल के गुंजन की तरह..जिसे कोई बंद करना भूल गया हो..मन के उस एकांत मे बहते जल को समेट पाने भर का कोई राग नही बना अब तक..उस अनहद से भाव को अभिव्यक्त कर पाने भर का कोई शब्द नही बना अब तक...सच!!..सपनों की कोई भाषा नही होती...न उस जमीन का कोई मानचित्र..जिस पर भटक जाना ही मंजिल को पा जाना होता है!!!

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  9. This comment has been removed by the author.

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  10. छोटी से कविता बहुत कुछः कहती है और बहुत कुछः सोचने को मजबूर करती है ...

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  11. charcha manch ka aabhar jo aapke blog tak le aaya ..

    इतना मुश्किल भी नहीं है
    अभी इन्सान पर भरोसा करना

    khoobsurat or haqiqattariin bhavo ko shabd diye hai aapne kavita apna prabhav choDta hai

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  12. Pooja ji....This is first time I visit your blog. After reading your blog I think I will have to come here again and again.

    " Itna muskil bhi nahin insaan par bharosa karna" reading these lines feels very nice.

    Really..you're very positive and optimistic. your blog is as beautiful as you are.

    In your profile you said you love playing with words...... Again this is showing your creative side. ..as you know It's only words and words to make anyone happy or cry, can take anybody's heart away or can break too.

    I wish you all the best.

    Thanks!

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  13. कविता बेहद आला दर्जे की है काश की मैंने लिखा होता... किसी कवी कह गया है के अंतर्गत... पर लगता है अंत जल्दी में समेटा गया है यहाँ से इसे और उत्कृष्टता प्रदान किया जा सकता था...

    भाषिक आतताइयों के देश में
    भाषिक आतताइयों के देश में
    किसी साधारण उन्माद वाले दिन
    वो नहीं करेंगे तुमसे बातें

    मगर किसी अनजानी भाषा के देश में
    भूखे नहीं मरोगे तुम
    अहम् जिजीविषा से ज्यादा नहीं होता

    सोचने को मजबूर करती हुई, सहेजने वाली कविता है..

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  14. 'मगर किसी अनजानी भाषा के देश में
    भूखे नहीं मरोगे तुम'

    i liked this usage so much. Well, there are some serious thoughts in this poem.

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  15. wah kya likhati ho aapke sabdo to jadu hai. wah maza aa gaya.

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