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१५ अगस्त का हमें साल भर बड़े बेसब्री से इंतज़ार रहता था...उस दिन स्कूल में परेड होती थी, और मैं अपनी बटालियन की कैप्टेन थी, झंडे को सलामी देना, सावधान,विश्राम...और जब प्रिसिपल चेकिंग करती थी, बिल्कुल स्थिर खड़े होना।
और सबसे बेहतरीन बात होती थी कि पापा हमेशा जलेबी ले के आते थे। तो हम जैसे ही घर पहुँचते सीधे किचन की तरफ़ भागते, और ठोंगा में जलेबी मिलता, इसके साथ सेव भी रहता था, जो तीता होता था इसलिए हम नहीं खाते थे।
इसके बाद शाम में हम घूमने जाते थे, और मैं और भाई सारे रस्ते गिनते रहते थे कि कितने झंडे देखे, जो झंडा मैंने देखा उसे वो नहीं गिन सकता था...इसलिए हम सारे टाइम ध्यान से देखते रहते थे कि किसने ज्यादा झंडे गिने। अब सोचती हूँ तो मुस्कुरा देती हूँ।
इसके अलावा कुछ और भी १५ अगस्त थे जब सुबह उठ कर तैयार हो जाते थे, मेरे पापा स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया में काम करते हैं...तो उसदिन सफेत शर्ट और पन्त पहन के जाते थे पापा, और हम भी उनके साथ। बैंक में झंडा फहरते देखना और फ़िर जलेबी, सेव और एक रसगुल्ला...वैसे हम जितना चाहे रसगुल्ला मिलता था। फ़िर आस पास के बच्चो में टाफी बाँटी जाती थी, उसके लिए बड़ी मारा मारी मचती थी। पापा या जो भी अंकल बांटते थे, कहते रहते थे कि झगडा मत करो ,सबको मिलेगा...पर नहीं
वापस जीप में आना भी एक सुखद सफर होता था, पापा के collegues, यानि बाकि अन्क्ले लोगो के बच्चे भी लगभग हमउम्र होने के कारण ,अच्छी दोस्ती थी सारे रास्ते हम देशभक्ति के गीत गाते आते थे...उस दिन मेरी बड़ी पूछ होती थी, एक तो अच्छा गाती थी और सबसे ज्यादा गाने भी मुझको याद रहते थे, वो भी पूरे पूरे।
घर में मम्मी हमेशा कुछ अच्छा बनती थी, पूडी और कोई बढ़िया सब्जी, खीर या सेवई वगैरह।
जब भी हॉल में फ़िल्म के पहले जन गण मन सुनती हूँ तो अनायास ही रोयें खड़े हो जाते हैं, कुछ तो है कि जब भी सुनती हूँ...अजीब सा फील होता है। और कुछ ऐसा ही आनंद मठ के वंदे मातरम को सुन के लगता है...
आज मैंने भी सफ़ेद सूट और केसरिया दुपट्टा ओढा है...
मोरा रंग दे बसंती चोला माई रंग दे....रंग दे बसंती चोला
और अंत में मेरा फवोरिते कुछ शेर
shaheedon ki चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले
वतन पे मरने वालों का यही बाकी निशां होगा
और कश्मीर के लिए
है लिए हथियार दुश्मन ताक में बैठा इधर
और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर
खून से खेलेंगे होली जब वतन मुश्किल में है
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है...