01 August, 2007

बोल बम


बोल बम का नारा है
बाबा एक सहारा है
बाबा नगरिया दूर बा
जाये के जरुर बा
सारा शहर बोल बम की ध्वनि से गूँज उठा है...सावन का पावन महीना और श्रद्धालुओं की भीड़। मन अनायास ही थोडा अच्छा अच्छा सा हो जाता है। इस नारे में बहुत शक्ति है...शुद्धता है...आस्था है...सारा शहर केसरिया हो गया है।
मंदिर गयी थी आज, और बहुत दिन बाद मन को शांति मिली, शायद इस भाव से की भोले बाबा मेरे साथ हैं और कोई भी हो ना हो। राम जी की तरह वो नहीं कहेंगे की कार्य पूरे होने में आशंका है। लगा कि भोले बाबा को मनाना आसान है, मान जायेंगे।
अगले साल सावन में मेरा मन है काँवर ले के आने का...देखें...ये सब तो भगवन की इच्छा पर होता है...बाबा बुलाएँगे तो आ जाऊंगी।

1 comment:

  1. :-)! kuchh puraani (aur exciting) yaaden taajaa ho gayeen. Hum 5 baar sultaangunj se devghar gaye hain paidal. Shradha/bhakti-bhao kaa kuchh pataa yaad nahi, lekin bahut exciting huaa kartaa thaa( chhote the hum uss samay, umr ke hisaab se). Pehli raat Rampur yaa Tarapur, fir shaayad Kumarsar waigarah waigarah hote huye 5-6 din mein Devghar. platic pe sona aur sadak ke kinaare khaanaa khaanaa, kuchh khaas suvidhaa nahi hoti thee, lekin fir bhi har saalaa jaanaa hotaa thaa. Pata nahi ab kyaa kuchh hotaa hai.

    ANyways! tum likhtin badhiyaa ho. Keep it up.

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