किसी से प्यार करने पर
हमेशा के लिए अधूरा हो जाना पड़ता है
नहीं वापस मिलता है बहुत कुछ...
अच्छी तरह कमरा बुहार कर आने के बाद भी
सब कुछ कहाँ वापस आ पाता है
छूट ही जाती हैं कुछ किताबें, और उनके पन्नो पर लिखा हुआ कुछ
किसी के नाम के सिवा, किसी रिश्ते के सिवा
हलक में अटक जाता है एक नाम
और सदियों हिचकियाँ आती रहती हैं
एक फिसलते अहसास को बाँधने की कोशिश करते हुए
हाथ कभी छूटता नहीं है छूट कर भी
जब भी आसमान रिसता है
यादों के गाँव में कुछ भी सूखा नहीं रहता
पलंग पर रखनी पड़ती हैं किताबें
और सोना पड़ता है गीले फर्श पर
चली जाती हैं आँखों की आधी चमक
मेह जाती है हँसी की खनखनाहट
उसको लिखते हुए ख़त्म हो जाती है
एक अधूरी जिंदगी, शब्द निशब्द
किसी से प्यार करने पर
बहुत कुछ साथ चले आता है उसका
होना हमेशा खुद से ज्यादा हो जाता है
(१२ जुलाई को अधूरी लिखी...आज दर्द में पूरी की...इसका अधूरापन कुछ जियादा ही साल रहा था)
सुबह से शक था तुम पर इधर आओगी...
ReplyDeleteतो रास्ता बदलकर कितना रह जाता है "The road was not taken"!!!!!
फिर हम कहाँ रहते हैं ? कहाँ के रहते हैं ?
"हलक में अटक जाता है एक नाम
ReplyDeleteऔर सदियों हिचकियाँ आती रहती हैं"
क्या अंदाज़े बयां है. खूबसूरत.
मैं कहना चाहती हूं....स्स्स्स्लालाला प्यारररररर
ReplyDeleteमैं कहना चाहती हूं....स्स्स्स्लालाला प्यारररररर
ReplyDeleteओर हम सोचे बैठे थे के वक़्त की इरेज़र से मिटा देगे.......पर ये तो हाइलाईट कर देता है कभी कभी...
ReplyDeleteप्रेम नहीं व्यापार-जगत,
ReplyDeleteइसमें देना ही देना है ।
हृदय-तरी, प्रियतम शोभित,
फिर बड़े यत्न से खेना है ।
सींच रहा मन-भावों से, मैं बीज प्रेम के बोता हूँ ।
फल बरसायें यज्ञ तुम्हे, आहुति बन प्रस्तुत होता हूँ ।।२।।
इसका अधूरापन कुछ जियादा ही साल रहा है!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और संवेदनशील!
ReplyDeleteकविता की टीस दिल दुखा रही है ..
ReplyDeleteमगर प्रेम में अगर पाने की आस हो तो ही अधूरापन लगता है ...प्रेम स्वतंत्र होने और करने का नाम है , अपने आप में सम्पूर्ण है ....
भावुक रचना ...
कई जिन्दगिया अधूरी ही छूट जाती है.. अब जो मुक्कम्मल है उसमे भी कुछ बाकी रह जाता है..
ReplyDeleteबड़े दिन बाद आना हुआ रे..
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteटीस जब भी सताती है
ReplyDeleteपन्नों पर उतर आती है
प्यार का पहला अक्षर ही अधूरा है
पर बिन दूजे के अधूरा है
बहुत सुंदर एहसास भर दिए हैं आपने अपनी कविता में जो सच्चे दर्द को बयान कर रहे हैं.
बधाई.
जब भी आसमान रिसता है
ReplyDeleteयादों के गाँव में कुछ भी सूखा नहीं रहता
पलंग पर रखनी पड़ती हैं किताबें
और सोना पड़ता है गीले फर्श पर
गजब ..........
चली जाती हैं आँखों की आधी चमक
ReplyDeleteमेह जाती है हँसी की खनखनाहट
उसको लिखते हुए ख़त्म हो जाती है
एक अधूरी जिंदगी, शब्द निशब्द
लाजवाब, शुभकामनाएं.
रामराम.
Puja ji..... Again it's all about love and love. It seems love is your favorite topic.
ReplyDeleteI believe in these lines.....
Love is like standing in the wet cement,
The longer you stay, the harder it is to leave.
Well.....your post is full of love emotions .
Congrats...............
behad umda...
ReplyDeleteI keep telling myself .. If ever I write hindi poetry.. I would want to be as good as you are !!
ReplyDeleteGreat soul ..