देर रात बस समंदर निहारा किये, लहरों का शोर...दूर दूर तक गहरा अँधेरा...लाईट हाउस से दिखती जलती बुझती लाईट...सच में लगा कि समंदर थकता क्यों नहीं है...जाने कब से लहरें आ रही हैं, जा रही हैं। जैसे कि किसी को रोकना चाहता है...पर रोक नहीं पाता है। इसलिए एक लहर आगे तो एक लहर पीछे लौटा लेता है।
रेत पर खेलना, दौड़ना, भागना...नाम लिखना मिटाना सब किया...सीपियाँ देखीं दूर दूर तक बिखरी हुयी...केकड़े भी देखे...डरते डरते पानी में गए।
खारा पानी अजीब होता है...और उसमें भी बालू...समंदर का पानी और चिलचिलाती धूप...रंग ऐसा माशा अल्लाह हो गया था कि क्या कहा जाए। ध्यान दिया तो पहले तो लगा कि कुछ लगा रह गया है...खुद को इतना काला पहले कभी नहीं देखा था ना...फिर realise हुआ कि ये अंग्रेजों का शौक़ है, और हम परेशान हो रहे हैं इसी टैन के लिए बेचारे कितने देर धूप में पड़े रहते हैं।
महाबलीपुरम में वैसे तो बहुत से मंदिर हैं, पत्थरों के बहुत सी शैली की मूर्तियाँ हैं...पर अगर बंगलोर से महाबलीपुरम जाने के लिए एक वजह चाहिए तो वो वजह होगी...सड़क...ऐसी खूबसूरत सड़क कि साढ़े तीन सौ किलोमीटर पता ही नहीं चले। इतना अच्छा रास्ता..और पूरे रास्ते खूबसूरत फूल और अच्छी बनी हुयी सड़क।
हम तो समंदर देखने और चिरकुटई करने गए थे...सो किये...ढेर सारा खरीद दारी भी। शंख सीप, क्या क्या उठा लाये। हमारा बस चलता तो जिस झोपड़ी में रह रहे थे उसी को उठा लाते, समंदर समेत...वो कहते हैं ना आसमान में सूराख हो सकता है टाईप। तेज़ गर्मी में लहकती हुयी बोगनविलिया की खूबसूरती को बयां करने के लिए शब्द नहीं है...गहरा गुलाबी रंग आँखों में काजल वाली ठंढक देता था।
सूरज उगा तो जैसे समंदर पिघला सोना बन गया...लहरें लेस की सुनहरी झालर...दूर दूर तक धुली हुयी रेत, जिसपर किसी के पैरों के निशान नहीं। इतना नाज़ुक था वो भोर का लम्हा कि लगे सांस लेने से टूट जाएगा...कैमरा क्लिक करना भूल जाएँ।
आखिर कुछ यादें बस आँखों में बसाने के लिए भी होती हैं।
ढेर सारी शुभकामनायें.
ReplyDeletenew to ur blog.. nd did I hit a jackpot?? .. great post.. nd most impressive are ur hindi poetry ..
ReplyDeletehoping to see u .. at my blog..
nd ur comments there in ..
पढ़ना तो बहुत बढ़िया लगा , साथ ही आपके द्वारा लगयें गयें फोटो और भी चाँद चाँद लगा रहे हैं ।
ReplyDeleteहमने तो कभी समन्दर देखा ही नहीं है.. अलबत्ता रेत के समन्दरो में ज़रूर गोते लगाये है.
ReplyDeleteअच्छा होता जो झुपड़िया ले ही आती.. खैर कोई नहीं..
वैसे टैन के इलाज के लिए अपने डाक्टर साहब है.. सुना है डरमेटोलोजिस्ट है.. कहो तो बात करू.. :)
अरे नहीं कुश, रहने दो...इसी बहाने दोनों एक रंग के दिख रहे हैं...कुछ दिन ही सही. :)
ReplyDeletenice
ReplyDelete:) ये मस्त था.. !
ReplyDeleteपूजा,,, क्या आपने दो समन्दर एक साथ देखे हैं ???
ReplyDeleteचिरकुटई पसंद आयी आपकी... और शब्द लहकना बेहद पसंद आया ...
ReplyDeleteये मिजाज भी पसंद आया टैन के बहाने दोनों का एक रंग का दिखना ...
अर्श
दिलचस्प संस्मरणात्मक विवरण
ReplyDeleteसागर की लहरों को लगातार आते हुये देखना कवि की कल्पनाओं को रह रह कर उकेरता रहा है । आपकी भी अभिव्यक्ति भी बलवती हो ।
ReplyDeleteचिरकुटई बेहद मोहक .........शुभकामना .
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति।
ReplyDeleteइसे 13.03.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/
कोई कहता है...
ReplyDeleteसैर कर दुनिया की गाफ़िल....
और कोई कहता है...
मैं हूँ और दिल-ए-नादान है,
क्या सफ़र है और क्या सामान है !
वैसे गुलज़ार सा'ब याद आते हैं हर सफ़र के वक्त, इसलिए ही तो मेरे आई पॉड में ठूँस ठूँस के भरे हैं....
आखिरकार फुर्सत को पकड ही लिया और लिखा डाली चंद बातें, चंद यादें। हम तो एक बार ही भागम भाग में समुद्र किनारे गए थे। आनंद ही नही ले पाए थे। खैर....
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ReplyDeleteजाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा है की तुम बातें बता भी गयी और ढेर सारी बात छुपा भी गयी. मसलन
ReplyDelete"तेज़ गर्मी में लहकती हुयी बोगनविलिया की खूबसूरती को बयां करने के लिए शब्द नहीं है.."
अब बताओ इसे शब्द तुम नहीं दोगी तो और कौन देगा ?
लिख के तो देखो तुम ऐसा कर सकती हो
... बहरहाल तुम्हारे आँखों देका हाल पढ़ कर हम भी सैर कर आये... पर देखना कहीं समंदर गिर ना पड़े ज़मीन पे....
महाबलीपुरम का समन्दर भी सुन्दर है ।
ReplyDeleteऐसा ही कुछ अनुभव था जब दो साल पहले गोवा गए थे...इसका ठीक उलट अनुभव था अभी कुछ दिन पहले मुंबई के जुहू बीच पर जाना! लहरों के साथ ढेर सारी बदबू और बार बार पैरों में लिपटती पौलिथिन...
ReplyDeleteचिरकुटई तो जबरदस्त रही......पर अच्छा किया जो झोपड़ी नहीं उठा लाईं....बेचारे गरीबों का क्या होता....और नहीं तो हम सब झोपड़ी में ही रहने जाएंगे...हा हा हा हा
ReplyDeleteरात के सन्नाटे मे समन्दर की आवाजे सुनी? कोई sea music सुनाती है वो..
ReplyDeleteटैन वाली बात पसन्द आयी :) ’वो’ ब्लाग पढता है तुम्हारा.. :P ..कुछ गालिया खाने का इन्तज़ाम तो तुमने कर लिया है :D