दरमयां
हमारे तुम्हारे...एक ख्वाब है...पलकों पर ठहरा हुआ
देखो ना, अरे...क्यों यूँ फूंक मार कर उड़ा रहे हो
क्या बच्चो की तरह इन पर यकीन करते हो
दरमयां
एक राज़ सा है...तुमसे छुपाया हुआ मैंने
इश्क के हद की गहराइयाँ भला बताते हैं किसी को
तो तुम्हें कैसे बता दूँ कितना प्यार है
दरमयां
कुछ शब्द हैं, कुछ कवितायें तुम्हारी
जो लिखते नहीं हो तुम और पढ़ती नहीं हूँ मैं
पर जानती हूँ मैं और ये जानते हो तुम
दरमयां
वक्त है, खामोशी है...हमारा होना है
फ़िर भी...दरमयां कुछ भी नहीं है...
क्योंकि होना तो हमेशा से है...और हम भी
वाह!! बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति!!
ReplyDeleteबहुत अच्छा लिखा है आपने । भावपूर्ण विचारों की कलात्मक अभिव्यक्ति सहज ही प्रभावित करती है । भाषा की सहजता और तथ्यों की प्रबलता से आपका शब्द संसार वैचारिक मंथन केलिए भी प्रेरित करता है।
ReplyDeleteमैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-शिवभक्ति और आस्था का प्रवाह है कांवड़ यात्रा-समय हो तो पढ़ें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
कुछ शब्द हैं, कुछ कवितायें तुम्हारी
ReplyDeleteजो लिखते नहीं हो तुम और पढ़ती नहीं हूँ मैं
पर जानती हूँ मैं और ये जानते हो तुम
bahut hi sunder ehsaas
दरमयां
ReplyDeleteएक राज़ सा है...तुमसे छुपाया हुआ मैंने
इश्क के हद की गहराइयाँ भला बताते हैं किसी को
तो तुम्हें कैसे बता दूँ कितना प्यार है
वाह। भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
दरमयां
ReplyDeleteकुछ शब्द हैं, कुछ कवितायें तुम्हारी
जो लिखते नहीं हो तुम और पढ़ती नहीं हूँ मैं
पर जानती हूँ मैं और ये जानते हो तुम
Bahut badhiya hai..
दरम्यान,
ReplyDeleteउनके और हमारे , कोई लकीर ,
खींची है शायद , की अक्सर ,
उस छोर पर वे , और इस पर हम होते हैं...
डाक्टर साहिबा..अंदाज दिलचस्प है,,और शैली कातिल..
वाह!
ReplyDeleteदरमयां
ReplyDeleteवक्त है, खामोशी है...हमारा होना है
फ़िर भी...दरमयां कुछ भी नहीं है...
क्योंकि होना तो हमेशा से है...और हम भी
बेहद नायाब रचना. शुभकामनाएं.
रामराम.
फिर से एक सुन्दर रचना बैशक कई दिनों के बाद।
ReplyDeleteदरमयां
कुछ शब्द हैं, कुछ कवितायें तुम्हारी
जो लिखते नहीं हो तुम और पढ़ती नहीं हूँ मैं
पर जानती हूँ मैं और ये जानते हो तुम
गहरी बात सुन्दर शब्द। बहुत ही उम्दा।
दरमयां ये इश्क और मोहब्बत की बातें ...हमें बहुत मीठी लगीं
ReplyDeleteदरमयां
ReplyDeleteएक राज़ सा है...तुमसे छुपाया हुआ मैंने
इश्क के हद की गहराइयाँ भला बताते हैं किसी को
तो तुम्हें कैसे बता दूँ कितना प्यार है
बहुत खूब पूजा जी....!
बेहद खूबसूरती के साथ लिखी रचना.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteयह द्वैत भाव कब खत्म होता है? दरमयां कब कुछ भी नहीं बचता?
ReplyDeleteएक राज़ सा है...तुमसे छुपाया हुआ मैंने
ReplyDeleteइश्क के हद की गहराइयाँ भला बताते हैं किसी को
तो तुम्हें कैसे बता दूँ कितना प्यार है.
बहुत खूबसूरत ,,, ऐसा लग रहा है जैसे आपके मेरे दिल के ज़ज्बात को शब्द दे दिए हो...
शुक्रिया
its really good to see you back again with these kind of things...darmiyan is a word which also fascinates me so many times....like here...
ReplyDeleteवो खामोशी
जिसे ना जाने कौन खीच लाता था
हम दोनों के दरमियाँ
आज सुबह मुंह अंधेरे
मेरे आँगन मे
ढेरों लफ्ज़ छोड़ गयी है
अपने हिस्से के मैंने समेट लिये है
तुम भी अपने हिस्से के उठा लो "सोनां
दरम्यां
ReplyDeleteमामा हैं , मामी है , रिश्ते हैं नाते हैं
फिर भी कुछ नहीं
दरम्यां
इन रिश्तों के
है भी नहीं भी
दरम्यां
यहाँ भी वहां भी
ये दरम्यां न होता जिंदगी में
तो क्या होता ?
पता नहीं क्यों आपको जब भी पढता हूँ अपना सा लगता है...
ReplyDeleteमुझे हेमंत कुमार जी बहुत पसंद हैं उनकी इस गीत के लिए थेंकु है जी.
बहुत बढ़िया.
ख्वाब और खामोशी के
ReplyDeleteशब्दों में कुछ राज है
गुजरे कल के फासलों
के दरम्यां कुछ आज है
बहुत ही उम्दा रचना बेहद खूबसूरत अंदाज में ....
पढ़ा और इक "आह" निकल रह गयी....
ReplyDeleteदरमयां
ReplyDeleteहमारे तुम्हारे...एक ख्वाब है...पलकों पर ठहरा हुआ
देखो ना, अरे...क्यों यूँ फूंक मार कर उड़ा रहे हो
क्या बच्चो की तरह इन पर यकीन करते हो
:) Very cute and serene lines.. An Awesome poem after ages though ..
शब्दों का बेहद खूबसूरत भावनाजाल.. आभार
ReplyDeleteशब्दों का बेहद खूबसूरत भावनाजाल.. आभार
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा है.. वाकई
ReplyDeletedarmiyan...
ReplyDeletetum mein kuch aur hum mein kuch, is kuch kuch mein simat gaya sabhi kuch !!
Umda likha hai !!
sundar.........
ReplyDeleteदरमियाँ होता है और भी बहुत कुछ्
ReplyDeleteजो सुन लिया जाता है बिना कहे
और होती हैं मुस्कुराहटें
छ जाती हैं जो होठों पर
ऐसा कुछ पढ़ कर