27 July, 2009

तुम जो गए हो...

तुम होते हो तो...
खूबसूरत लगती है, ट्रेन की खिड़की
बाहर दौड़ते खेत, पेड़, मकानों से उठता धुआं
डूबते हुए सूरज के साथ रंगा आसमान...

तुम होते हो तो...
कुतर के खाती हूँ, बिस्कुट, या कोई टॉफी
आइस क्रीम जाड़ों में भी अच्छी लगती है
मीठी होती है तुम्हारे साथ पी गई काफ़ी...

तुम होते हो तो...
खुशी से पहनती हूँ ४ इंच की हील
१० मिनट में तैयार हो जाती हूँ साड़ी में
भारी नहीं लगती दो दर्जन चूड़ियाँ हाथों में

तुम जो गए हो तो...
अँधेरा लगा एअरपोर्ट से घर तक का पूरा रास्ता
स्याह था आसमान पर उड़ते बादलों का झुंड
शुष्क थी बालों को उलझाती शाम की हवा

तुम जो गए हो तो...
फीका पड़ गया है डेयरी मिल्क का स्वाद
अधखुला पड़ा है बिस्कुट का पैकेट
बनी हुयी चाय कप में डाल के पीना भूल गई

तुम जो गए हो तो...
तह कर के रख दी हैं मैंने सारी साड़ियाँ
उतार दी हैं खनकती चूड़ियाँ
निकाल ली है वही पुरानी जींस

तुम जो गए हो तो...
अधूरा हो गया है सब कुछ
आधी हँसी...आधी रोई आँखें
आधी जगह खाली हो गई है अलमारी में

तुम जो ले गए हो...
मुझको बाँध सात समंदर पार
आधी ही रह गई हूँ मैं यहाँ
अकेली से भी कम...एक से भी कम

तुम जो गए हो...
मुश्किल है...हँसना, खाना, रहना
तुम जो गए हो...
बहुत मुश्किल हो गया है...जीना

27 comments:

  1. गजब का अंदाजे बयां है। जय हो!

    ReplyDelete
  2. ये इश्के हालत भी अजीब होते हैं
    वो पास होते हैं तो
    बेवजह प्यार में
    यूँ ही झगड़ते हैं

    पास ना हों तो
    रह रह कर याद कर उन्हें
    कभी खुद से तो
    कभी उनकी यादों से झगड़ते हैं

    ये निगोड़ा ....

    मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  3. "तुम न जाने किस जहाँ में खो गए".

    ReplyDelete
  4. अरसे बाद "पूजा " वापस इस सफ्हे पे मिली .. ..मिलती रहा करो ऐसे ही....कभी उदासी में डूबी .कभी खिलखिलाती ...

    ReplyDelete
  5. अपनो के दूरी का यही असर होता है.........

    ReplyDelete
  6. roj ki chize hi aziz ke jane se mayus lagti hai ,lajawab bhavpurn rachana.

    ReplyDelete
  7. तुम जो गए हो तो...
    फीका पड़ गया है डेयरी मिल्क का स्वाद
    अधखुला पड़ा है बिस्कुट का पैकेट
    बनी हुयी चाय कप में डाल के पीना भूल गई

    waah..sundar kisi ke dur hone ki virah ka kitana badhiya aur anokha andaaj..
    sundar bhav..dhanywaad..

    ReplyDelete
  8. "तुम जो ले गए हो...
    मुझको बाँध सात समंदर पार
    आधी ही रह गई हूँ मैं यहाँ
    अकेली से भी कम...एक से भी कम"

    lagaa jaise bas yahi kehne ke liye poori rachnaa likhi gayi ...saari bhoomikaa bas isi ke liye baandhi gayi aur sach ye baat apne aap mein itni sunder hai ........:)

    par koi aapko baandh ke apne sath le gaya hai dost... to phir aap aadhi hi kyun reh gayin... aapko to dugnaa honaa chahiye... :)

    ReplyDelete
  9. कालिदास और मेघदूत याद आ रहे हैं!

    ReplyDelete
  10. bahut dino baad aaya aapke blog par, aour ek ke baad ek post padhhta chalaa gayaa/
    filvaqt tippani ke liye kai saare vichaar ghumad rahe he aour kya likhu kya na likhu...jesi sthiti he/ bas itana likhunga aap behatar likhti he, achha lagataa he aapko padhhna/

    ReplyDelete
  11. तुम होते हो तो...
    ===
    तुम जो गए हो तो...
    ===
    तुम जो ले गए हो...
    ===
    होने -- न होने और संग ले जाने के अंतर्द्वन्द और एहसास को बहुत खूबसूरती से आपने बयान किया है.
    वाकई बहुत खूबसूरत कविता

    ReplyDelete
  12. tum gaye, sab gaya........ I can very well relate to it Pooja! Donn worry 28 Aug is not too far....so cheer up babe !

    ReplyDelete
  13. वाह बड़े दिनों बाद मूड में लग रही हो.. .वैसे एक अधूरापन तो उधर भी होगा ना...

    और हां ट्रेन की खिड़की से भागते पेड़ मुझे हमेशा से पसंद है..

    ReplyDelete
  14. वाह!! दोनों स्थितियों का सुन्दर चित्रण. बहुत उम्दा!!

    ReplyDelete
  15. तुम जो गए हो...
    मुश्किल है...हँसना, खाना, रहना
    तुम जो गए हो...
    बहुत मुश्किल हो गया है...जीना

    बहुत ही भावपूर्ण रचना .

    ReplyDelete
  16. बहुत लाजवाब चित्रण किया है. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

    ReplyDelete
  17. तुम जो गए हो तो...
    अँधेरा लगा एअरपोर्ट से घर तक का पूरा रास्ता
    स्याह था आसमान पर उड़ते बादलों का झुंड
    शुष्क थी बालों को उलझाती शाम की हवा



    very nice lines.....

    ReplyDelete
  18. ज्ञान जी को मेघदूत यूं ही याद नहीं आया . इसमें ’पूर्व मेघ’ और ’उत्तर मेघ’ दोनों हैं .

    रोजमर्रा के बेहद परिचित और घरेलू दृश्यों और बिम्बों से कविता में संयोग का उछाह और उल्लास तथा वियोग की उदासी और अनमनापन सब निरायास बहता-उतरता आता है .

    हालांकि हम सब जानते हैं कविता में निरायास कुछ नहीं होता . यह आयत्त किया हुआ होता है और आयत्त होता है विचार और अनुभव के संयोग से .

    निस्संदेह पूजा एक संभावनाशील कवयित्री हैं .

    ReplyDelete
  19. oh my god.....my god....what a superb creation.....i am sure, this's da world best poem ....i din read this kind of creation .....pooja, is this your own creation??......superb....amazing...great

    ReplyDelete
  20. तुम जो गए हो...
    बहुत मुश्किल हो गया है...जीना

    विरह-वेदना का सुन्दर चित्रण

    प्रणाम स्वीकार करें

    ReplyDelete
  21. Kya hua bhai? Kunal kahin kaam se bahar gaya hai kya?? are jaldi hi aa jayega.. :)

    vaise kavita bahut achchhi hai.. dil se likhi hui.. :)

    ReplyDelete
  22. पूजा जी बहुत ही सुंदर शब्‍दों को पिरोया है आपने बेहतरीन उप‍लब्धि

    ReplyDelete
  23. दो वि‍परीत कि‍नारों का सुंदर संयोजन।

    ReplyDelete
  24. प्यार और विरह की सुन्दर रचना... आप हमेशा मुस्कुराती रहा करो अच्छी लगती हो....

    ReplyDelete
  25. बहुत भावुक...! कहने को कुछ नही होता इन कविताओं को पढ़ने के बाद..!

    ReplyDelete
  26. Mujhe waise to poori pasand aayee, lekin yeh lines kuchh khaas achchhie lagi! Badhiya likhtin hain aap!
    Sulatan-Ganj se Devghar ki 5 se 7 dinon mein poori hone waali paidal yaatraa yaad aagyee aapka interview padh ke! "uttar-waahini ganga"... yehi hai naa Sultangunj mein??

    "Tum hote ho to
    Khushi se pehanti hoon chaar inch ki heel
    10 minute mein taiyaar ho jaati hoon saari mein
    Bhaari nahi lagti 2 darzan chooriyan haatho mein…..."

    ReplyDelete

Related posts

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...