तुम होते हो तो...
खूबसूरत लगती है, ट्रेन की खिड़की
बाहर दौड़ते खेत, पेड़, मकानों से उठता धुआं
डूबते हुए सूरज के साथ रंगा आसमान...
तुम होते हो तो...
कुतर के खाती हूँ, बिस्कुट, या कोई टॉफी
आइस क्रीम जाड़ों में भी अच्छी लगती है
मीठी होती है तुम्हारे साथ पी गई काफ़ी...
तुम होते हो तो...
खुशी से पहनती हूँ ४ इंच की हील
१० मिनट में तैयार हो जाती हूँ साड़ी में
भारी नहीं लगती दो दर्जन चूड़ियाँ हाथों में
तुम जो गए हो तो...
अँधेरा लगा एअरपोर्ट से घर तक का पूरा रास्ता
स्याह था आसमान पर उड़ते बादलों का झुंड
शुष्क थी बालों को उलझाती शाम की हवा
तुम जो गए हो तो...
फीका पड़ गया है डेयरी मिल्क का स्वाद
अधखुला पड़ा है बिस्कुट का पैकेट
बनी हुयी चाय कप में डाल के पीना भूल गई
तुम जो गए हो तो...
तह कर के रख दी हैं मैंने सारी साड़ियाँ
उतार दी हैं खनकती चूड़ियाँ
निकाल ली है वही पुरानी जींस
तुम जो गए हो तो...
अधूरा हो गया है सब कुछ
आधी हँसी...आधी रोई आँखें
आधी जगह खाली हो गई है अलमारी में
तुम जो ले गए हो...
मुझको बाँध सात समंदर पार
आधी ही रह गई हूँ मैं यहाँ
अकेली से भी कम...एक से भी कम
तुम जो गए हो...
मुश्किल है...हँसना, खाना, रहना
तुम जो गए हो...
बहुत मुश्किल हो गया है...जीना
गजब का अंदाजे बयां है। जय हो!
ReplyDeleteये इश्के हालत भी अजीब होते हैं
ReplyDeleteवो पास होते हैं तो
बेवजह प्यार में
यूँ ही झगड़ते हैं
पास ना हों तो
रह रह कर याद कर उन्हें
कभी खुद से तो
कभी उनकी यादों से झगड़ते हैं
ये निगोड़ा ....
मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति
"तुम न जाने किस जहाँ में खो गए".
ReplyDeleteअरसे बाद "पूजा " वापस इस सफ्हे पे मिली .. ..मिलती रहा करो ऐसे ही....कभी उदासी में डूबी .कभी खिलखिलाती ...
ReplyDeleteअपनो के दूरी का यही असर होता है.........
ReplyDeleteroj ki chize hi aziz ke jane se mayus lagti hai ,lajawab bhavpurn rachana.
ReplyDeletebahut acchha hai ...POOJA
ReplyDeleteतुम जो गए हो तो...
ReplyDeleteफीका पड़ गया है डेयरी मिल्क का स्वाद
अधखुला पड़ा है बिस्कुट का पैकेट
बनी हुयी चाय कप में डाल के पीना भूल गई
waah..sundar kisi ke dur hone ki virah ka kitana badhiya aur anokha andaaj..
sundar bhav..dhanywaad..
"तुम जो ले गए हो...
ReplyDeleteमुझको बाँध सात समंदर पार
आधी ही रह गई हूँ मैं यहाँ
अकेली से भी कम...एक से भी कम"
lagaa jaise bas yahi kehne ke liye poori rachnaa likhi gayi ...saari bhoomikaa bas isi ke liye baandhi gayi aur sach ye baat apne aap mein itni sunder hai ........:)
par koi aapko baandh ke apne sath le gaya hai dost... to phir aap aadhi hi kyun reh gayin... aapko to dugnaa honaa chahiye... :)
कालिदास और मेघदूत याद आ रहे हैं!
ReplyDeletebahut dino baad aaya aapke blog par, aour ek ke baad ek post padhhta chalaa gayaa/
ReplyDeletefilvaqt tippani ke liye kai saare vichaar ghumad rahe he aour kya likhu kya na likhu...jesi sthiti he/ bas itana likhunga aap behatar likhti he, achha lagataa he aapko padhhna/
तुम होते हो तो...
ReplyDelete===
तुम जो गए हो तो...
===
तुम जो ले गए हो...
===
होने -- न होने और संग ले जाने के अंतर्द्वन्द और एहसास को बहुत खूबसूरती से आपने बयान किया है.
वाकई बहुत खूबसूरत कविता
tum gaye, sab gaya........ I can very well relate to it Pooja! Donn worry 28 Aug is not too far....so cheer up babe !
ReplyDeleteवाह बड़े दिनों बाद मूड में लग रही हो.. .वैसे एक अधूरापन तो उधर भी होगा ना...
ReplyDeleteऔर हां ट्रेन की खिड़की से भागते पेड़ मुझे हमेशा से पसंद है..
वाह!! दोनों स्थितियों का सुन्दर चित्रण. बहुत उम्दा!!
ReplyDeleteतुम जो गए हो...
ReplyDeleteमुश्किल है...हँसना, खाना, रहना
तुम जो गए हो...
बहुत मुश्किल हो गया है...जीना
बहुत ही भावपूर्ण रचना .
बहुत लाजवाब चित्रण किया है. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
तुम जो गए हो तो...
ReplyDeleteअँधेरा लगा एअरपोर्ट से घर तक का पूरा रास्ता
स्याह था आसमान पर उड़ते बादलों का झुंड
शुष्क थी बालों को उलझाती शाम की हवा
very nice lines.....
ज्ञान जी को मेघदूत यूं ही याद नहीं आया . इसमें ’पूर्व मेघ’ और ’उत्तर मेघ’ दोनों हैं .
ReplyDeleteरोजमर्रा के बेहद परिचित और घरेलू दृश्यों और बिम्बों से कविता में संयोग का उछाह और उल्लास तथा वियोग की उदासी और अनमनापन सब निरायास बहता-उतरता आता है .
हालांकि हम सब जानते हैं कविता में निरायास कुछ नहीं होता . यह आयत्त किया हुआ होता है और आयत्त होता है विचार और अनुभव के संयोग से .
निस्संदेह पूजा एक संभावनाशील कवयित्री हैं .
oh my god.....my god....what a superb creation.....i am sure, this's da world best poem ....i din read this kind of creation .....pooja, is this your own creation??......superb....amazing...great
ReplyDeleteतुम जो गए हो...
ReplyDeleteबहुत मुश्किल हो गया है...जीना
विरह-वेदना का सुन्दर चित्रण
प्रणाम स्वीकार करें
Kya hua bhai? Kunal kahin kaam se bahar gaya hai kya?? are jaldi hi aa jayega.. :)
ReplyDeletevaise kavita bahut achchhi hai.. dil se likhi hui.. :)
पूजा जी बहुत ही सुंदर शब्दों को पिरोया है आपने बेहतरीन उपलब्धि
ReplyDeleteदो विपरीत किनारों का सुंदर संयोजन।
ReplyDeleteप्यार और विरह की सुन्दर रचना... आप हमेशा मुस्कुराती रहा करो अच्छी लगती हो....
ReplyDeleteबहुत भावुक...! कहने को कुछ नही होता इन कविताओं को पढ़ने के बाद..!
ReplyDeleteMujhe waise to poori pasand aayee, lekin yeh lines kuchh khaas achchhie lagi! Badhiya likhtin hain aap!
ReplyDeleteSulatan-Ganj se Devghar ki 5 se 7 dinon mein poori hone waali paidal yaatraa yaad aagyee aapka interview padh ke! "uttar-waahini ganga"... yehi hai naa Sultangunj mein??
"Tum hote ho to
Khushi se pehanti hoon chaar inch ki heel
10 minute mein taiyaar ho jaati hoon saari mein
Bhaari nahi lagti 2 darzan chooriyan haatho mein…..."