03 June, 2012

चूल्हे के धुएँ सी सोंधी औरतें और धुएँ के पार का बहुत कुछ


छः गोल डब्बों वाला मसालदान होती हैं 
आधी रात को नहाने वाली औरतें

उँगलियों की पोर में बसी होती है
कत्थई दालचीनी की खुशबू 

पीठ पर फिसलती रहती है
पसीने की छुआछुई खेलती बूँदें 

कलाइयों में दाग पड़ते हैं
आंच में लहकी कांच की चूड़ियों से 

वे रचती हैं हर रोज़ थोड़ी थोड़ी
डब्बों और शीशियों की भूलभुलैया 

उनके फिंगरप्रिंट रोटियों में पकते हैं
लकीरों में बची रह जाती है थोड़ी परथन 

खिड़की में नियत वक्त पर फ्रेम रहती हैं
रोज के सोप ओपेरा की तरह

किचन हर रोज़ चढ़ता है उनपर परत दर परत
रंग, गंध, चाकू के निशान, जले के दाग जैसा 

नहाने के पहले रगड़ती हैं उँगलियों पर नीम्बू
चेहरे पर लगाती हैं मलाई और शहद 

जब बदन को घिस रहा होता है लैवेंडर लूफॉ 
याद करती हैं किसी भूले आफ्टरशेव की खुशबू 

आधी रात को नहाने वाली औरतें में बची रहती है 
१६ की उम्र में बारिश में भीगने वाली लड़की

15 comments:

  1. This comment has been removed by the author.

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  2. तेरे ख्याल में गुम जब घूमता रहता हूँ
    नीम नींद नहीं, कमर में हौले हाथ लगा होता रहता है नृत्य.

    हिज्र की उनींदी दोपहर के सन्नाटे में
    जैसे बजता रहता है दूर कहीं तुम्हारा रिंगटोन.

    तुम मुझसे उन्नतीस गज के फासले पर ट्राफिक सिग्नल में हो.
    उलटी गिनती का फासला कम होते होते बत्ती हो जाती है हरी.

    दराज़ के अँधेरे कोने में हाथ आता है चाभी का गुच्छा.
    किसी की कमर में झूलता बोलता घर हो जाता है, जिसमें बंद हैं तमाम दुनिया के सुकून.

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    1. गज़ब!!!
      ये तो पोस्ट से ज्यादा अच्छा हो गया रे!

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    2. तुम मुझसे उन्नतीस गज के फासले पर ट्राफिक सिग्नल में हो.
      उलटी गिनती का फासला कम होते होते बत्ती हो जाती है हरी...

      Really Nice...

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  3. आधी रात को नहाने वाली औरतें में बची रहती है
    १६ की उम्र में बारिश में भीगने वाली लड़की

    उम्र कोई गिनती तो नहीं है ... यह तो एहसास है

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  4. एक लड़की के प्यार और अरमान
    और एक औरत का दर्द सब कुछ आपने कह दिया
    आपने केवल २२ पंक्तियों में ये जो आपकी
    कला है न बस क्या कहने
    लाजवाब कविता

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  5. poora nari jeevan kavita mein utaar diya hai ...........sunder

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  6. प्रवीण पांडे जी के जैसे ही नि:शब्द

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  7. किचन हर रोज़ चढ़ता है उनपर परत दर परत
    रंग, गंध, चाकू के निशान, जले के दाग जैसा

    नहाने के पहले रगड़ती हैं उँगलियों पर नीम्बू
    चेहरे पर लगाती हैं मलाई और शहद

    जब बदन को घिस रहा होता है लैवेंडर लूफॉ
    याद करती हैं किसी भूले आफ्टरशेव की खुशबू

    आधी रात को नहाने वाली औरतें में बची रहती है
    १६ की उम्र में बारिश में भीगने वाली लड़की

    हर उस औरत की कहानी आपकी जुबानी जिसके अंदर अभी भी एक नई नवेली छुपी है और खिलखिला रही है ।
    अति सुंदर ।

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  8. वाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...

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