छः गोल डब्बों वाला मसालदान होती हैं
आधी रात को नहाने वाली औरतें
उँगलियों की पोर में बसी होती है
कत्थई दालचीनी की खुशबू
पीठ पर फिसलती रहती है
पसीने की छुआछुई खेलती बूँदें
कलाइयों में दाग पड़ते हैं
आंच में लहकी कांच की चूड़ियों से
वे रचती हैं हर रोज़ थोड़ी थोड़ी
डब्बों और शीशियों की भूलभुलैया
उनके फिंगरप्रिंट रोटियों में पकते हैं
लकीरों में बची रह जाती है थोड़ी परथन
खिड़की में नियत वक्त पर फ्रेम रहती हैं
किचन हर रोज़ चढ़ता है उनपर परत दर परत
रंग, गंध, चाकू के निशान, जले के दाग जैसा
नहाने के पहले रगड़ती हैं उँगलियों पर नीम्बू
चेहरे पर लगाती हैं मलाई और शहद
जब बदन को घिस रहा होता है लैवेंडर लूफॉ
याद करती हैं किसी भूले आफ्टरशेव की खुशबू
आधी रात को नहाने वाली औरतें में बची रहती है
१६ की उम्र में बारिश में भीगने वाली लड़की
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ReplyDeleteतेरे ख्याल में गुम जब घूमता रहता हूँ
ReplyDeleteनीम नींद नहीं, कमर में हौले हाथ लगा होता रहता है नृत्य.
हिज्र की उनींदी दोपहर के सन्नाटे में
जैसे बजता रहता है दूर कहीं तुम्हारा रिंगटोन.
तुम मुझसे उन्नतीस गज के फासले पर ट्राफिक सिग्नल में हो.
उलटी गिनती का फासला कम होते होते बत्ती हो जाती है हरी.
दराज़ के अँधेरे कोने में हाथ आता है चाभी का गुच्छा.
किसी की कमर में झूलता बोलता घर हो जाता है, जिसमें बंद हैं तमाम दुनिया के सुकून.
गज़ब!!!
Deleteये तो पोस्ट से ज्यादा अच्छा हो गया रे!
तुम मुझसे उन्नतीस गज के फासले पर ट्राफिक सिग्नल में हो.
Deleteउलटी गिनती का फासला कम होते होते बत्ती हो जाती है हरी...
Really Nice...
निशब्द...
ReplyDeleteआधी रात को नहाने वाली औरतें में बची रहती है
ReplyDelete१६ की उम्र में बारिश में भीगने वाली लड़की
उम्र कोई गिनती तो नहीं है ... यह तो एहसास है
एक लड़की के प्यार और अरमान
ReplyDeleteऔर एक औरत का दर्द सब कुछ आपने कह दिया
आपने केवल २२ पंक्तियों में ये जो आपकी
कला है न बस क्या कहने
लाजवाब कविता
poora nari jeevan kavita mein utaar diya hai ...........sunder
ReplyDeleteप्रवीण पांडे जी के जैसे ही नि:शब्द
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - कहीं छुट्टियाँ ... छुट्टी न कर दें ... ज़रा गौर करें - ब्लॉग बुलेटिन
ReplyDeleteकिचन हर रोज़ चढ़ता है उनपर परत दर परत
ReplyDeleteरंग, गंध, चाकू के निशान, जले के दाग जैसा
नहाने के पहले रगड़ती हैं उँगलियों पर नीम्बू
चेहरे पर लगाती हैं मलाई और शहद
जब बदन को घिस रहा होता है लैवेंडर लूफॉ
याद करती हैं किसी भूले आफ्टरशेव की खुशबू
आधी रात को नहाने वाली औरतें में बची रहती है
१६ की उम्र में बारिश में भीगने वाली लड़की
हर उस औरत की कहानी आपकी जुबानी जिसके अंदर अभी भी एक नई नवेली छुपी है और खिलखिला रही है ।
अति सुंदर ।
waah puja too gud
ReplyDeletebahut bhawpoorn kavita hai.....
ReplyDeleteवाह...सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
ReplyDeletebahut umda
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