कितने कितने पुर्जो पर
तुम्हारे हाथों के चलने को
समेट कर रखा है मैंने
कुछ ख़त...कुछ ऐसे ही तुम्हारे ख्याल
और कितने डिज़ाईन फूलों के, बूटियों के
कुछ फिल्मो की टिकटों पर लिखे फ़ोन नम्बर
कुछ कौपी के आखिरी पन्नों पर
पेन की लिखावट देखने के लिए लिखा गया नाम
मैंने हर पन्ना सहेज कर रखा है माँ
और जब तुम बहुत याद आती हो
इन आड़ी तिरछी लकीरों को देख लेती हूँ
लगता है...तुमने सर पे हाथ रख दिया हो
bahut sundar hai kavita aur maa ke liye bhavana bhi.
ReplyDeleteक्या बात है !! कैसा लगा पढ़ कर ये बता नहीं सकता. कमाल है ...
ReplyDeleteसुंदर!!!
ReplyDeleteबहुत खूब..!!!वाह!!
ReplyDeleteआपकी मां को आप पर गर्व करना चाहिए। अपार प्यार झलकता है आपकी कविता में। सुंदर।
ReplyDeleteकुछ नहीं कहूंगा, क्योंकि इसे पढ़ने के बाद मन में जो भाव उमड़े हैं उसे शब्द नहीं दे सकता हूं
ReplyDeleteआशीष
bahot pyaari hai.
ReplyDelete@ महक..शुक्रिया मेरी भावनाओं को समझने के लिए...
ReplyDeleteमीत,आशीष आपकी बात सुनकर अच्छा लगा...जब बात कही नहीं जा सकती तभी तो कविता बनती है...
समीर जी...कभी कभी आपके आने और टिपण्णी देने से हौसला बढ़ता है, धन्यवाद...
@ अबरार जी, बस माँ की यादें ही बची हैं उनको संजोने की कोशिश है.
आप सबका बहुत शुक्रिया...दर्द कई बार लिख देने से कम हो जाता है..वही कर रही हूँ
@ रक्षान्दा...प्यारी है बिल्कुल आपकी तरह :)
ReplyDeleteशुक्रिया
और जब तुम बहुत याद आती हो
ReplyDeleteइन आड़ी तिरछी लकीरों को देख लेती हूँ
लगता है...तुमने सर पे हाथ रख दिया हो
superb.....
ReplyDeleteतारीफ़ लायक होते हुये भी,
मैं इस कविता को यदा कदा याद करता रहूँगा..
पर तारीफ़ ? ना बाबा ना, तेरा दिमाग बहक जायेगा ।
आज रूबी जी ( रख्शँदा ) की आमद ताज़गी की एक और उम्मीद कायम कर रही है ।
The poem and pen show ur inner feeling for ur mother...
ReplyDeleteHappy B'Day to You.
पूजा की तरह हैं पवित्र विचार
ReplyDeleteइसी में है हम सबका संसार
जिसमें बसा हुआ मां का प्यार
जन्मदिन पर ढेरों बल्कि टोकरियां भर भर आशीर्वाद।