मुझे नहीं चाहिए
तुम्हारा कांधा. तुम्हारा सीना.
तुम्हारा रुमाल. या कि तुम्हारे शब्द ही.
हो सके हो मेरे लिए हो जाना
बहुत ऊंचे पहाड़ों में धीमे उगते किसी पेड़ की
गहरी खोह
मैं शायद
तुम तक कभी पहुँच नहीं पाऊँगी
मगर मुझे चाहिए होगा
तुम्हारे होने का यकीन
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तुम मेरे मन में बहती चुप नदी हो
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मुझे लगता नहीं था कि कभी 'हम' हो सकते हैं.
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मन की दीवारें होती हैं
जिनसे रिसता रहता है अवसाद
धीरे धीरे सीख लेगी मेरी रूह
उन सीले शब्दों को सोखना
मुझे तुम्हारी उँगलियों की फ़िक्र होती है
तुमने मेरा मन छुआ था एक बार
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मुझे वो हिस्सा नहीं चाहिए इस दुनिया का जो सच में घटता है. मैं बहुत थक गयी हूँ.
मैं लौट कर किताबों तक जा रही हूँ.
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मेरे पास कुछ भी नहीं है तुम्हें देने को
मेरे टूटे दिल में जरा से दुःख हैं
जरा सी उदासी
तुम्हारे नाम करती हूँ
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काश कि मुझे आता प्रेम करना
और प्रेम में बने रहना
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मेरा ये भरम रहने दो कि तुम हो
मेरे जीने के लिए ये जरूरी है.
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bahut bahut sundar
ReplyDeleteSundar!!
ReplyDeleteBahut khoobsurat.. har ek sabd dil ko chun gayi.. thode ansu ankhon me chalka gayi
ReplyDeleteHamesha ki tarah Bahut khoob. :-)
ReplyDeletebahoot sunder!
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