23 October, 2015

या कि जब तुम मुझे दोस्त बुलाते हो. या जान.


शहरों को पता होता है. चारागर गलियों का पता. शहर की पुरानी हवेलियों में रहते हैं पुराने नीम-हकीम. कि जो ख़तरा-ए-जान होते हैं कि उन्हें रूह का इलाज आता है. उनके लिए नहीं होती है एक ज़िन्दगी की कीमत कि वे टाँके डालते हैं सदियों तड़पती रूह में. उन्हें मालूम होता है कि हिज्र होता है कई जन्मों पुराना भी...के महबूब होता है कई जन्मों से लापता...कि उन्हें आता है उदास आँखें पढ़ने का हुनर इसलिए उनसे डरते हैं किताबों और रिसालों वाले डॉक्टर. 

तुम्हारे शहर की कातिल गलियां ढूंढती हैं मुझे...तुम्हारी धड़कनों का फरेब निकलता है मेरी तलाश में छुरा लेकर. मैं किसी गुमान में जीती हूँ कि तुम्हें मेरे सिवा कोई समझ नहीं सकता. मैं तुम्हारी नब्ज़ पर ऊँगली रख कर गिनाती हूँ तुम्हें तुम्हारे महबूबों का नाम. मैं पढ़ना जानती हूँ तुम्हारी धड़कनों की भाषा. कि मैं तुम्हारी प्रेमिका नहीं...चारागर हूँ. मेरे दोस्त. मेरी जान तुममें बसती है. 

मैं तुमसे पूछना चाहती हूँ इश्क़ के सिम्पटम्स कि बेचैनियों को विस्की फ्लास्क में कैद करना आता है मुझे. मैं बहुत दिन से तलाश रही हूँ इक सिगरेट केस कि जिसमें रखे जा सकें खतों के माइक्रोजीरोक्स. तुम माइक्रो ज़ेरोक्स समझते हो न मेरी जान? इन्ही चिप्पियों से जिंदगी के एक्जाम में चीटिंग की जा सकती है और लाये जा सकते हैं खूब सारे नंबर. तुम्हें क्लास में फर्स्ट आने का बहुत शौक़ था न हमेशा से? मैंने सारे सवालों के जवाब तुम्हारे लिए इकठ्ठा कर दिए हैं. लिखे नहीं हैं...जरूरत ही नहीं पड़ी. तुम्हें इतने लोगों ने ख़त लिखे हैं कि तुम्हें मेरे शब्दों की कोई जरूरत नहीं रही कभी.  

यूँ तुम खुद फ़रिश्ते हो. तुम सा चारागर दूसरा नहीं. मगर जानते तो हो. डॉक्टर्स आर द वर्स्ट पेशेंट्स. तुम खुद का इलाज नहीं कर सकते. तुम्हें चुभती भी तो मासूम चीज़ें हैं. तुम्हारी ऊँगली के पोर में चुभे हैं तितली के पंख. तुम्हारे पांवों में सुबह की ओस. तुम्हारी आँखों में चाँद नदी का पानी. तुम्हारे काँधे पर किसी का जूड़ापिन चुभे तो कोई भी निकाल सकता है, मगर किसी ने पीछे से तुम्हारे काँधे पर हाथ रखा और उसकी खुराफाती उँगलियों की पहली छुवन रह गयी. इसे देखने के लिए जो नज़र चाहिए वो न तुम्हारे पास है न तुम्हारे बाकी किसी डॉक्टर के पास.

मैं जानती हूँ कैसा होता है तुम्हारे इश्क़ में होना. चाँद को गुदगुदी करना. सूरज से ठिठोली करना. समंदर सी प्यास में जीना. आसमान सा इंतज़ार ओढ़ना. सब पता है मुझे. इसलिए मुझे सिर्फ तुम्हारे ठीक हो जाने से मतलब है...कि तुम दुबारा टूट सको. तुम्हारी चारागरी के सिवा और कुछ नहीं चाहिए मुझे जिंदगी से.
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आखिर में मुझे कुछ पता नहीं होता कि मुझे क्या चुभता है. कि तुम मुझे दोस्त बुलाते हो. या जान.

या कि उसकी कलाई पर सिगरेट से जलाया हुआ तुम्हारा नाम.
या कि व्हीली करते हुए गिरने पर हुए मल्टीप्ल फ्रैक्चर्स
या कि माइग्रेन रात के डेढ़ बजे
या कि रूट कैनाल सर्जरी

या कि जब तुम मुझे दोस्त बुलाते हो. या जान.

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