नींद
एक गुमा हुआ देश है
बिना सरहदों, बिना नियमों वाला
जहाँ इजाज़त होती है इश्क को
बिलावजह चले आने की
और भटकने की दर बदर
जब तलक कि कोई उदास आँखों वाली लड़की
उसे अपने चौकोर कमरे वाले दिल में पनाह न दे दे
नींद
मारिजुआना का मीठा नशा है
याद की धुंध में तुम्हारी महक से घुलता-लिपटता
सिगरेट के पहले गहरे कश की तरह
सुलगाता. जलाता. भुलाता.
बंद करता आँखें जैसे खेल रहे हों लुक्का छिप्पी
और अचानक ही भर लेता आलिंगन में. धप्पा.
नींद
एक अलसाई सुबह है
तुम्हारे कंधे पर कुनमुनाती
शिकायतों का पिटारा खोलती
रात भर बजा है हिचकियों का ओर्केस्ट्रा
सुनो, ये रात रात भर हमें याद करना बंद करो
एक गुमा हुआ देश है
बिना सरहदों, बिना नियमों वाला
जहाँ इजाज़त होती है इश्क को
बिलावजह चले आने की
और भटकने की दर बदर
जब तलक कि कोई उदास आँखों वाली लड़की
उसे अपने चौकोर कमरे वाले दिल में पनाह न दे दे
नींद
मारिजुआना का मीठा नशा है
याद की धुंध में तुम्हारी महक से घुलता-लिपटता
सिगरेट के पहले गहरे कश की तरह
सुलगाता. जलाता. भुलाता.
बंद करता आँखें जैसे खेल रहे हों लुक्का छिप्पी
और अचानक ही भर लेता आलिंगन में. धप्पा.
नींद
उसकी आँखों में लिखी कोई सीली इबारत है
जिसे पढ़ती हूँ तो उँगलियों के पोर ठंढे पड़ते जाते हैं
वो अलाव में गर्म करता अपने हाथ
हथेलियों में भरता मेरा चेरा
और सेक देता लम्हा लम्हा तड़पती रूह को
नींद
चाँद रंग वाली एक लड़की की हंसी है
चिनारों पर उतरती हुयी
हवा के राग में लेती उसका नाम
कानों के पास से गुजरती तो देती धोखे
सी...सी...सी...
मगर वो दिखता नहीं कोहरीली आँखों के पार
नींद
पहले ब्रेकऑफ का हैंगोवर है
बदन में मरोड़ की तरह टूटता
नाख्याली के सियाह में गुम हो जाने के पहले
कर्ट कोबेन की आवाज़ में चीखता
'नो आई डोंट हैव अ गॉड'
उसकी आँखों में लिखी कोई सीली इबारत है
जिसे पढ़ती हूँ तो उँगलियों के पोर ठंढे पड़ते जाते हैं
वो अलाव में गर्म करता अपने हाथ
हथेलियों में भरता मेरा चेरा
और सेक देता लम्हा लम्हा तड़पती रूह को
नींद
चाँद रंग वाली एक लड़की की हंसी है
चिनारों पर उतरती हुयी
हवा के राग में लेती उसका नाम
कानों के पास से गुजरती तो देती धोखे
सी...सी...सी...
मगर वो दिखता नहीं कोहरीली आँखों के पार
नींद
पहले ब्रेकऑफ का हैंगोवर है
बदन में मरोड़ की तरह टूटता
नाख्याली के सियाह में गुम हो जाने के पहले
कर्ट कोबेन की आवाज़ में चीखता
'नो आई डोंट हैव अ गॉड'
एक अलसाई सुबह है
तुम्हारे कंधे पर कुनमुनाती
शिकायतों का पिटारा खोलती
रात भर बजा है हिचकियों का ओर्केस्ट्रा
सुनो, ये रात रात भर हमें याद करना बंद करो
बहुत दिनों बाद आया इधर, पढ़कर बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteहिचकियों के उस ऑर्केस्ट्रा में यक़ीनन धड़कनों का ड्रम बीट्स भी शामिल था ....कि कुहरे में कुचली हुयी रात ने चंद अजब-गजब स्टेप किये थे किसी जिप्सी डांस के !
ReplyDeleteIt's really good
ReplyDelete