24 September, 2008

इसलिए आज मैंने एक सिगरेट सुलगा ली


आज मैंने एक सिगरेट सुलगा कर

होठों पे रख ली

याद आयी वो शाम

जब पहली बार तुम्हारा नाम लिया था...


धुआं धुआं सा कोहरा था उस वक्त

दिसम्बर की सर्द रात में सोयी दिल्ली पर

और हम सड़कों पर भागे जा रहे थे...

कितनी दूर चले आए हैं
उस शाम से भागते भागते

बारिशों वाले इस शहर में...

जहाँ सिगरेट जलते ही बुझ जाती है।


फ़िर भी मैंने एक सिगरेट सुलगाई

भीगी आंखों से धुएं के पार देखा

हम दोनों कुछ ज्यादा साफ़ नज़र आ रहे थे...



एन एच ८ की वो सड़क

दूर तक सीधी दौड़ती हुयी

रात भर जागती थी हमारे साथ



ये शहर बड़ी जल्दी सो जाता है

मासूम बच्चे की मानिंद

और हम ढूँढ़ते रहते हैं

कहाँ जा के खेलें...


वो हवाईजहाज़ किस देश से आए हैं

मैं तुम्हें एक दिन पेरिस घुमाऊंगा

तुम कहा करते थे

यहाँ हवाई अड्डा शहर से दूर बना है


बहुत कुछ नहीं है यहाँ दिल्ली के जैसा

हम और तुम भी नहीं है



इसलिए आज मैंने एक सिगरेट सुलगा ली

यूँ लगा की हम फ़िर से वही हो गए हैं

दिल्ली की सड़कों पर भटकते हुए

रात के यायावर...बेफ़िकर...हमसफ़र

25 comments:

  1. good lines
    better composed
    as u r copywiter u can play better with the words
    regards

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  2. बहुत सुंदर और अलग सी बात कहती है आपकी यह रचना ..बहुत पसंद आई मुझे यह

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  3. पूजा..... कभी बाँटूगा तुमसे एक कविता.... सारी तो नही पर उसका एक हिस्सा ऐसी सी सोच का है.....वैसे तुम्हारा अंदाज जुदा है ......ओर सच बताऊँ मुझे बहुत अजीज है....

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  4. प्रेम में पहले तो लोग दारूपान करते थे, अब धूम्रपान करने लगे है. याद रखी - भारत में सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान की मनाही है और ब्लॉग एक सार्वजनिक स्थल है.
    वैसे कविता अच्छी है.

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  5. इसलिए आज मैंने एक सिगरेट सुलगा ली


    यूँ लगा की हम फ़िर से वही हो गए हैं

    bahut bhawukta hai.....lekin
    achcha laga

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  6. गहरी बात...सुन्दर रचना, बधाई!!! वैसे धूम्रपान ठीक नहीं.. :)

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  7. एन एच ८ की वो सड़क
    दूर तक सीधी दौड़ती हुयी
    रात भर जागती थी हमारे साथ

    You have taken me with you Pooja. wonderful lines, i felt something very deep in there. how emotional these words are!very wonderfuly written.

    मैं तुम्हें एक दिन पेरिस घुमाऊंगा
    तुम कहा करते थे
    you have lost yourself in deep thoughts pooja, i am overwhelemd and carried away. very fine rendition.
    thanks for sharing

    regards
    Manuj Mehta

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  8. यूँ लगा की हम फ़िर से वही हो गए हैं,
    .... सड़कों पर भटकते हुए

    Bahut Achchha laga.
    Badhai

    ReplyDelete
  9. यूँ लगा की हम फ़िर से वही हो गए हैं,
    .... सड़कों पर भटकते हुए

    Bahut Achchha laga.
    Badhai

    ReplyDelete
  10. you r a real master.. bahut hi sundar lines hai.. bahut acha likha...

    ReplyDelete
  11. अच्‍छी कवि‍ता। मजाक में कह रहा हू-वैसे कवि‍ता में भी सि‍गरेट पर पाबंदी लगनी चाहि‍ए, कहीं पढ़कर कुछ लोग पीने न लग जाऍं।

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  12. bahut hi alag alag sa aapka andaaz hume bahut hi pasand aaya....
    badi hi vastavik kintu samvednatmak khadi boli hai aapki...

    ReplyDelete
  13. आज मैंने एक सिगरेट सुलगा कर
    होठों पे रख ली
    याद आयी वो शाम
    जब पहली बार तुम्हारा नाम लिया था...
    बात में तो गहराई है
    कविता और सिगरेट का
    नाता पुराना है

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  14. बहुत सुंदर अंदाज. छोटी छोटी पंक्तियाँ कैसे जादू कर देती हैं ये कविता पढ़ के समझ में आ रहा है.
    शायद यादों को भी जरुरत होती है किसी साथ की आने के लिए तभी तो कभी मौसम, कभी कुहरा और कभी सिगरेट सहारा बनते हैं.
    बधाई हो इतनी सुंदर भावनाओं के लिए

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  15. वो हवाईजहाज़ किस देश से आए हैं

    मैं तुम्हें एक दिन पेरिस घुमाऊंगा

    तुम कहा करते थे

    यहाँ हवाई अड्डा शहर से दूर बना है

    बहुत कुछ नहीं है यहाँ दिल्ली के जैसा


    ये आपकी अब तक की सबसे अच्छी पंक्तियाँ लगीं।
    सच में सुलगाई थी?

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  16. This comment has been removed by the author.

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  17. आज मैंने एक सिगरेट सुलगा कर


    होठों पे रख ली


    याद आयी वो शाम


    जब पहली बार तुम्हारा नाम लिया था...



    unhi honton per cigrate kar rakhna jin se kabhi naam liya gaya tha. accha laga shayad ghalti ka ahsaaas aur us hisse ko jaladene ki khuwahish

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  18. bahut sundar....u have a very different style.keep it up.

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  19. लगा की हम फ़िर से वही हो गए हैं


    kuch pal yado k aise hote hai jinhe yaad karke hame khushi milti hai aur is bat ka gam bi hota hai ki vo pal ham dobara nahi ji sakte

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