जिन दिनों तुम नहीं होते हो जानां। तलाशनी होती है अपने अंदर ही कोई अजस्र नदी। जिसका पानी हो प्यास से ज़्यादा मीठा। जिससे आँखें धो कर आए गाढ़ी नींद और पक्के रंग वाले सपने। जिस नदी के पानी में डूब मर कर की जा सके एक और जन्म की कामना।
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लड़की धुएँ से टांक देती उसकी सफ़ेद शर्ट्स में अपना नाम। लड़के की जेब से मिलती माचिस। उसके बैग में पड़े रहते लड़की की सिगरेट के ख़ाली डिब्बे। लड़की चेन स्मोकिंग करती और लड़के की दुनिया धुआँ धुआँ हो उठती। वो चाहता चखना उसके होंठ लेकिन नहीं छूना चाहता सिगरेट का एक कश भी। लड़के की उँगलियों में सिर्फ़ बुझी हुयी माचिस की तीलियाँ रहतीं। लड़की को लाइटर से सिगरेट जलाना पसंद नहीं था। लड़के को धुएँ की गंध पसंद नहीं थी। धुएँ के पीछे गुम होती लड़की की आँखें भी नहीं। लड़की के बालों से धुएँ की गंध आती। लड़का उसके बालों में उँगलियाँ फिराता तो उसकी उँगलियों से भी सिगरेट की गंध आने लगती। लड़के की मर्ज़ी से बादल नहीं चलते वरना वो उन्हें हुक्म देता कि तब तक बरसते रहें जब तक लड़की की सारी सिगरेटें गीली ना हो जाएँ। इत्ती बारिश कि धुल जाए लड़की के बदन से धुएँ की गंध का हर क़तरा। वो चाहता था कि जान सके जिन दिनों लड़की सिगरेट नहीं पीती, उन दिनों उससे कैसी गंध आती है। सिगरेट उसे रक़ीब लगता। लड़की धुएँ की गंध वाले घर में रहती। लड़का जानता कि इस घर का रास्ता मौत ने देख रखा है और वो किसी भी दिन कैंसर का हाथ पकड़ टहलती हुयी मेहमान की तरह चली आएगी और लड़की को उससे छीन कर ले जाएगी। वो लड़की से मुहब्बत करता तो उसका हक़ होता कि लड़की से ज़िद करके छुड़वा भी दे लेकिन उसे सिर्फ़ उसकी फ़िक्र थी…किसी को भी हो जाती। लड़की इतनी बेपरवाह थी कि उसके इर्द गिर्द होने पर सिर्फ़ उसे ज़िंदा रखने भर की दुआएँ माँगने को जी चाहता था।
वो खुले आसमान के नीचे सिगरेट पीती। उसके गहरे गुलाबी होठों को छू कर धुआँ इतराता हुआ चलता कि जैसे जिसे छू देगा वो मुहब्बत में डूब जाएगा। मौसम धुएँ के इशारों पर डोलते। जिस रोज़ लड़की उदास होती, बहुत ज़्यादा सिगरेट पीती…आँसू उसकी आँखों से वाष्पित हो जाते और शहर में ह्यूमिडिटी बढ़ जाती। सब कुछ सघन होने लगता। कोहरीले शहर में घुमावदार रास्ते गुम हो जाते। यूँ ये लड़की का जाना पहचाना शहर था लेकिन था तो तिलिस्म ही। कभी पहाड़ की जगह घाटियाँ उग आतीं तो कभी सड़क की जगह नदी बहने लगती। लड़की गुम होते शहर की रेलिंग पकड़ के चलती या कि लड़के की बाँह। लड़का कभी कभी काली शर्ट पहनता। उन दिनों वो अंधेरे का हिस्सा होता। सिर्फ़ माचिस जलाने के बाद वाले लम्हे में उसकी आँखें दिखतीं। शहद से मीठीं। शहद रंग की भीं। उससे मिल कर लड़की का दुखांत कहानियाँ लिखने का मन नहीं करता। ये बेइमानी होती क्यूँकि पहाड़ के क़िस्सों में हमेशा महबूब को किसी घाटी से कूद कर मरना होता था। लड़की को सुख की कल्पना नहीं आती थी ठीक से। प्रेम के लौट आने की कल्पना भी नहीं। यूँ भी पहाड़ों में शाम बहुत जल्दी उतर आती है। लड़की उससे कहती कि शाम के पहले आ जाया करे। वो जानती थी कि जब वो लड़के की शर्ट की बाँह पकड़ कर चलती है तो उसकी सिगरेट वाली गंध उसकी काली शर्ट में जज़्ब हो जाती है। फिर बेचारा लड़का रात को ही ठंढे पानी में पटक पटक कर सर्फ़ में शर्ट धोता था ताकि धुएँ की गंध उसके सीने से होते हुए उसके दिल में जज़्ब ना हो जाए। धुएँ की कोई शक्ल नहीं होती, जहाँ रहता है उसी की शक्ल अख़्तियार कर लेता है। अक्सर लड़की से मिल कर लौटते हुए लड़का देखता कि घरों की चिमनी से उठता धुआँ भी लड़की की शक्ल ले ले रहा है।
लड़की सिगरेट पीने जाती तो आँख के आगे बादल आते और धुआँ। वो चाहती कि बालों का जूड़ा बना ले। या कि गूँथ ले दो चोटियाँ कि जहाँ धुएँ की घुसपैठ ना हो सके। मगर उसकी ज़िद्दी उँगलियाँ खोल देतीं जो कुछ भी उसके बालों में लगा हुआ होता, क्लचर, रबर बैंड, जूड़ा पिन। खुले बालों में धुआँ जा जा के झूले झूलता। लड़के को समझ नहीं आता, क़त्ल का इतना सामान होते हुए भी लड़की ने सिगरेट को क्यूँ चुना है अपना क़ातिल। उससे कह देती। वो अपने सपनों में चाकू की धार तेज़ करता रहता। लड़की की सफ़ेद त्वचा के नीची दौड़ती नीली नसों में रक्त धड़कता रहता। लड़का उसके ज़रा पीछे चलता तो देखता उसके बाल कमर से नीचे आ गए हैं। उसकी कमर की लोच पर ज़रा ज़रा थिरकते। लड़की अक्सर किसी संगीत की धुन पर थिरकती चलती। उसके पीछे चलता हुआ वो हल्के से उसके बाल छूता…उसकी हथेली में गुदगुदी होती।
उन्हें आदत लग रही थी एक दूसरे की…लड़के को पासिव स्मोकिंग की…लड़की को रास्ता भटक जाने की। या कि उसके बैग में सिगरेट, माचिस वग़ैरह रख देने की। लड़की देखती धुआँ लड़के को चुभता। इक रोज़ जिस जगह लैम्पपोस्ट हुआ करता था वहाँ बड़े बड़े काँटों वाली कोई झाड़ी उग आयी। लड़के ने सिगरेट जलाने के लिए अंधेरे में माचिस तलाशी तो उसकी ऊँगली में काँटा चुभ गया। अगली सुबह लड़की की नींद खुली तो उसने देखा ऊँगली पर ज़ख़्म उभर आया है, ठीक उसी जगह जहाँ लड़के को काँटा चुभा था। ये शुरुआत थी। कई सारी चीज़ें जो लड़के को चुभती थीं, लड़की को चुभने लगीं। जैसे कि एक दूसरे से अलग होने का लम्हा। वे दिन जब उन्हें मिलना नहीं होता था। वे दिन जब लड़का शहर से बाहर गया होता था। कोई हफ़्ता भर हुआ था और लड़की बहुत ज़्यादा सिगरेट पीने लगी थी। ऐसे ही किसी दीवाने दिन लड़की जा के अपने बाल कटा आयी। एकदम छोटे छोटे। कान तक। उस दिन के बाद से शहर का मौसम बदलने लगा। तीखी धूप में लड़के की आँखें झुलसने लगी थीं। गरमी में वो काले कपड़े नहीं पहन सकता। जिन रातों में उसका होना अदृश्य हुआ करता था उन रातों में अब उसके सफ़ेद शर्ट से दिन की थकान उतरती। वो नहीं चाहता कि लड़की उसकी शर्ट की स्लीव पकड़ कर चले। यूँ भी गरमियों के दिन थे। वो अक्सर हाफ़ शर्ट या टी शर्ट पहन लिया करता। लड़की को उसका हाथ पकड़ कर चलने में झिझक होती। इसलिए बस साथ में चलती। सिगरेट पर सिगरेट पीती हुयी। अब ना बादल आते थे ना उसके बाल इतने घने और लम्बे थे कि धुआँ वहाँ छुप कर बादलों को बुलाने की साज़िश रचता। लड़का उसकी कोरी गर्दन के नीचे धड़कती उसकी नस देखता तो उसके सपने और डरावने हो जाते। लड़की के गले से गिरती ख़ून की धार में सिगरेटें गीली होती जातीं। लड़का सुबकता। लड़की के सर में दर्द होने लगता।
उनके बीच से धुआँ ग़ायब रहने लगा था। धुएँ के बग़ैर चीज़ें ज़्यादा साफ़ दिखने लगी थीं। जैसे लड़की को दिखने लगा कि लड़के की कनपटी के बाल सफ़ेद हो गए हैं। लड़के ने नोटिस किया कि लड़की के हाथों पर झुर्रियाँ पड़ी हुयी हैं। कई सारी छोटी छोटी चीज़ें उनके बीच कभी नहीं आती थीं क्यूँकि उनके बीच धुआँ होता था। लड़की ने सिगरेट पीनी कम करके वैसी होने की कोशिश की जैसी उसके ख़याल से लड़के को पसंद होनी चाहिए। चाहना का लेकिन कोई ओर छोर नहीं होता। लड़की ने सिगरेट पीनी लगभग बंद ही कर दी थी। लेकिन किसी किसी दिन उसका बहुत दिन करता। ख़ास तौर से उन दिनों जब धूप भी होती और बारिश भी। ऐसे में अगर वो सिगरेट पी लेती तो लड़का उससे बेतरह झगड़ता। सिगरेट को दोषी क़रार देता कि उन दोनों के बीच हमेशा किसी सिगरेट की मौजूदगी रहती है। लड़की कितना भी कम सिगरेट पीने की कोशिश करती, कई शामों को उसका अकेलापन उसे इस बेतरह घेरता कि वो फिर से धुएँ वाले घर में चली जाती। वहाँ से उसके लौटने पर लड़का बेवफ़ाई के ताने मारता। इन दिनों लड़के के बैग में ना माचिस होती थी, ना सिगरेट के ख़ाली डिब्बे। इन दिनों लड़की का दिल भी ख़ाली ख़ाली रहता। और मौसम भी।
वो एक बेहद अच्छी लड़की हो गयी थी इन दिनों…और इन्ही दिनों लड़के को लगता था, उसे किसी बुरी लड़की से इश्क़ हुआ था…किसी बुरी लड़की से इश्क़ हो जाना चाहिए।