20 November, 2009

मेरी खोयी हुयी सुबह

कहीं खो गई थी एक सुबह
उसकी तलाश में जाना पड़ा मुझे
रात के ठहरे हुए पहर में उठ कर

ध्रुव तारा डूबने को तैयार नहीं था
खींच कर लाना पड़ा क्षितिज से सूरज
ताकि सुबह मेरी उनींदी पलकों से उग सके

ये वो खोयी हुयी सुबह नहीं थी लेकिन
जिससे होकर मैं तुम्हारे घर तक पहुँच सकती
और खोल सकती बिना सांकल वाला दरवाजा

तुमने आँखें खोलने से इनकार कर दिया
लावारिस हो गई मेरी लायी हुयी सुबह
और अजनबी हो गया मुझमें पलता हुआ शहर

रात खफा होके दूर चली गई मुझसे
थक गई आँखें चुंधियाती रौशनी में
सपना नहीं रहा...तुम मेरे कोई नहीं रहे

भोर, सांझ, बीच दिन...थोड़ी रात
एक अबोला तुम बिन
मैं तुम्हारी कुछ नहीं रही...तुम मेरे कोई नहीं रहे

17 comments:

  1. उनींदी पलकों पर उगी सुबह पहली बार देखी.. भली और मासूम लगी ..

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  2. सुन्दर लगी अभिव्यक्ति! कहीं डूबी हुई सी...

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  3. रात खफा होके दूर चली गई मुझसे
    थक गई आँखें चुंधियाती रौशनी में
    सपना नहीं रहा...तुम मेरे कोई नहीं रहे

    भोर, सांझ, बीच दिन...थोड़ी रात
    एक अबोला तुम बिन
    मैं तुम्हारी कुछ नहीं रही...तुम मेरे कोई नहीं रहे

    kya baat hai , bahut khoob !

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  4. भोर, सांझ, बीच दिन...थोड़ी रात
    एक अबोला तुम बिन
    मैं तुम्हारी कुछ नहीं रही...तुम मेरे कोई नहीं रहे...azeeb sa dard lga....tum mere koee nahi ya main tumhari koee nahi aisa nahi hota..hum rishto ko kabhi bhi todh nahi sakte bas kahi band kar ke rakh dete hai.....jab bhi dekhna wo wahi honge......jaha rakhe honge.....

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  5. ध्रुव तारा डूबने को तैयार नहीं था
    खींच कर लाना पड़ा क्षितिज से सूरज
    ताकि सुबह मेरी उनींदी पलकों से उग सके
    Bahut acchi rachna hai.......
    or khi shama-shama sa dard bhi hai jo chupke dil ki dansta suna gya....

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  6. ध्रुव तारा डूबने को तैयार नहीं था
    खींच कर लाना पड़ा क्षितिज से सूरज

    तुमने आँखें खोलने से इनकार कर दिया
    लावारिस हो गई मेरी लायी हुयी सुबह
    और अजनबी हो गया मुझमें पलता हुआ शहर

    ... बहुत जबरदस्त पंग्तियाँ... स्तरीय भी... सार्थक

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  7. पता चला है कि शौपिंग करने निकल रही हो(कहीं तुम्हारे कमेंट में पढ़ा था)? जाओ और मेरे लिये भी शौपिंग कर लेना.. मैं आने वाले साप्ताहांत पर तुम्हारे शहर में ही रहूंगा.. :)

    झूठी वाह-वाह नहीं करूंगा.. कविता तो बहुत अच्छी है मगर तुम्हारे स्टैंडर्ड की नहीं लगी.. तुम इससे भी अच्छा लिखती हो.. :)

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  8. एक ख्याल को खींच कर लम्बा कर दिया.. और क्या खूबसूरत खींचा है... बहुत खूब
    आज़ादी एन्जॉय कर रही हो.. लगता है

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  9. बहुत दिनों बाद फॉर्म में आयी हो.......एक सेंचुरी फिर अपने नाम कर ली......इसी पूजा से तो दोस्ती की थी पहली बार......

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  10. सोचा कि "अच्छी है" लिख कर निकल लूं...फिर पीडी के कमेंट पे नजर गयी...हम्म्म्म!

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  11. कहीं खो गई थी एक सुबह
    उसकी तलाश में जाना पड़ा मुझे
    रात के ठहरे हुए पहर में उठ कर

    ..... Aishi hi hota hai..kai baar subah kho jaati hai to use laana padta hai .....aati nahi ....

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  12. कहीं खो गई थी एक सुबह
    उसकी तलाश में जाना पड़ा मुझे
    रात के ठहरे हुए पहर में उठ कर

    ..... Aishi hi hota hai..kai baar subah kho jaati hai to use laana padta hai .....aati nahi ....

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