tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post7398654109692355211..comments2024-03-16T10:24:55.941+05:30Comments on लहरें: गुरुदत्त को जानना एक अदम्य, अतृप्त प्यास से पूरा भर जाना हैPuja Upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-91380515118402052362017-01-10T00:33:10.284+05:302017-01-10T00:33:10.284+05:30शुक्रिया Rushikesh। इतनी पुरानी पोस्ट पर आप जाने क...शुक्रिया Rushikesh। इतनी पुरानी पोस्ट पर आप जाने क्या तलाशते हुए आए अनायास चले आए...सुखद रहा आपका आना और बताना भी। Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-55738371968262151932017-01-07T12:32:29.850+05:302017-01-07T12:32:29.850+05:30अनायास, यकायक इस ब्लाग पे पहुंच गया । दो-तीन बार प...अनायास, यकायक इस ब्लाग पे पहुंच गया । दो-तीन बार पढ़ा Content, subject, style, diction,structure.. सभी आयाम वश में कर लिये ।... अप्रतिम !!Rushikeshhttps://www.blogger.com/profile/04482981875440501346noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-79863792967322150862012-05-02T02:15:51.103+05:302012-05-02T02:15:51.103+05:30बहुत अच्छे। आगे की कथा का इंतज़ार है।बहुत अच्छे। आगे की कथा का इंतज़ार है।Dharnihttps://www.blogger.com/profile/11988701220844256208noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-50277255519191517902012-04-29T13:35:43.713+05:302012-04-29T13:35:43.713+05:30फिल्म या किताब हमें वो पसंद आती है जिसमें कहीं न क...फिल्म या किताब हमें वो पसंद आती है जिसमें कहीं न कहीं कुछ ऐसा मिल जाता है जो हमारे जीवन से जुड़ा होता है...<br /><br />बिल्कुल सहमत हूँ इस बात से। अबरार अलवी की किताब के कुछ अंश पढ़े थे जब वो अहा जिंदगी में छपा था। वैसे मुझे ये पोस्ट छोटी लगी..शायद गुरुदत का पेचीदा व्यक्तित्व इसकी वज़ह हो।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-31982663418767939692012-04-28T13:32:49.828+05:302012-04-28T13:32:49.828+05:30मुझे भी गुरुदत्त पर लिखे अगले पोस्ट का इंतज़ार रहे...मुझे भी गुरुदत्त पर लिखे अगले पोस्ट का इंतज़ार रहेगा ......., मैं आपका ब्लॉग काफी टाइम से पढ़ रहा हूँ ...काफी अच्छा लिखती हैं . गुरुदत्त मेरे भी पसंदीदा हैं .PRAVEENhttps://www.blogger.com/profile/16941654660879451833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-76518291765081000752012-04-25T21:11:19.066+05:302012-04-25T21:11:19.066+05:30हाँ..पूजा,हर का अपना-अपना नज़रिया है .मैं दुखी उनकी...हाँ..पूजा,हर का अपना-अपना नज़रिया है .मैं दुखी उनकी उलझनों को लेकर और उनकी बार बार कही इस बात को लेकर हुई ..कि ,मैं तुम्हें क्या दे पाउँगा...तुम किसी और से शादी करतीं ..मैं तुम्हें बहुत चाहता हूँ..जब मैं चला जाऊँगा ,तब ...<br />पूजा..इस बात से सहमत हूँ कि पीड़ा,दुःख सर्जन में जितना सहायक होते हैं ..उतनी सहायता खुशी नहीं करती.<br />तुम खूब लिखो...बहुत अच्छा लिखती हो...सीधा दिल में उतर जाता है .Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-47460459985698474282012-04-25T14:29:57.661+05:302012-04-25T14:29:57.661+05:30पूजा , गुरुदत पे लेख जारी रखना .....
अपना बचपन और ...पूजा , गुरुदत पे लेख जारी रखना .....<br />अपना बचपन और जवानी के यादेँ कौन याद नही करना <br />चाहेगा .....एहसासों को महसूस करने का संगम! नाम गुरुदत!<br />खुश रहो !अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-32706607446968054162012-04-25T10:07:50.211+05:302012-04-25T10:07:50.211+05:30बिलकुल अलग थलग. गुरुदत्त जी का मैं बचपन से प्रशंशक...बिलकुल अलग थलग. गुरुदत्त जी का मैं बचपन से प्रशंशक रहा हूँ. आभार.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-90143974258294890722012-04-25T10:03:42.931+05:302012-04-25T10:03:42.931+05:30हिंदी अंतरजाल और हिंदी का पाठक तो पता नहीं क्या पढ...हिंदी अंतरजाल और हिंदी का पाठक तो पता नहीं क्या पढ़ना चाहता है...हम तो यहाँ वो लिखते रहते हैं जो हम लिखना चाहते हैं :) :)<br />आगे की पोस्ट्स आएँगी...इसे खत्म करूँ तो कुछ और सोचने की जगह बचे...अभी पूरा दिन गुरुदत्त साहब अपने नाम लिखवा देते हैं.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-80206365760887500102012-04-25T09:22:29.954+05:302012-04-25T09:22:29.954+05:30अभी एक बार पढ के जा रहा हूं । सच कहूं तो आज ऐसे ही...अभी एक बार पढ के जा रहा हूं । सच कहूं तो आज ऐसे ही लेखन की बहुत जरूरत है पूजा जी । हिंदी अंतर्जाल के लिए और हिंदी के पाठकों के लिए । पिछली पोस्टों को भी पढने का मन है । आता हूं फ़ुर्सत से जल्दी ही । और हां अगली पोस्टों की प्रतीक्षा रहेगी मुझे भीअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-8391673451100572652012-04-25T08:50:20.836+05:302012-04-25T08:50:20.836+05:30aur post kariye Guruudutt par ...aur post kariye Guruudutt par ...पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-62643736760876551492012-04-24T23:28:20.791+05:302012-04-24T23:28:20.791+05:30:) :) हमनी भोजपुरी बूझातानी लेकिन बोली नइखे आइल बा...:) :) हमनी भोजपुरी बूझातानी लेकिन बोली नइखे आइल बा. <br /><br />लिखती हूँ आगे :)Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-89025398389854138602012-04-24T23:25:20.722+05:302012-04-24T23:25:20.722+05:30गुरुदत्त मेरे पसंदीदा निर्देशक हैं...कोशिश करूंगी ...गुरुदत्त मेरे पसंदीदा निर्देशक हैं...कोशिश करूंगी आगे भी कड़ी में उनकी विचार प्रक्रिया पर कुछ रौशनी डाल सकूं.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-45651358702627954322012-04-24T23:24:03.829+05:302012-04-24T23:24:03.829+05:30चिट्ठियां पढ़ने पर इतना उदास होने जैसी कोई बात तो ...चिट्ठियां पढ़ने पर इतना उदास होने जैसी कोई बात तो मुझे नहीं दिखी...एक कलाकार के जीवन में इतनी उथल-पुथल तो लिखी होती है...इसके बिना उसमें सृजन करने की इच्छा जन्म नहीं लेगी. रचना हमेशा पीड़ा से उपजती है...मुझे उनकी चिट्ठियां एक बेहद संवेदनशील और कुछ उलझे व्यक्तित्व की झलक दिखाती महसूस हुयीं. <br /><br />लेकिन...अपना अपना नजरिया है...शायद मैं objective hokar ise approach kar rahi hoon aur aap subjective hokar.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-89264778438619880612012-04-24T23:22:16.604+05:302012-04-24T23:22:16.604+05:30गंरुदत्त की बातें करते लहरें, अलग सा लय पा रही है...गंरुदत्त की बातें करते लहरें, अलग सा लय पा रही हैं, सधी हैं, आगे प्रतीक्षा है.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-87138005529974633312012-04-24T23:20:24.400+05:302012-04-24T23:20:24.400+05:30शुक्रिया अभी...सोच रही हूँ कि इसपर विस्तार से लिखू...शुक्रिया अभी...सोच रही हूँ कि इसपर विस्तार से लिखूं. ऐसा कुछ लिखना बहुत समय खाता है मेरा...एक पोस्ट लिखने के लिए पूरा दिन लग जाता है और ध्यान देकर पढ़ना पड़ता है...नोट्स बनाने होते हैं...तब भी जो लिखती हूँ उसमें सुधार की हज़ार गुंजाइशें दिखती हैं कि ये पक्ष छूट रहा है, जो सोच रही हूँ ठीक ठीक शब्दों में आया कि नहीं...<br /><br />पूरी कोशिश करूंगी कि कमसे कम कुछ और पोस्ट तो गुरुदत्त या फिल्मों पर लिख ही दूं.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-91156504516987280072012-04-24T23:16:53.144+05:302012-04-24T23:16:53.144+05:30कल इस पक्ष पर रौशनी डालते हुए लिखने की कोशिश करती ...कल इस पक्ष पर रौशनी डालते हुए लिखने की कोशिश करती हूँ...गुरुदत्त वैसे क्यूँ थे बहुत हद तक समझ आता है मुझे. यहाँ लिखना शुरू करूंगी तो पोस्ट यहीं बन जायेगी :) डीटेल में लिखती हूँ. <br /><br />पसंद करने का शुक्रिया...कोशिश करूंगी कि गुरुदत्त को जितना समझती हूँ पन्नों पर उकेर सकूं.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-36364819636383803742012-04-24T22:19:24.926+05:302012-04-24T22:19:24.926+05:30सनीमा के बारे मंs एतना जानकारी हमरा के नइखे..बाकी ...सनीमा के बारे मंs एतना जानकारी हमरा के नइखे..बाकी गुरुदत्त के बारे मंs तोहार लिखल थीसिस पढ़े के आनन्द कुछ अस्पेसल बा। <br />@ मैं कभी कुछ ऐसा करूंगी तो हिंदी में ही करूंगी. <br />हिन्दी खातिर तोहार परेम से अभिभूत बानी। हम जानतानी पूजा एक दिन मील का पत्थर ज़रूर बनी। तोहार क्रिएटिविटी अद्भुते बा। परतीक्षा करब ...बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-37061604249361008952012-04-24T21:31:01.369+05:302012-04-24T21:31:01.369+05:30मैंने अभी कुछ दिन पहले ही वो ३७ चिट्ठियाँ पढ़ीं.......मैंने अभी कुछ दिन पहले ही वो ३७ चिट्ठियाँ पढ़ीं.....खूब रोयी..कितने दिन मन भी खराब रहा ..सब जीनियस ऐसे क्यूँ होते हैं?Nidhihttps://www.blogger.com/profile/07970567336477182703noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-34433120995784907652012-04-24T21:24:26.005+05:302012-04-24T21:24:26.005+05:30मैं जानना चाहता हूँ कि एक अत्यंत प्रतिभाशाली कलाका...मैं जानना चाहता हूँ कि एक अत्यंत प्रतिभाशाली कलाकार में किस तरह आत्मघात की तीव्र प्रवृत्तियां घर करने लगती है.क्यों उनका जीवन पतझड़ की उदास शाम में खाली पड़ी बेंच सा हो जाता है.कुछ ऐसा ही गुरुदत्त के साथ भी था न?<br /><br />बहुत पसंद आया गुरुदत्त पर इस तरह शुरू करना.श्रंखला जारी रहे.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-18378125998815493102012-04-24T21:18:40.615+05:302012-04-24T21:18:40.615+05:30गुरुदत्त फिल्म मेकिंग का इनसाइक्लोपीडिया हैं, उनकी...गुरुदत्त फिल्म मेकिंग का इनसाइक्लोपीडिया हैं, उनकी फिल्मों के शोट सेलेक्शन वाकई अदभुत होते थे | उस समय जो तकनीकी उपलब्ध थी उसको देखते हुए तो और भी लगता है कि कैसे शूट किये होंगे | "ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है " गीत के पिक्चराईजेशन में जो मूविंग कैमरा प्रयोग में लाया गया है वो वाकई काबिल-ए-तारीफ़ है | कसी हुई स्क्रिप्ट, बेहतरीन संगीत और सबसे बड़ी बात गीत कहानी में गुंथे हुए, जो कहीं से बनावटी नहीं लगते | मैं खुद बहुत बड़ा फैन हूँ |<br /><br />बाकी इन समीक्षाओं, डॉक्यूमेंट्री को हिंदी में पढ़ना सुनना अच्छा लगेगा |देवांशु निगमhttps://www.blogger.com/profile/16694228440801501650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-36301820223972541812012-04-24T20:15:41.880+05:302012-04-24T20:15:41.880+05:30saarthak post, aabhaar.saarthak post, aabhaar.S.N SHUKLAhttps://www.blogger.com/profile/16733368578135625431noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-34197565271481121122012-04-24T20:14:05.850+05:302012-04-24T20:14:05.850+05:30फिल्म को पहले से बाँधना सृजनात्मकता के साथ अन्याय ...फिल्म को पहले से बाँधना सृजनात्मकता के साथ अन्याय है, नहीं बाँधना समय के साथ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-360120818543733692012-04-24T19:58:39.869+05:302012-04-24T19:58:39.869+05:30पता है हर ब्लॉग के पढ़ने का मेरा एक मूड होता है, औ...पता है हर ब्लॉग के पढ़ने का मेरा एक मूड होता है, और जब होता है तभी पढता हूँ..शायद इसलिए आपके ब्लॉग के पिछले तीन पोस्ट पढ़े नहीं मैंने...सोचा था पढूंगा, लेकिन आज गुरुदत्त के बारे में आपने लिखा और पिछले कुछ दिनों से आप इनकी चर्चा करती रहीं, तो बिना पढ़े रहा ही नहीं गया...<br /><br />मैंने प्यासा फिल्म पहले भी देखी थी, बचपन में..लेकिन अच्छे से तब देखी जब मैं इंजीनियरिंग के पांचवें सेमेस्टर में था..सी.डी खरीदी थी इस फिल्म की..घर लेकर गया वो सीडी तो पता चला की माँ को भी गुरुदत्त पसंद थे...एक दो युहीं कॉमन से किस्से सुने भी उनसे मैंने..शायद उसी समय से गुरुदत्त के फिल्मों के प्रति मेरा इंटरेस्ट बढ़ा...<br /><br />और ये पोस्ट तो कमाल की है, सीरीज युहीं जारी रखियेगा ताकि हमें भी अच्छे अच्छे किस्से सुनने को मिले उनके!!<br /><br />बहुत ही बढ़िया पोस्ट है!!abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.com