tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post6256060381346046481..comments2024-03-16T10:24:55.941+05:30Comments on लहरें: धधकते ज्वालामुखीPuja Upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-70040290878706322282011-02-23T23:21:07.134+05:302011-02-23T23:21:07.134+05:30हाँ ! इतना पढने-लिखने के बाद भी अलग अलग सामाजिक, प...हाँ ! इतना पढने-लिखने के बाद भी अलग अलग सामाजिक, पारिवारिक कानून.......छि: कितने दोगले परिवार और समाज में रहते हैं हम....जी चाहता है जला डालूँ इस सोच को.....जों बाहर से तो मॉडर्न होने के लिए बराबरी का ढोंग करते हैं.....और अन्दर से खोखले हैं....कन्फ्यूजन में जी रहे है...जानते भी नहीं के ऐसे कब तक जीना ....कुछ ज्यादा इमोशनल हो गईप्रियाhttps://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.com