tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post5848745825820205654..comments2024-03-16T10:24:55.941+05:30Comments on लहरें: तीस तक पहुँचने वाले कुछ सालPuja Upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-84370186872510329312010-12-18T12:08:00.555+05:302010-12-18T12:08:00.555+05:30तीस और उसके बाद एक हल्का सा दर्द कोहनी के ऊपर बनने...तीस और उसके बाद एक हल्का सा दर्द कोहनी के ऊपर बनने लगता है.. डॉक्टरी भाषा में 'हाई ब्लड प्रेशर'... यह दर्द दुनिया कि समझदारी को समझते हुए बनता है.. शायद सबको नहीं होता हो , ऊपर किसी ने ठीक ही कहा 'दिमागी उम्र का कोई बर्थ सर्टीफिकेट नहीं होता'Manoj Khttps://www.blogger.com/profile/06707542140412834778noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-81867460954540905022010-12-15T13:29:57.639+05:302010-12-15T13:29:57.639+05:30बाकी ऊपर विचारों को सुलझे और बेहतर तरीके से रख पान...बाकी ऊपर विचारों को सुलझे और बेहतर तरीके से रख पाने के लिए सराहना की गयी है और परम्परारिक पुरुषवादी दृष्टिकोण का मुजाहिरा किया गया है <br />आज मैंने भी पढ़ा ... "टर्निंग ३०" फिल्म के बारे में जिसमें गुल पनाग मुख्य भूमिका में होंगी...सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-919858531031689642010-12-14T19:38:36.791+05:302010-12-14T19:38:36.791+05:30aap har dfa dil ko chhoo lene wali hakikat likhti ...aap har dfa dil ko chhoo lene wali hakikat likhti hain........<br /><br />aapka bahut abhar .......jo ki aap apni nizi soch ko hamare samksh rakhti hain..........fir se abhari hoon.....गौरव कुमार *विंकल*https://www.blogger.com/profile/17534002721132102207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-78724240692998534142010-12-14T19:38:35.824+05:302010-12-14T19:38:35.824+05:30aap har dfa dil ko chhoo lene wali hakikat likhti ...aap har dfa dil ko chhoo lene wali hakikat likhti hain........<br /><br />aapka bahut abhar .......jo ki aap apni nizi soch ko hamare samksh rakhti hain..........fir se abhari hoon.....गौरव कुमार *विंकल*https://www.blogger.com/profile/17534002721132102207noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-42123950359617755602010-12-14T12:15:56.903+05:302010-12-14T12:15:56.903+05:30पता नहीं ..याद करने की कोशिश कर रहा हूँ......तीस क...पता नहीं ..याद करने की कोशिश कर रहा हूँ......तीस की उम्र में किस मोड़ पे खड़ा था आइने के अलावा उम्र का जिक्र रोज कोई नहीं करता .यूँ भी कभी जिंदगी को कभी उम्र के खानों में नहीं रखा .....हाँ बस कुछ चीजों का क्रम बदला है......ओर दिल ओर दिमाग के बीच नये फ़िल्टर. अपने अलग अलग साइज़ के साथ फिट हुए है ....<br />तीस क्या ..मैंने अडतीस की लडकिया भी देखी है ओर ४२ की भी.... ..<br />यूँ भी दिल के जुदा खानों में कही एक टीन बैठा है....कही ...एक बागी नौजवान....ओर कही एक समझौता परस्त दुनियादार.....<br /><br />वैसे उम्र का समझदारी से रिलेशन ......खुदा ने सबके वास्ते कम्पलसरी नहीं रखा हैडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-87088443155912202502010-12-13T22:15:06.199+05:302010-12-13T22:15:06.199+05:30सुबह जब सरसरी निगाह डाली तुम्हारी पोस्ट पर ....ठीक...सुबह जब सरसरी निगाह डाली तुम्हारी पोस्ट पर ....ठीक से कुछ समझ नहीं आया....वो टी.वी पर न्यूज़ देखी थी....सॉफ्टवेर इंजिनीअर ने किस बेदर्दी से अपनी वाइफ का मर्डर कर दिया....सो लड़की के लड़की होने और शादी-वादी जैसी चीजों से नाराज़गी थी....<br /><br />लिखा तो गज़ब है ....एक नई पूजा निकल कर सामने आई है....कुल मिलाकर इस पोस्ट ने एक नजरिया तो दिया हमें....संगीता जी ने जिन पंक्तियों का जिक्र किया वो भी क्या खूब है.....लेकिन हमने देखा है ऐसी लड़कियों को भी जों १५ की उम्र में ३० की सोच रखती हैं और कुछ ३० की उम्र में १६ की. हालात, परिवेश, मानसिकता, शिक्षा, व्यवसाय बहुत चीजे हैं ......अरे हाँ! १४ के बाद दुनिया सब सिखा देती है .....इसीलिए छटवी इन्द्रिय तेज होती है ....इरादे भापते जरा देर नहीं लगती :-)प्रियाhttps://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-18298724589286738232010-12-13T15:30:20.503+05:302010-12-13T15:30:20.503+05:30अच्छा लगा पढ़ कर!!!
जिंदगी तो बिन बंटे चलती ही चली...अच्छा लगा पढ़ कर!!!<br /><br />जिंदगी तो बिन बंटे चलती ही चली जायेगी कई मील के पत्थर पार करते हुए...!<br /><br />शुभकामनाएं!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-28212259739724755412010-12-13T15:24:18.204+05:302010-12-13T15:24:18.204+05:30@आराधना...दुनिया के पास बहुत फुर्सत है न इसलिए...त...@आराधना...दुनिया के पास बहुत फुर्सत है न इसलिए...तुम चिंता मत करो...कहीं कुछ नहीं बदलता है. वो जैसे १३ को लेकर लोग डराते हैं न, वैसे ही :)Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-47321310201808077432010-12-13T15:15:55.420+05:302010-12-13T15:15:55.420+05:30just wait. हम कुछ दिनों में एक पोस्ट लिखने वाले है...just wait. हम कुछ दिनों में एक पोस्ट लिखने वाले हैं "तीस के होने के बाद"<br />सबसे पहले तो आपके लिए कुछ बदले ना बदले, दुनिया के लिए आप बदल जाती हैं और साथ ही दुनिया आपको ये सोचने को भी मजबूर कर देती है कि आपमें कुछ बदल गया है.<br />दूसरी बात जो तुमने कही कि बच्चे के लिए जिद. मैं अभी शादी करना चाहूँ या ना चाहूँ, लोग इस बात का इतना डर दिखाते हैं कि लगता है 'यार कर लो' एक अनचाहा दबाव.<br />मुझे एकदम से तीस के होने का पता ही नहीं चला. बीएस एक बात का अफ़सोस हुआ कि अब मैं सिविल का एक्ज़ाम नहीं दे पाऊँगी, मैंने अपना सारा समय पी.एच.डी. करने में लगा दिया, वहीं साथ के और लोग ये परीक्षा दे रहे हैं, तो अफ़सोस होता है. इसके आलावा मेरी ज़िंदगी में तो कुछ नहीं बदला है, हाँ दुनिया अब तुली हुयी है, ये सोचने को मजबूर करने के लिए.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-75947546846659209712010-12-13T14:46:35.521+05:302010-12-13T14:46:35.521+05:30@सागर, ये कोई पहेलियाँ बुझाने की जगह लग रही है तुम...@सागर, ये कोई पहेलियाँ बुझाने की जगह लग रही है तुम्हें?<br />हमको बिलकुल नहीं समझ आ रहा कि तुम क्या कह रहे हो.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-74214540252351126612010-12-13T13:03:49.402+05:302010-12-13T13:03:49.402+05:30तुम्हारी सोच कितनी सुलझी हुई है इसी से पता चलता है...तुम्हारी सोच कितनी सुलझी हुई है इसी से पता चलता है... लेकिन देखो हम तानाशाह लोग हैं... ऐसे कहेंगी तो आप से तुम तुम से तू और तू से तेरी तो कहने में हम देर नहीं लगते... झगडा हो जाएगा... <br />आप समझ रही हैं ना हम क्या कह रहे हैं ?सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-12045030923230204222010-12-13T10:39:11.307+05:302010-12-13T10:39:11.307+05:30ab is post par kya kahun....speechless hona, aur b...ab is post par kya kahun....speechless hona, aur bohot bohit saara kuch kehna chaahna....ye dono feelings ek saath kaise handle ki jaayen....?<br /><br />३० साल की रेखा पर पहुँचने वाली ये स्त्री बहुत कुछ सोचती है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है बच्चों की प्लानिंग...आखिर दुनिया के हर माध्यम से यही चिल्लाहट आती है कि ३० के पहले एक बच्चा होना बहुत जरूरी है. इस बारे में अपनी एक मित्र से एक गज़ब की बात सुनी 'अरे औरतें हैं हम, कोई एक्सपायरी डेट के साथ थोड़े आते हैं कि एक्जैक्टली ३० होते ही सब ख़तम, थोड़ा आगे पीछे भी तो हो सकता है'.<br /><br />kya kahun....main to 30 ke aas paas bhi nahin, 23 ki hoon, aur family meri jaan kha chuki hai....ye nahin samajhte ke jo unke liye 'good news' hoga, wahan se meri life ka kya hoga...<br />kuch samajh nahin aata....<br /><br />zyaada nahin bolungi...warna itna bol jaungi ke server congest ho jayega... ;)<br />beautiful post dear....Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-7203369766775899322010-12-13T08:30:28.741+05:302010-12-13T08:30:28.741+05:30पूजा जी आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा... आधुनिक विचा...पूजा जी आपके ब्लॉग पर आकर अच्छा लगा... आधुनिक विचारों और नारी विमर्श को आपने बढ़िया से प्रस्तुत किया है... मैंने अरुण जी की कविता भी पढ़ी थी.. वहां मेरी टिप्पणी आप देख सकते हैं.. आपने जिन मुद्दों को उठाया मैंने पहले ही कह दिया था.. समय मिले कारपोरेट दुनिया से तो इस छोटे शहर की संवेदना से भी जुड़िये... निराश नहीं होंगी आप....कुमार पलाशhttps://www.blogger.com/profile/04395975925949663661noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-4056117734593555862010-12-13T08:26:21.426+05:302010-12-13T08:26:21.426+05:30सुन्दर अभिव्यक्तिसुन्दर अभिव्यक्तिKunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-4104349205153798582010-12-12T21:06:12.899+05:302010-12-12T21:06:12.899+05:30पूजा जी आप हमारे ब्लॉग पर आयी और आपने ब्लॉग पर आपक...पूजा जी आप हमारे ब्लॉग पर आयी और आपने ब्लॉग पर आपके कमेन्ट को पढ़ते हुए मैं आपके ब्लॉग पर पहुंचा.. वहां भी ३० की उम्र की लड़कियों के बारे में बात देखी तो एक बात साफ हो गई कि आप और मैं ३० की उम्र की स्त्रिओं के बारे में सोच रहे हैं.. लिख भी रहे हैं.. आपके कमेन्ट से मैं पूरी तरह सहमत हूँ लेकिन शायद आपने मेरी कविता को जल्दीबाजी में पढ़ ली ... मेरी कविता बस इतना कहती है के वे बेफिक्र नहीं हैं.. इसका कतई मतलब नहीं निकलना चाहिए कि वे दबी, कुचली, डरी हुई हैं... मेरी पात्र अपनी सभी फिक्रों पर लिप ग्लोस लगा कर नई मीटिंग के लिए चल देती है.... वह हिम्मत वाली है.. स्वाभिमानी है... वह मैदान नहीं छोड़ रही है... बाकी मेरी स्त्री पात्र जिस परिवेश में रह रही है वह बहुत बहुत आम है.. और आप यदि सर्वेक्षण कर लें तो वही राय रखेंगी.. बाकी जब मैंने ३० की उम्र की स्त्रियों को लड़की कहा तो आपसे से पहले मेरे बड़े भाई राजेश उत्साही जी ने भी आपति जाहिर की थी और जो उत्तर मैं ने उन्हें दिया यदि आप पढ़ ली होती हो यह ना कहती कि लड़कियों का उपयोग मैंने परेशां करने की पृष्ठभूमि में किया है.. बल्कि मैंने लड़कियों में जो जिजीविषा, जो सपने .. जो हौसला होता है ... उस लिहाज से किया है... बाकी जहाँ था मेरी पुरुषवादी सोच.. जो आप देख रही थी मेरी कविता में वह सोच मेरी कविता 'गरीबी का मैग्नेटिस्म' शीर्षक से एक कविता है वहां मिल जाएगी.. देखिएगा जरुर...<br />....बाकी आपके आलेख में जो ३० की उम्र की स्त्रियाँ हैं वही स्त्रियाँ .. वही सोच ... मेरी ३० की लड़कियों की भी है.. please read between the lines... वंदना जी का विशेष आभार कि आपसे परिचय हुआ..अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-7111734716100707322010-12-12T16:47:48.347+05:302010-12-12T16:47:48.347+05:30पूजा आप अरुण के ब्लाग पर पहुंची थीं और मैं उनके ब...पूजा आप अरुण के ब्लाग पर पहुंची थीं और मैं उनके ब्लाग से आपके ब्लाग तक। उनकी कविता पर कंटेट के लिहाज से आपकी टिप्पणी एकदम जायज है। मैं आपके मत से सहमत हूं। और जो कुछ आपने यहां लिखा है वह पढ़कर और अच्छा लगा। आज की एक सुलझी हुई स्त्री का नजरिया। <br />*<br />आपका फालोअर बनकर जा रहा हूं। आता रहूंगा। संयोग से मैं भी बंगलौर में ही हूं। यूं भोपाल से हूं।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-80002291322222282992010-12-12T16:07:29.763+05:302010-12-12T16:07:29.763+05:30आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के...आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी<br /> प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है<br />कल (13/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट<br /> देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर<br />अवगत कराइयेगा।<br />http://charchamanch.uchcharan.comvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-20384896149803828172010-12-12T15:47:48.505+05:302010-12-12T15:47:48.505+05:30अतीत बहुत सुन्दर लगता है, वर्तमान में रहता कौन है....अतीत बहुत सुन्दर लगता है, वर्तमान में रहता कौन है..भविष्य के विषय में सोचते हुए वर्तमान बीतकर अतीत हो जाता है..यही सत्य है पूजा जी।<br /><br />वैसे आपने इस प्रस्तुति में बहुत कुछ कहा है--------<br />"वैसे कहते हैं कि लड़कियां जल्दी मैच्योर हो जाती हैं. हो नहीं जाती, होना पड़ता है. जब १४ की उम्र में दुनिया आपको सिखाने पर तुली हो कि बस में लड़कियां आगे बैठेंगी और लड़के पीछे तो आप अक्सर सोचती हैं कि बीच वाली चार सीटों पर कौन बैठेगा?"ममता त्रिपाठीhttps://www.blogger.com/profile/11493596033041375660noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-9394309881281245962010-12-12T13:42:59.466+05:302010-12-12T13:42:59.466+05:30वंदना जी, लिंक का शुक्रिया...कविता अभी पढ़ी. तस्वी...वंदना जी, लिंक का शुक्रिया...कविता अभी पढ़ी. तस्वीर का एक और पहलू दिखाती है कविता...थोड़ी नकारात्मक और चीज़ों को सिर्फ उपरी सतह पर लेती हुयी लगी मुझे, जैसी कि कोई पुरुष खुद को समझाना चाहता हो कि ३० पर पहुँच पर भी वो लड़की ही है, और अभी भी उसे परेशान करने को पुरुष वर्ग सक्षम है, सताई हुयी है. ऐसा भी तो हो सकता है न कि औरत वाकई खुश हो...सक्षम हो, सबल हो.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-18151254567731305472010-12-12T13:15:20.290+05:302010-12-12T13:15:20.290+05:30उम्र तब तक कोई प्रभाव नही छोडती जब तक सोच नही बदलत...उम्र तब तक कोई प्रभाव नही छोडती जब तक सोच नही बदलती ……………सब सोच पर निर्भर करता है…………सुन्दर लेखन्……………इसी विषय पर अरुण जी की कविता पढिये कल ही उन्होने लगाई थी।<br />http://aruncroy.blogspot.com/2010/12/blog-post_10.html<br />एक बेफिक्र दिखने वाली लड़की <br />इस लिंक पर पढिए।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-53669447772285129602010-12-12T12:16:13.966+05:302010-12-12T12:16:13.966+05:30जबरदस्त !!
सालो में नहीं बल्कि ज़िन्दगी को बाँटना ...जबरदस्त !!<br />सालो में नहीं बल्कि ज़िन्दगी को बाँटना ही गलत है...हर वक़्त की अपनी खूबसूरती होती है.<br />कौन कितना लिबरल है ये तो आपको थोड़ी देर बात करके ही पता चल जाता है ;)<br /><br />निकट भविष्य में ऐसा ही mood जारी रहे :)डिम्पल मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07224725278715403648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-30013601559605585742010-12-12T11:58:05.814+05:302010-12-12T11:58:05.814+05:30@संगीता जी, कॉफी बहुत अच्छी लगी. रात के आलस को परे...@संगीता जी, कॉफी बहुत अच्छी लगी. रात के आलस को परे धकेल कर बनायीं थी न, तो स्वाद बेहतर आया :)Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-75077531756935271082010-12-12T11:41:53.851+05:302010-12-12T11:41:53.851+05:30मेरा हर तरह का फेमिनिस्म नापने का पैमाना है...किसी...मेरा हर तरह का फेमिनिस्म नापने का पैमाना है...किसी लड़के से इस बारे में बहस छेड़ दो कि लड़कियों को क्या पहनना चाहिए, बस...सब एक लाइन में आ जायेंगे. शोर्ट में पता चल जाता है कि कौन कितना लिबरल है, कौन पोलिटिकल है और कौन सच में ये निर्णय लड़कियों पर छोड़ना चाहता है.<br /><br />सटीक पैमाना है नापने का ....कॉफी कैसी लगी ? :):)संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-42292011864990080902010-12-12T11:33:44.194+05:302010-12-12T11:33:44.194+05:30This comment has been removed by the author.डिम्पल मल्होत्राhttps://www.blogger.com/profile/07224725278715403648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-45374218793562179562010-12-12T11:14:34.152+05:302010-12-12T11:14:34.152+05:30खतरनाक पोस्ट है जी..बोले तो पचास साल मे लिखी जाने ...खतरनाक पोस्ट है जी..बोले तो पचास साल मे लिखी जाने वाली..खैर दिमागी उमर का बर्थ सर्टिफ़िकेट से कोई ताल्लुक नही होता :-)<br />..और देखें तो जिंदगी मे अपने से आगे वाले सालों के कम्पार्टमेन्ट मे इमेजिनेशन ज्यादा होता है..तो उम्र के पहाड़ पर बैठ नीचे देखने मे चीजें ज्यादा साफ़ नजर आती हैं..यहाँ तो पूरा काम्बिनेशन है..<br /><br />अब भविष्य का इंतजार करते हैं!अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.com