tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post408346935186487160..comments2024-03-16T10:24:55.941+05:30Comments on लहरें: ऐसा भी एक दिन ऑफिस का...Puja Upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comBlogger24125tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-42553324108513472632009-06-10T12:16:52.811+05:302009-06-10T12:16:52.811+05:30डाक्टर ..जन्मदिन मुबारक हो...कहाँ हैं मोहतरमा..यहा...डाक्टर ..जन्मदिन मुबारक हो...कहाँ हैं मोहतरमा..यहाँ सब केक के का राग गा रहे हैं...अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-47152140263836267902009-06-10T09:44:50.223+05:302009-06-10T09:44:50.223+05:30जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं.पहले से बताया होता त...जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं.पहले से बताया होता तो केक खाने रुक जाते. परसों ही येल्लागिरी (कृष्णागिरी) मे दो दिन रुक कर वापस आये हैं.<br /><br />जन्मदिन बहुत मुबारक हो.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-32332254432036456932009-06-10T09:39:00.099+05:302009-06-10T09:39:00.099+05:30अच्छी रचना और आज जन्मदिवस पर बहुत -बहुत शुभकामनाये...अच्छी रचना और आज जन्मदिवस पर बहुत -बहुत शुभकामनायें .डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-32073825511470849322009-06-10T04:26:22.886+05:302009-06-10T04:26:22.886+05:30सुना आज जन्म दिन है तो बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामना...सुना आज जन्म दिन है तो बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाऐं..केक लाओ!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-76280472735932845462009-06-09T15:48:49.545+05:302009-06-09T15:48:49.545+05:30जन्मदिन की पूर्वसंध्या पर लिखा वट-सावित्री पूजा वा...जन्मदिन की पूर्वसंध्या पर लिखा वट-सावित्री पूजा वाली पोस्ट पढ़ी । अजब संजोग है आपके दो दिन बाद ही हमारा भी जन्मदिन पड़ता है, यानि 27 मई को । सन् चैसठ को इसी दिन नेहरू जी दिवंगत हुए और ठीक दस साल बाद हम ‘अवतरित’ हो गए । उसी इलाहाबाद की धरती पर । बहरहाल पेढकिया और ठेकुए के बहाने झारखंड में गुजारे आठ साल याद आ गए । चार साल रांची में, तीन जमशेदपुर में । गलत न समझें यार, रांची नौकरी करने गया था, रिनपास में दिमाग का इलाज कराने नहीं । अकेले ही रहते थे, सो छठ पर पहुंच जाते थे मकान मालिक और पडोसियों के यहां प्रसाद खाने । वाकई छठ के पूरे हफ्ते मौज रहती थी हम बैचलरों की । शराफत भरी इमेज बना रखी थी और पत्रकार होने के नाते भोकाल भी मेनटेन था, तो पकवान खुद ब खुद चले आते थे हमारे पास । कभी यहां से, कभी वहां से । छठ जैसी आत्मीयता और श्रद्धा का माहौल और किसी त्योहार में नहीं देखा, सच्ची ।kaustubhhttps://www.blogger.com/profile/07137704961577539697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-22020407303112695592009-06-09T15:14:31.557+05:302009-06-09T15:14:31.557+05:30badhiya haibadhiya haiओम आर्यhttps://www.blogger.com/profile/05608555899968867999noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-47084718215593309802009-06-09T11:48:27.072+05:302009-06-09T11:48:27.072+05:30लीजिए हुजूर ! हटा दिया ससुरे वल्र्ड वेरीफिकेशन को ...लीजिए हुजूर ! हटा दिया ससुरे वल्र्ड वेरीफिकेशन को । खामखां में तंग कर रहा था हमारे दोस्तों को । अजीजों की नाराज़गी अफोर्ड नहीं कर सकते हम । गिजिजेश जी को भी ‘शुभेच्छा का प्रमाण’ मांगा जाना अखर रहा था । भई हमने तो मांगा नहीं था, कम्बख्त कंप्यूटर ही बदमाशी कर रहा था, हमें अनाड़ी जान कर । आपकी मदद से कर दिया इलाज । हार्दिक धन्यवाद । आगे भी ऐसा ही सहयोग मिलता रहे बराए मेहरबानी ।!<br />आदाब !kaustubhhttps://www.blogger.com/profile/07137704961577539697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-19038387635982460902009-06-08T20:09:51.724+05:302009-06-08T20:09:51.724+05:30गोया के .....इसी पूजा को तो ढूँढने अक्सर आ जाते है...गोया के .....इसी पूजा को तो ढूँढने अक्सर आ जाते है...हम इस घर के दरवाजे पे.....शुक्रिया ..उससे मिलवाने के लिए...डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-19144311556729710312009-06-08T19:57:55.656+05:302009-06-08T19:57:55.656+05:30ये शैतान बच्चा अनौखा सा है।ये शैतान बच्चा अनौखा सा है।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-1619858923190977112009-06-08T14:21:41.755+05:302009-06-08T14:21:41.755+05:30हम्म्म्म् वो शैतान बच्चा अक्सर सुबह सुबह जागता है ...हम्म्म्म् वो शैतान बच्चा अक्सर सुबह सुबह जागता है मेरे घर में और मन आता है छोड़ो सो जाओ..! और ५ प्रतिशत ही सही जब अपने मन कीकरत है, तो खुश बहुत होता है उस दिन...! बहुत सारे दिनो तक के लिये ...!<br /><br />सच्ची शुद्ध भावनाएं..!कंचन सिंह चौहानhttps://www.blogger.com/profile/12391291933380719702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-1915633575076319822009-06-08T12:09:35.941+05:302009-06-08T12:09:35.941+05:30Waah !!Waah !!अनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-8453094774692248372009-06-08T12:01:27.511+05:302009-06-08T12:01:27.511+05:30रुमानियत में लिपटी एक और बेहतर रचना । अच्छी लगी । ...रुमानियत में लिपटी एक और बेहतर रचना । अच्छी लगी । पता है आपके लेखन की खासियत क्या है । भारी-भरकम लफ्फाजियों के शब्दाडंबर नहीं हैं । यह सादगी ही कविता को एक सहजता और बहाव देती है । इसे जारी रखें । बुरा न माने तो एक छोटी सी खामी की ओर ध्यान दिलाना चाहूंगा, जो अकसर हम-आप, हर कोई कर जाता है । ‘ कागज़ातों ’ शब्द ठीक नहीं क्योंकि कागजात अपने आप में बहुवचन है, जज़्बात, ख्यालात, हालात की ही तरह । बहरहाल एक अच्छी नज्म के लिए बधाई । और हां अपने कमेंट में आपने वल्र्ड वेरीफिकेशन के झंझट का जिक्र किया था, इसे कैसे हटातें हैं जरा यह भी बता दें । टेक्निकैलिटीज़ की ज्यादा जानकारी नहीं है हमें । सहयोग करें, आपकी जानकारियों की रोशनी में शायद हम भी कुछ कर गुजरें ।<br />कौस्तुभ उपाध्यायkaustubhhttps://www.blogger.com/profile/07137704961577539697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-49819116540257300342009-06-08T10:14:56.966+05:302009-06-08T10:14:56.966+05:30बरसात!वाह क्या मौसम है। अब उम्र और पद का तकाज़ा खुल...बरसात!वाह क्या मौसम है। अब उम्र और पद का तकाज़ा खुले आम भीगने नही देता वर्ना एक समय था खुली जीप मे पूरे रायपुर शहर मे अकेले हम ही घूमा करते थे और हमे पहचाना भी उसी लिये जाता था। और बचपन ऐसा कोई दिन नही होता जिस दिन पानी गिरे और भीगने पर हम मार न खाये।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-68540223832161407882009-06-08T09:34:27.353+05:302009-06-08T09:34:27.353+05:30एक क्षण में बाहर आ गया है
हमारे अन्दर का शैतान बच्...एक क्षण में बाहर आ गया है<br />हमारे अन्दर का शैतान बच्चा<br />और हम सबने मिलकर...ऑफिस बंक कर दिया :)<br /><br /> ये सबसे बढिया काम किया..क्या आफ़िस बंक करना भी स्कूल बंक करने जैसा ही आनंद देता है?:)<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-83628316047666626812009-06-08T06:42:14.796+05:302009-06-08T06:42:14.796+05:30ये बच्चा तो हमारी जेब में ही बैठा घूमता है..बहुत न...ये बच्चा तो हमारी जेब में ही बैठा घूमता है..बहुत नॉटी बच्चा!!<br /><br /><br />समा बाँध दिया!! बधाई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-29828166162232068552009-06-08T06:10:49.907+05:302009-06-08T06:10:49.907+05:30यह शैतान बच्चा रोज रोज बाहर न आने लगे! :)यह शैतान बच्चा रोज रोज बाहर न आने लगे! :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-30013482185337761572009-06-08T02:52:51.150+05:302009-06-08T02:52:51.150+05:30हम सभी के अंदर कहीं ना कहीं एक शैतान बच्चा छिपकर ब...हम सभी के अंदर कहीं ना कहीं एक शैतान बच्चा छिपकर बैठा होता है, जो बस एक मौके की तलाश में होता है.....और मौका मिला नहीं कि वो बच्चा झट से बाहर....बड़ा मज़ा आता है इस सब में......इसलिए सभी से अनुरोध करूंगा कि बीच-बीच में इस नटखट को शरारत करने दें, वरना अंदर रहते-रहते एक ना एक दिन उसका दम घुट जाएगा......चुलबुली कविता.....<br /><br />साभार<br /><a href="http://woyaadein.blogspot.com/" rel="nofollow">हमसफ़र यादों का.......</a>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-47634996077447132712009-06-08T01:48:31.232+05:302009-06-08T01:48:31.232+05:30वाह वाह क्या बात है, बहुत ही सुंदर, ्कवि होता तो ओ...वाह वाह क्या बात है, बहुत ही सुंदर, ्कवि होता तो ओर भी ज्यादा तारीफ़ करता.<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-91811117123201712712009-06-07T23:32:42.405+05:302009-06-07T23:32:42.405+05:30अनूप जी, इतनी बेरहमी से मेरी nazmon को बे-बहर कह द...अनूप जी, इतनी बेरहमी से मेरी nazmon को बे-बहर कह दिया आपने, :( हम ठहरे कविता कहने वाले, बहर के लफड़े का गणित तो हमारे समझ से बाहर है...पर इसी बहाने ध्यान तो गया, कॉपी से लिख रही थी, एक लाइन छूट गयी थी...अब जोड़ दी है...क्या बताएं मन तो बहुत कर रहा था की आपकी लाइने ही चस्पा कर दूं पर copyright का डर लग गया :)Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-83844498745098301062009-06-07T23:29:03.542+05:302009-06-07T23:29:03.542+05:30पूजा जी, हम आपकी नज्मों को बेबहर नहीं किये। ऐसी गु...पूजा जी, हम आपकी नज्मों को बेबहर नहीं किये। ऐसी गुस्ताखी करने की हमारी क्या हिम्मत! हम तो एक बात कहे थे। इस तरह भी लिखा जा सकता है। :)<br /><br />असल में हम जब भी ऐसा कुछ लिखते हैं तो लोग कहते हैं गजल बहर में नहीं है जबकि हम न गजल लिख पाते हैं न बहर के बारे में हमें कोई जानकारी है!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-67317218738148613452009-06-07T23:13:43.371+05:302009-06-07T23:13:43.371+05:30तुम्हारा यह माया jaal दिल को बहुत bhata है. आशीषतुम्हारा यह माया jaal दिल को बहुत bhata है. आशीषP.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-32728757455987498912009-06-07T22:57:47.690+05:302009-06-07T22:57:47.690+05:30ओफ्फिस के किसी कोने में,
खड़ी एक आलमारी ,के,
दराजो...ओफ्फिस के किसी कोने में,<br />खड़ी एक आलमारी ,के,<br />दराजों में , अलग अलग,<br />रंग बिरंगी , फाईलों पर ,<br /><br />कुछ टैग से , चस्पा हैं,<br />खुशी, हंसी, यादें,<br />वाडे, तोहफे, डांट,<br />के अलग अलग नाम से...<br /><br />बैंक करके जब आओगे ,<br />वापस अपने ओफ्फिस ,javascript:void(0)<br />उन फैलोन को,<br />उलटना मत भूलना..अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-80662018736547357172009-06-07T22:57:30.534+05:302009-06-07T22:57:30.534+05:30तिसरकी वाली त्रिवेणी कुछ ऐसे लिखी जा सकती है क्या?...तिसरकी वाली त्रिवेणी कुछ ऐसे लिखी जा सकती है क्या?- <br /><br /><b>डेडलाईनें हंटर लिए हड़का रही हैं<br />कुछ नज्में सहम कर कोने में खड़ी हैं<br />कहीं कोई बहर के बाहर न कह दे!</b>अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-15063478236564300362009-06-07T22:54:53.631+05:302009-06-07T22:54:53.631+05:30डा.साहब आपकी जय हो। क्या धांसू त्रिवेणी ठेली हैं।(...डा.साहब आपकी जय हो। क्या धांसू त्रिवेणी ठेली हैं।(तीसरी वाली में दो लाईने ही क्यों? समझ न आया) मज्जा आ गया। हमारे लिये राजपथ तईयार कर दिया आपने। इसी राह से हम भी गुजरेंगे क्या कभी!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.com