tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post2778581017521082222..comments2024-03-16T10:24:55.941+05:30Comments on लहरें: सफर में खिलते याद के जंगली फूलPuja Upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comBlogger22125tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-37272313072800139552015-06-22T10:48:35.980+05:302015-06-22T10:48:35.980+05:30सुंदर ; प्रेमी हृदय के लिए ।
सटीक ; सरल के लिए ।
...सुंदर ; प्रेमी हृदय के लिए ।<br />सटीक ; सरल के लिए ।<br /><br />उम्दा रचना !!!!Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/07410038181083653537noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-19113137864433363042012-03-27T17:24:27.527+05:302012-03-27T17:24:27.527+05:30गद्य में पद्य सा प्रवाह लाज़वाब है 'पठन सामिग्...गद्य में पद्य सा प्रवाह लाज़वाब है 'पठन सामिग्री 'में शुरूआती अंश कवितांश ही था ,लेकिन इस संस्मरण अनुभव यात्रा वृत्तांत या मन के झंझावात आलोडन का हर अंग कवितामय था .(अलबत्ता 'मानसून 'प्रचलित है.ठीक कर लें 'लिखूंगी' है या .,लिखुंगी है ? .) एक मानसिक कुन्हासे को रु -ब -रु कागज़ पे उतारना अप्रतिम लगा .बधाई .<br /><br />'सफर में खिलते याद के जंगली फूल' ज़ारी रहे .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-36107285789995713792012-03-27T13:26:47.091+05:302012-03-27T13:26:47.091+05:30लिखती तो आप हमेशा से ही बहुत बढ़िया है इस बार भी ब...लिखती तो आप हमेशा से ही बहुत बढ़िया है इस बार भी बेहतरीन भाव अभिव्यक्त किए हैं आपने शुभकामनायें....Pallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-437932464058804422012-03-27T13:20:43.153+05:302012-03-27T13:20:43.153+05:30हाय मेरी जान! इस अहसान के तले दब के मर जाएँ हम ;-)...हाय मेरी जान! इस अहसान के तले दब के मर जाएँ हम ;-)Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-45505443126041923242012-03-27T12:16:24.058+05:302012-03-27T12:16:24.058+05:30bahut manoranjak.......bahut manoranjak.......mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-79951451555610554382012-03-27T11:28:17.489+05:302012-03-27T11:28:17.489+05:30बहुत खूब..एक नयापन है..कहीं गद्य तो कहीं नज्मों के...बहुत खूब..एक नयापन है..कहीं गद्य तो कहीं नज्मों के एक काफिले की खुशबू आती है..!!Brijendra Singhhttps://www.blogger.com/profile/16107359382179708026noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-39491124833655809812012-03-27T11:08:47.631+05:302012-03-27T11:08:47.631+05:30वैसे तो तीन दिन हम बहुत भयानक तरीके से तुमको मिस क...वैसे तो तीन दिन हम बहुत भयानक तरीके से तुमको मिस किये हैं,लेकिन पोस्ट पढ़ कर लग रहा है कि...<br />जाओ माफ़ किया :) :)Smriti Sinhahttps://www.blogger.com/profile/00670824219525092017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-19990573318823028102012-03-27T08:29:37.449+05:302012-03-27T08:29:37.449+05:30गद्यात्मक पद्य/पद्यात्मक गद्य ... वाह! मोहक लेखन। ...गद्यात्मक पद्य/पद्यात्मक गद्य ... वाह! मोहक लेखन। <br />सादर बधाई...S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-59565093156551319092012-03-27T00:26:36.498+05:302012-03-27T00:26:36.498+05:30आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के चर्चा मंच पर क...आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/2012/03/831.html" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर की गई है। <br />चर्चा में शामिल होकर इसमें शामिल पोस्टस पर नजर डालें और इस मंच को समृद्ध बनाएं.... <br />आपकी एक टिप्पणी मंच में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान करेगी......Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-11654473951361442972012-03-26T21:10:31.816+05:302012-03-26T21:10:31.816+05:30सच ही... तुम गद्य भी लिखती हो तो उसमें एसेंस कविता...सच ही... तुम गद्य भी लिखती हो तो उसमें एसेंस कविता का ही होता है। विचारों के ऊबड़-खाबड़ पर्वतों से कविता का झरना ही तो झर सकता है न! अकेला घूमना कितना अच्छा लगता है ...जैसे कि सारी दुनिया के मालिक हो गये हों। और ऐसे एकांत में खयालों की कश्तियों में हिचकोले खाते हुये घूमना ...वाह...थ्रिल..थ्रिल...थ्रिल..। सुनो पूजा! ये थ्रिल जिस दिन ख़त्म हो जायेगा ...कविता का दम घुट जायेगा। इसलिये जिन यादों की मूर्तियों का भसान करने गयी थीं जंगल में अगली बार जाओगी तो तुम्हें देखते ही खिल उठेंगी। सच्च ...बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-31078871911151020622012-03-26T16:04:17.299+05:302012-03-26T16:04:17.299+05:30बेहद खूबसूरत
सादरबेहद खूबसूरत <br /><br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-5677301846281383642012-03-26T13:55:02.995+05:302012-03-26T13:55:02.995+05:30Very nicely written... The post had its moments......Very nicely written... The post had its moments... Good thing is I can empathize with all of it as if I am the one there in forest...Atul XYZhttps://www.blogger.com/profile/14087924805181558433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-79843905832991157622012-03-26T12:26:55.162+05:302012-03-26T12:26:55.162+05:30बिंदास लेखनी ,और बेबाकी का नूर हो तुम ,
लगता है, च...बिंदास लेखनी ,और बेबाकी का नूर हो तुम ,<br />लगता है, चापलूसी से बहुत दूर हो तुम||<br />ऐसे ही बनी रहो !<br />आशीर्वाद और शुभकामनाएँ!अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-80349054481225273842012-03-26T10:16:00.822+05:302012-03-26T10:16:00.822+05:30ये जो जीपीएस हैं न, बहुत गड़बड़ कर देता है.ये जो जीपीएस हैं न, बहुत गड़बड़ कर देता है.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-89914720521965961612012-03-26T10:01:28.679+05:302012-03-26T10:01:28.679+05:30'हरी भूल भुलैय्या'
ये बड़ा अनोखा प्यारा सा...'हरी भूल भुलैय्या'<br />ये बड़ा अनोखा प्यारा सा शब्द मिला...<br />लिखा तो हमेशा की तरह बहुत सुन्दर है!<br />इधर दो तीन दिन हम लोग भी बिना मकसद खूब भटके हैं... कुछ दिनों में हरी भूल भुलैया उग आये यहाँ चारों ओर तो गर्मियों में खूब भटकने का मन बनाया है:)<br />बिना मंजिल चलना ऐसे एहसासों का साक्षी बनता है जो तय मंजिल तक जाने वाली राहों में नहीं आते...<br />यूँ ही घूमता रहे मन... यादों के फूल चुनता रहे मन नीरव वनों में भी... और यह सबकुछ कविता के से बहाव में यूँ ही लिखता भी रहे मन!<br />शुभकामनाएं:)अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-87801564847034348482012-03-26T09:41:39.681+05:302012-03-26T09:41:39.681+05:30शेर छोड़ देगा हमें, जहरीला मांस कौन खाए :)
हाँ हाथी...शेर छोड़ देगा हमें, जहरीला मांस कौन खाए :)<br />हाँ हाथी से अपना कम्पटीशन तगड़ा है , उन्ही के टाइप के हैं ना !!!!<br /><br />थैंक यू का खाता ओवरफ्लो हो गया है , so no more thank you please :) :) :)देवांशु निगमhttps://www.blogger.com/profile/16694228440801501650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-72741392673770935482012-03-26T09:37:38.347+05:302012-03-26T09:37:38.347+05:30आओ बेट्टा...तुम इधर बैंगलोर आओ...तुमको वहीं जंगल म...आओ बेट्टा...तुम इधर बैंगलोर आओ...तुमको वहीं जंगल में छोड़ आयेंगे...वैसे उधर शेर कम है...मगर हाथी बहुत है...तुमरा फिर कौनो रिस्पोंसिबिलिटी किसी का नहीं..ओके?<br /><br />--<br />सीरियसली...हमको भी नहीं पता कि ये है क्या...फर्स्ट इम्प्रेशन टाइप कुछ है...कल आये हैं और आज भोर में जो लिखने का मूड किया लिख दिए. कविता है या गद्य है इस बारे में ज्यादा सोच नहीं पाते. कमेन्ट सुन्दर है रे...थैंक यू के खाते में एक ठो प्लस वन ऐड कर लो. :)Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-79846765871953040752012-03-26T09:29:31.448+05:302012-03-26T09:29:31.448+05:30कहने को तो एक गद्य पढ़ गया, पर हर जगर एक कविता की ख...कहने को तो एक गद्य पढ़ गया, पर हर जगर एक कविता की खुशबू आयी, रुका, पलटा और फिर पढने लगा, यकीन मानिए नहीं समझ पाया | क्या किसी कविता को लिखने के लिए किसी ने इतना घूमा होगा, या उस बिना चाँद की रातों में, हाँ हाँ बिना चाँद की रातें, वरना तारे तो चाँद के सामने अपना वजूद ही खो देते हैं, कोई अल्हड़-मस्ताना भी बैठा होगा क्या? जो आज़ाद हो, आबाद हो !!!!<br />क्या जाने उस पेड़ पे टंगी उन कहानियों को कोई उतारेगा भी कभी या वो तड़पती रहेंगी उसी सूखे की वजह से मुरझाये जंगल में, और इस उम्मीद में कि अगले बरस तो मेघा बरसेंगे !!!!<br />मन करता है कोई मुझे उन्ही जंगलों में छोड़ आये!!!! सुना है जंगलों में इंसान कभी कभी ही आते हैं!!!देवांशु निगमhttps://www.blogger.com/profile/16694228440801501650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-88980216161374814152012-03-26T09:27:13.071+05:302012-03-26T09:27:13.071+05:30:) :):) :)abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-78947437281584809932012-03-26T09:13:38.560+05:302012-03-26T09:13:38.560+05:30:) अरे जलो मत...दिल्ली की तरफ तो ऐसी रोड ट्रिप में...:) अरे जलो मत...दिल्ली की तरफ तो ऐसी रोड ट्रिप में और भी मज़ा आएगा...पहाड़ जो हैं उधर अच्छे वाले और जाने को कितनी सारी जगहें.<br /><br />जलने का काम पोस्टपोन करो...ये पोस्ट तो ऐसे ही वेल्लापंथी में लिखी है...असली पोस्ट तो अभी आनी बाकी है...पूरे ब्योरे के साथ..वो पढ़ के जल लेना ;) ;)Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-68614562942239900222012-03-26T08:53:47.576+05:302012-03-26T08:53:47.576+05:30कहीं जंगलों में पहुँच कर आदिम भाव तो नहीं जग आते ह...कहीं जंगलों में पहुँच कर आदिम भाव तो नहीं जग आते हैं। यदि कहीं सर्वाधिक संभव है तो जंगल में ही।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-77655488552912972182012-03-26T08:53:36.413+05:302012-03-26T08:53:36.413+05:30बिना मंजिल..बिना मकसद..गाड़ी और मैं..ऐसे रोड-ट्रिप...बिना मंजिल..बिना मकसद..गाड़ी और मैं..ऐसे रोड-ट्रिप पे जाने की ख्वाहिश बहुत है मुझे...बेहद जलन हो रही है फ़िलहाल आपसे!! :)abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.com