tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post1708502248782629268..comments2024-03-16T10:24:55.941+05:30Comments on लहरें: लिखना...Puja Upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-43745647110090232972011-10-28T18:01:45.813+05:302011-10-28T18:01:45.813+05:30@स्मृति...उड़ने लगेंगे रे...कोई हैंडराइटिंग का तार...@स्मृति...उड़ने लगेंगे रे...कोई हैंडराइटिंग का तारीफ नहीं किया है कभी. :)<br /><br />जान के अच्छा लगा कि राइटिंग बदली नहीं :) अच्छा हुआ किसी को लवलेटर नहीं लिखे...पकड़ा जाते इतने साल बाद भी ;) ;)Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-2376858332922042011-10-28T17:51:40.466+05:302011-10-28T17:51:40.466+05:30तुम्हारी handwriting बिलकुल नहीं बदली...
मेरी डायर...तुम्हारी handwriting बिलकुल नहीं बदली...<br />मेरी डायरी में तुम्हारा १९९९ के मेरे जन्मदिन पर भेजा एक कार्ड और चिट्ठी हैं....जब यकीन नहीं हुआ तो उसमे से मिला कर देखा...अभी तक वैसे ही मोती से अक्षर...:-)Smriti Sinhahttps://www.blogger.com/profile/00670824219525092017noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-24901887729381138922011-10-27T17:22:49.523+05:302011-10-27T17:22:49.523+05:30३. लिखने के लिए कम्प्यूटर या कागज़ में से किसका इस...३. लिखने के लिए कम्प्यूटर या कागज़ में से किसका इस्तेमाल करते हैं और क्यों? <br /><br />कुंवर नारायण :<br />कागज़ कलम के साथ अधिक सहज आत्मीयता अनुभव करता हूँ. टाइपराइटर पर भी लिखने का अभ्यास है. पर कम्प्यूटर पर असहज हो जाता हूँ – वह मुझे अकारण कुछ ज्यादा तुनुकमिजाज़ लगता है. काग़ज़ कलम की सादगी, विनम्रता और स्पर्श न तो कम्प्यूटर मे है, न टाइपराइटर में. उनमें मशीन-युग की सुविधाएँ हैं तो थोड़ी अकड़ भी.<br /><br />गीत चतुर्वेदी : <br />अब काग़ज़ की आदत नहीं रही. मानसिकता भी वैसी नहीं रही. काग़ज़ कुछ भी लिखा जाए, तो वह प्रथमदृष्टया जॉटिंग्स होते हैं. मुख्य लेखन सीधे लैपटॉप पर ही होता है. मैं कई बरसों से कम्प्यूटर के साथ हूं. और अधिकतम लिखाई उसी पर है. काग़ज़ ज़्यादा श्रम लेता है. मुझे रफ़्तार पसंद है. और की-पैड पर उंगलियां कई बार मन में आने वाले विचारों की रफ़्तार के साथ तालमेल बिठा लेती हैं. बशर्ते की-पैड रफ़्तार से घबराकर मशीन को हैंग न कर दे. लिखने के बाद उलटफेर करता हूं और वह कम्प्यूटर पर आसान है. गैजेट्स और तकनीक मुझे आकर्षित करते हैं. इसलिए जब कुछ नहीं होता, तो मैं अपने मोबाइल पर भी लिख लेता हूं, कई बार अपने टैब पर भी. मुझे याद है कि कविता की कुछ पंक्तियाँ ऑन-द-गो सूझी हैं और उन्हें मैंने मोबाइल पर टाइप कर ख़ुद को ही एसएमएस कर दिया है.<br /><br />व्योमेश शुक्ल :<br />मैं हमेशा काग़ज़ पर लिखता हूँ. काग़ज़, अब तक, चेतना के ज़्यादा क़रीब है. उसमें ज़्यादा अप्रत्याशित, चैलेन्ज और निमंत्रण है. वह आह्वान करता रहता है. अभी भी वह ऐसी जगहों पर साथ चला आता है जहाँ लैपटॉप नहीं आ सकता, मसलन संकटमोचन संगीत समारोह की दो प्रस्तुतियों के दरमियान या सुजाता महापात्र के ओडिसी के बीच में. लैपटॉप कभी भी अजनबियों की तरह पेश आने लग सकता है, जैसे नेट नहीं लग रहा है, वगैरह-वगैरह. सादा काग़ज़ पर सुंदर-सुंदर लिखना एक चिरंतन स्वप्न है. फिर काटाकूटी से भी हौसला बढ़ता है कि कुछ सार्थक हो रहा है. कम्प्यूटर पर ऐसी संभावनाएँ कम हैं. इन बातों का संबंध वस्तुपरकता से कम और तबीअत से ज़्यादा है. ये हवाई आदतें हैं और कभी भी बदल जायेंगी. इन्हें तय करने में एक पुख्ता तर्कपूर्ण आलस्य बड़ी भूमिका निभाता है. यों मैं अपने अंतराल, अभाग्य और विनाश संभव करता हूँ. ऐसा करने के और भी तरीक़े हैं लेकिन उनका संबंध इस प्रश्न से नहीं है.<br /><br />चन्दन पाण्डेय :<br />कम्प्यूटर पर लिखता हूँ. सम्पादन में आसानी होती है. दूसरे, रोजगार के जो सिलसिले है, उनमें लगातार लैपटॉप पर ही बने रहना होता है, इसलिए कम्प्यूटर से कागज और फिर कम्प्यूटर की यात्रा कठिन हो जाती है. वैसे कम्प्यूटर, शब्दों की मितव्ययिता नहीं सिखाता. जो बेध्यानी लोग हैं उनके लिए कम्प्यूटर पर वाचाल होने की सम्भावना अधिक होती है.<br />***<br /><br />Saabhar : Sabad blog (Goshthi-2)सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-40276486533344280682011-10-25T17:34:59.101+05:302011-10-25T17:34:59.101+05:30दिवाली मुबारक हो .... दिवाली की रोशिनी आपकी जिंदगी...दिवाली मुबारक हो .... दिवाली की रोशिनी आपकी जिंदगी और आपके परिवार के जीवन को रोशन करती रहे ...Rohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-75650054768797129892011-10-25T12:48:55.673+05:302011-10-25T12:48:55.673+05:30कलम की तो बात ही निराली है. आपको दीप-पर्व पर अनंत ...कलम की तो बात ही निराली है. आपको दीप-पर्व पर अनंत शुभकामनाएं. आप ऐसे ही ब्लागिंग में नित रचनात्मक दीये जलाते रहें !!<br /><br />-आकांक्षा यादव : शब्द-शिखरAkanksha Yadavhttps://www.blogger.com/profile/10606407864354423112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-75044096366624123202011-10-25T07:58:27.854+05:302011-10-25T07:58:27.854+05:30ये पेन पुराण तो अच्छा सा हो गया जी। :)
सपने खराब क...ये पेन पुराण तो अच्छा सा हो गया जी। :)<br />सपने खराब क्यों देखते हैं डाक्साब! डिटरजेन्ट धुले सपने देखने चाहिये। :) :)<br />एकाध बार सोचा कि टिप्पणियां पोस्टकार्ड से भेजनी चाहिये! आज लिखें चार दिन बाद पहुंचें। :) :) :)<br />इंकब्लॉगिंग वाले दिन याद आ गये।अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-49439230849308080132011-10-25T01:03:21.253+05:302011-10-25T01:03:21.253+05:30chitiya likhe to arasa ho gaya tab likhta tha jab ...chitiya likhe to arasa ho gaya tab likhta tha jab likhna shikha tha shouk tha .....<br /><br />aur rahi lal dabbe ki baat to ab bas bhartiya sena ke liye jo post karna hota hai wahi kam aata hai kyuki kuch kam online nahi hote na ......<br /><br /><br />lekhani jab chalti hai to bhavnao ko uker deti hai ..kabhi hasa deti hai kabhi rula deti hai...kabhi josh jaga deti hai ...ane wale kal aur bite huye kal me sanyog bithati hai .......ASHOK BIRLAhttps://www.blogger.com/profile/01944953865988099586noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-9930349032156637952011-10-25T00:15:48.944+05:302011-10-25T00:15:48.944+05:30पूजा जी ,लिखना भी एक कला है जो सबके बसकी
बात नही,...पूजा जी ,लिखना भी एक कला है जो सबके बसकी <br />बात नही,आपमें वो कला है मेरी और से बधाई...<br /><br />दीपपर्व की शुभकामनाये.....धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-88390862711563605962011-10-24T23:40:30.435+05:302011-10-24T23:40:30.435+05:30अब तो सिर्फ कुछ नोट करने के लिए ही मैं कलम का प्रय...अब तो सिर्फ कुछ नोट करने के लिए ही मैं कलम का प्रयोग करती हूं .. दीपावली की शुभकामनाएं !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-14344230550582288442011-10-24T22:38:34.545+05:302011-10-24T22:38:34.545+05:30क़ागज़ मे जज़्ब करने की ग़ज़ब की क्षमता होती है.. ...क़ागज़ मे जज़्ब करने की ग़ज़ब की क्षमता होती है.. स्याही ग़म की तरह बहती है और क़ागज़ सारा अवसाद सोख लेता है...monalihttps://www.blogger.com/profile/00644599427657644560noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-75695680347320609712011-10-24T22:17:11.193+05:302011-10-24T22:17:11.193+05:30पेन-पेपर और कीबोर्ड कुछ वैसा ही अंतर है जैसा एक ई...पेन-पेपर और कीबोर्ड कुछ वैसा ही अंतर है जैसा एक ईमेल और चिट्टी में !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-8722918585768820732011-10-24T21:14:55.314+05:302011-10-24T21:14:55.314+05:30मेरे पास भी फाउण्टेन पेन है - कार्टरिज़ वाला। पर म...मेरे पास भी फाउण्टेन पेन है - कार्टरिज़ वाला। पर मैं कार्टरिज़ पर पैसे खर्च नहीं करता। खाली कार्टरिज में क्विंक की टर्क्वाइज रंग वाली स्याही एक पुरानी डिस्पोजेबल सिरिंज से भरता हूं। :) <br />किफायती कंजूस! :)Gyan Dutt Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/05293412290435900116noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-43361843232987884662011-10-24T21:04:41.899+05:302011-10-24T21:04:41.899+05:30बहुत बढ़िया पूजा जी.इसके बहाने ही सही आपने हाथ से ल...बहुत बढ़िया पूजा जी.इसके बहाने ही सही आपने हाथ से लिखने के सुन्दर अहसास को उतने ही सुन्दर शब्द दिए.<br /><br />लाल डब्बे पर कल्पित जी की एक कविता की याद हो आई,जिसमें पत्र पोस्ट करते उँगलियों के पोरों की संवेदना को साझा करते हुए लाल डब्बे से पूछा जाता है कि लाल डब्बे तुझमें कितनी उँगलियों का रक्त दौड़ रहा है.<br /><br />लिखना सच में अपने आपको खाली करना है.पर अपने को मनमाफिक पेन आज तक नहीं मिला.यही बात कुछ छिटके हुए तरीके से अवांतर रूप में मेरी इस कविता में भी आई है जिसे मैंने कुछ दिन पाले ही अपने ब्लॉग पर डाला है.लिंक ये है-<br /><br />http://sanjayvyasjod.blogspot.com/2011/10/blog-post_20.htmlsanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-82490139032516657592011-10-24T19:29:12.254+05:302011-10-24T19:29:12.254+05:30फॉउन्टेन पेन की बहती स्याही में भावों के बहने का ए...फॉउन्टेन पेन की बहती स्याही में भावों के बहने का एहसास जो होता है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-4636316280797412262011-10-24T19:06:57.396+05:302011-10-24T19:06:57.396+05:30दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें|दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें|दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-63372637047287528272011-10-24T17:29:48.869+05:302011-10-24T17:29:48.869+05:30मै तो दोनो जगह लिखती हूँ पूजा…………कागज़ पर भी और यह...मै तो दोनो जगह लिखती हूँ पूजा…………कागज़ पर भी और यहाँ भी……………कागज़ पर जो लिखा होता है उसके अहसासो को बहुत खूबसूरती से पिरोया है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-70390291308977173202011-10-24T17:15:26.346+05:302011-10-24T17:15:26.346+05:30कलम कागज़ की बात ही अलग है...!कलम कागज़ की बात ही अलग है...!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.com