tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post1396737346257378745..comments2024-03-16T10:24:55.941+05:30Comments on लहरें: लहरों का सफ़र, किनारे तकPuja Upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-14817049688459041372010-12-16T13:03:00.851+05:302010-12-16T13:03:00.851+05:30बहुत खुब प्रस्तुति.........मेरा ब्लाग"काव्य क...बहुत खुब प्रस्तुति.........मेरा ब्लाग"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ जिस पर हर गुरुवार को रचना प्रकाशित...आज की रचना "प्रभु तुमको तो आकर" साथ ही मेरी कविता हर सोमवार और शुक्रवार "हिन्दी साहित्य मंच" at www.hindisahityamanch.com पर प्रकाशित..........आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे..धन्यवादEr. सत्यम शिवमhttps://www.blogger.com/profile/07411604332624090694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-20454643911410806132010-12-16T09:43:48.101+05:302010-12-16T09:43:48.101+05:30PD...all okay now?PD...all okay now?Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-81787037662241317962010-12-16T09:17:01.423+05:302010-12-16T09:17:01.423+05:30oh accha...to ye wajah hai ke main kabhi diary kyu...oh accha...to ye wajah hai ke main kabhi diary kyun nahin likh paayi...kab kahan kaise likhne lagti thi....aur phir itni bore ho jaati thi ke chod deti thi ;)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-81663078825129506542010-12-16T00:04:19.215+05:302010-12-16T00:04:19.215+05:30??????????PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-27944586168081104362010-12-15T21:54:04.734+05:302010-12-15T21:54:04.734+05:30पूजा जी
सस्नेह नमस्कार।
आपके ब्लॉग पढ़ता रहता ह...पूजा जी <br /> सस्नेह नमस्कार। <br /> आपके ब्लॉग पढ़ता रहता हूÞ। मेरे निजी विचारों और दिल के करीब होते हैं। ऐसा कुछ जिसे मैं अभिव्यकित नहीं दे सकता । जैसे हरएक की एक निर्धारित सीमा होती है। मैं भी सीमित हूं असीमित अकांक्षाओं के साथ। खैर ये मेरा अधूरापन है जिसे कोई नहीं समझ सकता। बहरहाल मेरा आपसे एक सवाल है । कया आपने अरूंधती रॉय को पढ़ा है। मेरा इरादा कतई उनसे प्रभावित होकर आपसे उम्मीदें करने का नहीं है। पर कल एक अजीब वाकया हुआ। मैंने अपने एक सम्मानीय मित्र को आपका ब्लॉग पढ़ाया तो रिस्पांस निराशाजनक रहा। उन्होंने कहा कि ये लेखन काल समय और देशकाल व ब्रॉड प्रास्पेकटस के करीब नहीं है और एक बड़े जनसमुदाय का इससे कोई सरोकार नहीं है। मैंने कहा ये एक निजी लेखन है जो हर किसी की निजता से जुड़ा है और इंसान अपने को इस लेखन के आइने में महसूस कर सकता है । पर उनकी बात कहीं गहरे चुभ गर्इं। शायद आप कुछ समझ सकें। मेरी समझ में ये बड़ी बातें नहीं आती। बस आपका शुभचिंतक हूं और अनजाने ही आपके लिए एक साफट कार्नर है। रही अरूंधती रॉय को पढ़ने की तो इसे मेरी सलाह मान लिजिए <br />आप लंबी रेस के ............<br /> धन्यवाद।chandan royhttps://www.blogger.com/profile/02155921945664803406noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-77235396864945275032010-12-15T20:40:02.001+05:302010-12-15T20:40:02.001+05:30मैं अभी तक सच से बाहर निकल कर आधे सच, आधे झूठ तक अ...मैं अभी तक सच से बाहर निकल कर आधे सच, आधे झूठ तक अथवा पूरे झूठ तक नहीं पहुँच पाया हूँ.. हाँ, धीरे धीरे पूरे सच से बाहर जरूर निकल गया हूँ.. कुछ चीजें मैंने लिखी जो पूरे सच से कहीं दूर था, मगर उसे सिर्फ अपने लिए रख छोड़ा.. थोड़ा और मैच्योर हो जाऊं फिर उसे दूसरों तक ले कर जाऊं..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-51514504173629650322010-12-15T18:51:53.614+05:302010-12-15T18:51:53.614+05:30लिखना अपने ख्यालो को पैरहन देना है ...!!!लिखना अपने ख्यालो को पैरहन देना है ...!!!डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-10136460330210583972010-12-15T17:16:37.560+05:302010-12-15T17:16:37.560+05:30लेखनी की यात्रा मन के किन किन मार्गों से होकर जाये...लेखनी की यात्रा मन के किन किन मार्गों से होकर जायेगी, इसका अनुमान तब तक नहीं होगा जब तक आप कुछ लिख नहीं देते हैं। लेखन से जीवन का सम्बन्ध ढूढ़ने का क्रम बहुत पुराना है, कई लोग मानते हैं कि गहरा लिखना खल्पना से कम अनुभव से अधिक आता है।<br />क्या लिखा, कैसे लिखा, उस पर नहीं जाऊँगा, पर जो भी लिखा, मन से लिखा आपने क्योंकि पढ़कर अनुभूति भी वैसी ही हुयी।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-68410402381895107952010-12-15T16:06:59.556+05:302010-12-15T16:06:59.556+05:30आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के...आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी<br /> प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है<br />कल (16/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट<br /> देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर<br />अवगत कराइयेगा।<br />http://charchamanch.uchcharan.comvandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-9153473764240554682010-12-15T15:54:39.524+05:302010-12-15T15:54:39.524+05:30ठीक कहा पूजा.. ऐसा ही मुझे भी लगता है जब फर्स्ट पर...ठीक कहा पूजा.. ऐसा ही मुझे भी लगता है जब फर्स्ट पर्सन में लिखता हूँ.. खैर लिखते रहना ही सही मायनों में जीना है.. क्यू कब कैसे ये इतना इम्पोर्टेंट नहीं है..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-57197389465175916272010-12-15T15:54:37.069+05:302010-12-15T15:54:37.069+05:30ठीक कहा पूजा.. ऐसा ही मुझे भी लगता है जब फर्स्ट पर...ठीक कहा पूजा.. ऐसा ही मुझे भी लगता है जब फर्स्ट पर्सन में लिखता हूँ.. खैर लिखते रहना ही सही मायनों में जीना है.. क्यू कब कैसे ये इतना इम्पोर्टेंट नहीं है..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-36317317051707750812010-12-15T14:36:34.625+05:302010-12-15T14:36:34.625+05:30मुझे याद आ रहा है मनोहर श्याम जोशी जी के मनोहर, ज...मुझे याद आ रहा है मनोहर श्याम जोशी जी के मनोहर, जोशी जी और मनोहर श्याम जोशी, उनका उल्लिखित बायस्कोप और गप्प-गल्प.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-64305096937428798572010-12-15T13:26:15.771+05:302010-12-15T13:26:15.771+05:30कभी लिखिए ना की आप क्यों लिखती हैं, क्या लिखती हैं...कभी लिखिए ना की आप क्यों लिखती हैं, क्या लिखती हैं और कैसे लिखती हैं.सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-75848298704063130942010-12-15T12:20:42.977+05:302010-12-15T12:20:42.977+05:30मेरे ख्याल से लेखक का लिखा हुआ सब कुछ उसके या किसी...मेरे ख्याल से लेखक का लिखा हुआ सब कुछ उसके या किसी और के जीवन में घटा हुआ हो ये जरूरी नहीं ये बाध्यता होनी भी नहीं चाहिए. होना चाहिए बस एक झीना पर्दा, सच और झूठ के बीच.<br /><br /><br />इस बात से पूरी तरह सहमत .....क्यों कि मैं भी अपनी कविताएँ या नज़्म कभी कभी बिलकुल काल्पनिक लिखती हूँ . :):) <br /><br />बहुत पसंद आई यह दिल की बातें ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com