tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post7535591204300538194..comments2024-03-16T10:24:55.941+05:30Comments on लहरें: वो लड़की जो खिड़की थीPuja Upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-9273439320076615272010-07-14T12:21:16.750+05:302010-07-14T12:21:16.750+05:30कितनी लहरें है तुममें ? बेबसी और उन्मुक्तता का मिश...कितनी लहरें है तुममें ? बेबसी और उन्मुक्तता का मिश्रण भी.सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-52277479350418197602010-06-04T14:15:55.387+05:302010-06-04T14:15:55.387+05:30आवाज़ का एक पुर्जा गिर पड़ा था रास्ते में .....पीछा...आवाज़ का एक पुर्जा गिर पड़ा था रास्ते में .....पीछा करते हुए कुछ खटकता है ...रुकी रुकी सी मालूमात होती है .जैसे ढूंढ रही हो उस पुर्जे को .डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-50530348663949225262010-06-04T10:06:41.545+05:302010-06-04T10:06:41.545+05:30मैं एक अलग पुजा से मिला हु इस बार..मैं एक अलग पुजा से मिला हु इस बार..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-6174982867734593262010-06-04T08:39:04.787+05:302010-06-04T08:39:04.787+05:30बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
ढेर सारी शुभकामन...बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.<br />ढेर सारी शुभकामनायें.Shekhar Kumawathttps://www.blogger.com/profile/13064575601344868349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-5394599029236332872010-06-04T00:39:42.364+05:302010-06-04T00:39:42.364+05:30गजब ही लिखा है आपने !!गजब ही लिखा है आपने !!संगीता पुरी https://www.blogger.com/profile/04508740964075984362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-69606543171570937322010-06-03T23:03:58.415+05:302010-06-03T23:03:58.415+05:30जीत ही उनको मिली जो हार से जमकर लड़े हैं,
हार के भ...जीत ही उनको मिली जो हार से जमकर लड़े हैं,<br />हार के भय से डिगे जो, वे घराशायी पड़े हैं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-27856467403786664202010-06-03T23:01:32.692+05:302010-06-03T23:01:32.692+05:30पूजा निस्तब्ध कर दिया आपने ...हाँ! हीर गीत गाती है...पूजा निस्तब्ध कर दिया आपने ...हाँ! हीर गीत गाती है .........वो खिड़की भी होती हैं और सांकल भी ....कभी हिरनी सी चौकड़ी भरती तो कभी ..... तो कभी धरती सी धैर्यवान ......स्त्री हठ ब्रह्म को विवश कर दे तो सागर क्या ?मथ डाला आपने ...हमारी टिपण्णी को मंथन के बाद का रत्न मानिए :-)प्रियाhttps://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-69534590947741688212010-06-03T20:04:34.152+05:302010-06-03T20:04:34.152+05:30गज़ब की उलझन है और उसे सतत व्यक्त करती तुम्हारी अप...गज़ब की उलझन है और उसे सतत व्यक्त करती तुम्हारी अपराजित क्षमता । उपदेशात्मक या संवेदनात्मक मत समझना पर अनुभव के किन रास्तों से होकर गुज़री है तुम्हारी विचार-लड़ियाँ ? पानी बरसने में खिड़कियों की जीवटता देख लेती हो, लहरों की ऊर्जा से अभिभूत हो, स्याह अंधेरों में भी हरसिंगार का ख्याल आ जाता है । प्रलय, हाशिया, भटकन,छलावा, काली रात आदि से अटे पड़े हैं मन के आँगन फिर भी अभिव्यक्ति का उत्साह उद्दत है व्यक्त होने को ।<br />जो लोग तुम्हारे परिचित होंगे, तुम्हे संभवतः पहेली ही समझते होंगे ।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-42463618229369318512010-06-03T19:55:46.228+05:302010-06-03T19:55:46.228+05:30एक चीज़ और
अंतिम लाइन में गीत गाती हैं की जगह &q...एक चीज़ और <br /><br />अंतिम लाइन में गीत गाती हैं की जगह "हीर गाती हैं" कर लो तो लाइन और सुन्दर हो जाएगी.सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-77742179776852043712010-06-03T19:19:09.417+05:302010-06-03T19:19:09.417+05:30एकदम अलग टेस्ट
खास कर यह पैरा...
"रात बहुत...एकदम अलग टेस्ट <br />खास कर यह पैरा... <br /><br />"रात बहुत काली और गहरी है. ऐसी गहरी रातें अक्सर सन्नाटे का दामन थामे आती हैं. उसे दूर की आवाजें भी सुनाई पड़ने लगी हैं. आँखें ना हों तो कान बहुत सुनने लगते हैं, स्पर्श बहुत कहने लगता है, गंध बहुत तीखी हो जाती है. जरूरत ना होने पर भी उसने आँखें मींच रखी हैं. रौशनी ना होने पर भी रौशनी का छलावा दिल को तसल्ली देता है, आँखें खोल कर सच को देखना बहुत मुश्किल हो जाता है"<br /><br />अज्ञेय की कविता हमेशा नयी दृष्टि देती है... जब भी पढो लगता है एक नए जीवन से गुज़रना है.... अभी कुछ दिन पहले मैंने भी उनको पढ़ा है... पर उनकी हर लाइन पर कुछ रुक कर सोचना पड़ता है. <br /><br />आहां बड नीक लिखलिये हे दाय ! (मैथिली, नहीं समझी तो गौतम जी से पूछना)<br /><br />पारिजात नाम बहुत- बहुत दिनों बाद सुना <br /><br />एक फेज़ है, गुजर जाएगा - इसका प्रयोग बहुत खूबसूरती से किया ... <br /><br />और हाँ लहरों का गीत मधुर है. सचमुच सुमधुरसागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.com