tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post6977884893803285517..comments2024-03-16T10:24:55.941+05:30Comments on लहरें: आवाज़ में भँवरें हैं. दलदल है. मरीचिका है. खतरे का निशान है. मेरे सिग्नेचर जैसा.Puja Upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-7478284991017478382013-10-05T18:07:42.661+05:302013-10-05T18:07:42.661+05:30aaap to aise likhte ho jaise k na jaane kitne saal...aaap to aise likhte ho jaise k na jaane kitne saalo ka anubhav ho. Bot pyara hamesha k tarah. Kash k mujhe b shabdo se khelne ka hunar mil jaaye..aaap sa.विजय रणवीर सिंह https://www.blogger.com/profile/08943206398883603813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-48724578015308859902013-10-05T11:08:43.292+05:302013-10-05T11:08:43.292+05:30रूह मुस्कुरायी और कहा... शुक्रिया पूजा!
निर्बाध लि...रूह मुस्कुरायी और कहा... शुक्रिया पूजा!<br />निर्बाध लिखती रहो ऐसे ही....अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-16529492796615298182013-10-05T09:20:08.909+05:302013-10-05T09:20:08.909+05:30This comment has been removed by the author.अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-84145875742484691702013-10-02T14:04:26.642+05:302013-10-02T14:04:26.642+05:30अदभुत लेखन |
“महात्मा गाँधी :एक महान विचारक !”अदभुत लेखन |<br /><a href="http://drakyadav.blogspot.in/" rel="nofollow">“महात्मा गाँधी :एक महान विचारक !”</a>Dr ajay yadavhttps://www.blogger.com/profile/17231136774360906876noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-34614221811491834372013-10-01T09:07:21.321+05:302013-10-01T09:07:21.321+05:30"वो डॉक्टर के स्काल्पेल को रखेगा तुम्हारी गर्..."वो डॉक्टर के स्काल्पेल को रखेगा तुम्हारी गर्दन पर और जैसे आर्टिस्ट खींचता है कैनवास पर पहली रेखा...जैसे शायर लिखता है अपनी प्रेमिका के नाम का पहला अक्षर...जैसे बच्चा सीखता है लिखना आयतें...तीखी धार से तुम्हारी गर्दन पर चला देगा कि मौत महसूस न हो"............एक ही साथ इतने वार, ऐसा लगता है जैसे कहीं कुछ छूट गया है, लेकिन उसकी किरच अभी भी दबी हुई है, निकाले निकल नहीं रही। इश्क होता ही ऐसा है, एक बार आ जाये तो जाने का नाम ही नहीं लेता, चला भी जाये तो समंदर की लहरों की तरह हमेशा भिगोता ही रहता है, रह रह कर और उसकी नमकीन यादें फिर तारो ताज़ा हो जाती हैं, कभी जीने का सबब बन कर तो कभी "पश्मीने की रात" में "गुलज़ार" का खुदा बनकर उलट पुलट कर रख देती है सब कुछ और उस समय ज़ंग करने को दिल चाहता है, खुदा से भी, पता है कि जीतना मुश्किल है लेकिन इश्क का जुनून खुदा कहाँ देखता है ......"मूड में होगा तो पूछेगा तुमसे, तुमने ये कविता सुनी है...सुनी भी होगी तो कहना नहीं सुनी...पढ़ी भी होगी तो कहना नहीं पढ़ी है...फिर वो तुम्हें अपना लिखा कुछ सुनाएगा...उस वक़्त मेरी जान खुद को रोक के रखना वरना समंदर में कूद कर जान दे देने को दिल चाहेगा. खुदा न खास्ता उसका गाने का मूड हो गया तब तो देखना कि धरती अपने अक्षांश पर घूमना बंद कर देगी. रेतघड़ी में रुक जाएगा सुनहले कणों का गिरना. तुम्हारे इर्द गिर्द सब कुछ रुक जाएगा. सब कुछ. खुदा जैसा कुछ होता है इसपर भी यकीं हो जाएगा."Niraj Palhttps://www.blogger.com/profile/12597019254637427883noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-55948496363615736602013-10-01T08:39:11.993+05:302013-10-01T08:39:11.993+05:30पहाड़ी नदी की तरह, जितना बहती, उतना सहती।पहाड़ी नदी की तरह, जितना बहती, उतना सहती।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com