tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post6783489984559292852..comments2024-03-16T10:24:55.941+05:30Comments on लहरें: the taste of cigarettePuja Upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-81862904322672553602007-06-28T12:35:00.000+05:302007-06-28T12:35:00.000+05:30किसी चीज़ के पीछे बहुत दिन से आप भाग रहे हों और अच...किसी चीज़ के पीछे बहुत दिन से आप भाग रहे हों और अचानक से वह मिल जाये तो सुखद अनुभव होता है...धुआं मुझे अपनी तरफ खींचता था...वैसे भी मैं अपनी इन्द्रियों में थोड़ी घाल मेल करते रहती हूँ...सिर्फ देख कर, सुन कर छू कर मेरा मन नहीं भरता, जबान पर स्वाद भी चाहिऐ होता है, ऐसी कोई चाह होना थोडा अजीब तो है,पर प्रेम से इसका कोई संबंध नहीं है, ये बस अलग होने के अधिकार को समर्थन देता है। मेरा सिगरेट का पहला कश सिर्फ शौकिया लिया गया था...मुझे अच्छा लगा था और मैंने फिर नहीं पी...प्रेम होता तो सिलसिला जारी रहता। <BR/><BR/>इन चीजों का अनुभव बस एक जिज्ञासा को शांत करता है...एक बालसुलभ उत्सुकता...बसPuja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-32263174851803939212007-06-27T12:25:00.000+05:302007-06-27T12:25:00.000+05:30मुझे तो पहली बारिश पर मिट्ठी की सुंगंध और नये मिट्...मुझे तो पहली बारिश पर मिट्ठी की सुंगंध और नये मिट्ठी के घड़े के पानी स्वाद कभी नहीं भूलता। <BR/>पर सिग्रेट के धुऐं का स्वाद ... पैसिव स्मोकर तो हूं ही। पर स्वाद ऐ... प्रेम में भी नहीं ... आपको ही को मुबारक हो ...उन्मुक्तhttps://www.blogger.com/profile/13491328318886369401noreply@blogger.com