tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post6543331036792216337..comments2024-03-16T10:24:55.941+05:30Comments on लहरें: बोली बनाम भाषा ऐंड माथापच्ची इन बिहारीPuja Upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comBlogger39125tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-60026990848155852352013-09-27T10:10:39.779+05:302013-09-27T10:10:39.779+05:30लेकिन बिहारी को बिहारी में गरियाने का जो मज़ा है न...लेकिन बिहारी को बिहारी में गरियाने का जो मज़ा है ना कि आह!का रे खोखा, थोडा बुझा ल न का .........सच में बचपन में पहुँच गया, मेरे सारे दोस्त भोजपुरी बोलते थे, और मैं भी सीख गया, घर में अवधि बोली जाती थी तो वह भी आती है, लेकिन ये भी सच है की जो मिठास अपनी भाषाओँ में आती है वह कहदी बोली में कहाँ, यहाँ तो भावनाएं लुप्त हो जाती हैं ...............<br />थेत्थर(verb-थेथरई, study of थेथर एंड इट्स कांटेक्स्ट: थेथरोलोजी)- पी यच डी किया हूँ हम थेथ्रोलोजी में, इतना थेथर थे हम कि कोई कुछुवो कह रहा है, हम अपने गाते रहते थे, लास्ट में उ खुद्दे उठ के चला जाता था, अउर हम खूब हँसते थे बोका पर :) <br /><br />बचपन से हिंदी में बात करने के कारण कितना कुछ खो चुकी हूँ अब महसूस होता है लेकिन उसे वापस पाने का कोई उपाय नहीं है...अब जब नन्हें बच्चों को अंग्रेजी में बात करते देखती हूँ तो अक्सर सोचती हूँ...पराये देश की भाषा सीखते ये बच्चे कितने बिम्बों से अनभिज्ञ रह जायेंगे...इन्हें petrichor तो मालूम होगा पर सोंधा नहीं मालूम होगा...सोंधे के साथ गाँव की गंध की याद नहीं आएगी. कितना कुछ खो रहा है...कितना कुछ कहाँ, कैसे समेटूं समझ नहीं आता. स्कूल में सिर्फ युनिफोर्म से नहीं दिमागी तरीके से भी क्लोन बनके निकल रहे हैं बच्चे...मेरी जेनेरेशन में ही कितनों ने सालों से हिंदी का कुछ नहीं पढ़ा...बहुतों को देवनागरी लिपि में पढ़ने में दिक्कत होती है. <br /><br />अपनी एक कविता याद आ गयी, नीचे की लिंक पर पढ़ सकती हैं :<br /><br />http://awaraniraj.blogspot.in/2013/01/blog-post_25.html<br /><br />आभार।<br /><br />-नीरज Niraj Palhttps://www.blogger.com/profile/12597019254637427883noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-46722279173044303352013-09-21T22:58:16.348+05:302013-09-21T22:58:16.348+05:30बस पढ़े का मन किया त चल आए.... बिहार का बहुत याद आ...बस पढ़े का मन किया त चल आए.... बिहार का बहुत याद आ रहा है, आज हम यहाँ एगो लड़का से बोले हमरा गोर टटा रहा है तो उसका चेहरा अइसन हो गया जैसे हम कोनों इंक्रिप्शन लगा दिये हों.... <br /><br />दिल करता है कोई नाम के आगे "रे" लगाकर आवाज़ लगा दे.... सच में ये परदेस ही है... अपना देस तो पीछे छूट गया, शायद कभी लौट भी न पाएँ.... Shekhar Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-60105408899928047222013-06-07T19:44:03.497+05:302013-06-07T19:44:03.497+05:30Wow....Ghar ki yaad aa gaye.. :)Wow....Ghar ki yaad aa gaye.. :)Barunhttps://www.blogger.com/profile/11453962544024388464noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-81875982194242931052012-06-19T21:51:24.044+05:302012-06-19T21:51:24.044+05:30बहुत अच्छा विचार-विमर्श हुआ भाइयों।बहुत अच्छा विचार-विमर्श हुआ भाइयों।रघुवीर शर्माhttps://www.blogger.com/profile/05894572045174665137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-84687803257388246262012-05-28T08:21:52.483+05:302012-05-28T08:21:52.483+05:30सिर्फ़ पोस्ट ही नहीं , टिप्पणियों पर भी नज़र है हमार...<a href="http://jhajisunin.blogspot.in/2012/05/blog-post_27.html" rel="nofollow"> सिर्फ़ पोस्ट ही नहीं , टिप्पणियों पर भी नज़र है हमारी , देखिए आज आपकी पोस्ट पर पाठकों ने क्या प्रतिक्रिया दी , हमने सहेज लिया है , इस टिप्पणी पर क्लिक करें </a>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-26770803957091466362012-05-28T07:36:37.860+05:302012-05-28T07:36:37.860+05:30101….सुपर फ़ास्ट महाबुलेटिन एक्सप्रेस ..राईट टाईम प...<a href="http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/05/101_27.html" rel="nofollow">101….सुपर फ़ास्ट महाबुलेटिन एक्सप्रेस ..राईट टाईम पर आ रही है<br />एक डिब्बा आपका भी है देख सकते हैं </a>अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-42900938360291660892012-05-27T13:56:18.605+05:302012-05-27T13:56:18.605+05:30bahute sundar post ba !
abhi ham jab aapan gaon (b...bahute sundar post ba !<br />abhi ham jab aapan gaon (buxar) gaiil rahni t ego nya shabd sikhni "RASBACHAK "<br />jug jug jiya juta siya <br />paisa mili t daru piaya !!मुकेश पाण्डेय चन्दनhttps://www.blogger.com/profile/06937888600381093736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-6800309572920395752012-05-27T13:10:18.228+05:302012-05-27T13:10:18.228+05:30:) :)
चलिए...आपका दुनो बतिया मान लिए. मेरे इलाके म...:) :)<br />चलिए...आपका दुनो बतिया मान लिए. मेरे इलाके में लौटती डाक वाला पोस्टमैन का कोई भरोसा नै होता है...देखते हैं हियाँ कोंची आता लौटती डाक में :) <br /><br />पटना छोड़े ७ साल हुआ...२००५ में दिल्ली आये थे...तब से लौट के जाना नै हुआ है. घर देवघर है तो उधर से निपट जाते हैं.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-40292140631202148402012-05-27T10:32:10.484+05:302012-05-27T10:32:10.484+05:30जे बात ...आज लिखी न बमपिलाट , लपकौआ पोस्ट । हम कै ...जे बात ...आज लिखी न बमपिलाट , लपकौआ पोस्ट । हम कै दिन से सोच रहे थे कि ई लहरवा में जुआरभाटा अईबे नय किया , ई लईकि कै महीना साल से पटना नय गई है लगता है । सुनो ढेर नय कहेंगे खाली दुई ठो बतवा कह के जा रहे हैं । ई अब आप आप हमसे नय खेला जाएगा तुम त पटनिया रिस्तेदार निकली न जी इसलिए आ दूसरका ई कि ई पोस्ट को लईले जा रहे हैं साथे देखो का का सचित्र व्याख्या करते हैं ,,पोस्टवा का भी आ टिप्पिया सब का भी ..बताते हैं लौटती डाक सेअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-5365425902045028012012-05-26T11:12:24.521+05:302012-05-26T11:12:24.521+05:30वैसे ऊपर वाला पहाडा हमारे UP में भी गाया जाता है, ...वैसे ऊपर वाला पहाडा हमारे UP में भी गाया जाता है, सुनिए...<br />पंद्रह दूनी तीस, तिया पेंतालिस, चोके साठ, पना पचहत्तर, छक्के नब्बे, सतते पोंचा, अट्ठे बीसा, नवम पतीसा, धूम-धडाम-डेढ़ सौ..... :))<br />वैसे इसे गाने की एक स्पेशल धुन भी है, सुनिए.... SSSSSSSSSSSSS..... दिल की आवाज को सुन....डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन'https://www.blogger.com/profile/04502207807795556896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-86194410368635264702012-05-26T11:04:56.581+05:302012-05-26T11:04:56.581+05:30पूजा, पोस्ट अच्छी लगी... ऊपर बहु वाला मुहावरा पढ़ क...पूजा, पोस्ट अच्छी लगी... ऊपर बहु वाला मुहावरा पढ़ कर UP का एक मुहावरा याद आ गया..<br />"मनाये-२ खीर ना खाए, झूठी पत्तल चाटन आये"... :))डा. गायत्री गुप्ता 'गुंजन'https://www.blogger.com/profile/04502207807795556896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-27117970937846403972012-05-26T06:03:55.285+05:302012-05-26T06:03:55.285+05:30बात बिलकुल समझ में आती है कि बोली कुछ लोगों या समू...बात बिलकुल समझ में आती है कि बोली कुछ लोगों या समूहों का साझा और विशिष्ट व्यक्तिपरक अनुभव होता है जिसमें शब्दों के अर्थ बहुत सारे सन्दर्भों से बंधे रहतें है..इसमें अनुवाद कई बार अब्सर्ड लगता है..अनुवाद को लेकर संशय मन में बना रहता है..<br />मेरा आग्रह तो यही और इतना ही है कि अनुवाद को भी हम (मूल)खराब या अच्छी रचना की तरह ही पढ़ रहे होते है, अगर हम उसे किसी तुलनात्मक नज़रिए को रख कर नहीं पढ़ रहें है तो.<br /><br />बोली में बरताव के सुख पर इतने अच्छे आलेख को साझा करने का शुक्रिया.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-42815950126897800142012-05-25T21:40:35.160+05:302012-05-25T21:40:35.160+05:30ऐसा सरीफ लोग तुमरे जैसन लईका के चक्कर में कौन पुरा...ऐसा सरीफ लोग तुमरे जैसन लईका के चक्कर में कौन पुराने जन्म के पाप से पड़ जाता है रे अभिषेक! अब बतलाओ...दोस्त के सामने ऐसन ऐसन काम करोगे तुमको वहीं हुसैन सागर में ढकेल नहीं दिया?<br /><br />लेकिन ऊ भला आदमी रहा होगा बिचारा :) :)Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-41071155464345888762012-05-25T21:35:51.274+05:302012-05-25T21:35:51.274+05:30शुक्रिया संजय जी...आपकी बात भी थोड़ी थोड़ी समझ में...शुक्रिया संजय जी...आपकी बात भी थोड़ी थोड़ी समझ में आती है...आपकी टिप्पणी एक दूसरी दिशा को इंगित करती है जिसपर मेरा ध्यान नहीं गया था. <br /><br />पॉइंट १. अनुवाद को लेकर मेरे पूर्वाग्रहों की बात कर रही हूँ. <br />पॉइंट २. भाषा का अनुवाद हो सकता है, बोली का अनुवाद मुश्किल है. Language vs Dialect. भाषा में बहुत हद तक शब्दों के अपने तयशुदा अर्थ होते हैं, जबकि बोली(dialect)व्यक्तिपरक होती है. <br /><br />आइसोलेशन में देखें तो ये वाक्य पढ़ कर यही लगता है कि मुझे हमेशा ट्रांसलेशन बेईमानी लगता है...पर जैसा आगे कहती हूँ...ये मेरा पूर्वाग्रह है...मेरी अपनी कमजोरी है कि मैं अनुवाद एकदम ही नहीं कर पाती हूँ इसलिए मुझे लगता है कि अच्छे से अच्छे अनुवाद में भी कुछ न कुछ छूट जाता होगा. <br /><br />क्या मूल का भी कोई एक सर्वव्यापी वस्तुनिष्ठ अर्थ होता है? <br />मूल तो व्यक्तिपरक होता है...जैसा कि आप कहते हैं...एक ही भाषा में होने के बावजूद दो लोग एक ही रचना के दो अर्थ समझ सकते है जो उनके अपने अनुभवों और पूर्वाग्रहों पर आधारित होगा...ऐसे में आपका कहना सही है कि अनुवाद में हम एक बेहतर मूल को पढ़ रहे होते हैं. <br /><br />मैं भाषा से ज्यादा बोली की बात कर रही हूँ जहाँ हर शब्द एक अनुभव, एक कहानी, एक लोकोक्ति से उभरता है...उन्हें किसी भाषा में अनुवादित करने के बहुत से सन्दर्भों की जरूरत पड़ेगी...ऐसे में अनुवाद करना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा. आलेख थोड़ा और विस्तार खोजता है...किसी दिन फिर इसपर लिखती हूँ.Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-76153979698111610192012-05-25T21:17:25.086+05:302012-05-25T21:17:25.086+05:30देखिये तो पूजा..आपके ब्लॉग पर कित्ता दिन बाद आए और...देखिये तो पूजा..आपके ब्लॉग पर कित्ता दिन बाद आए और ई एकदम खतरनाक टाईप का पोस्ट मिला पढ़ने को...एगो हम लोग का बहुत ही सरीफ दोस्त है...मुराद...बेचारा ऊ बिहार में रह कर भी बिहारी भाषा नहीं बोलता था..उ अलगे कैटेगरी का था....और नाही कभी लफुआ टाईप बतियाता था...एकबार जब हैदराबाद गए तो उसकी दोस्त भी थी और ऊ भी...हम टाईट टाईट बिहारी शब्द फेकने लगे जईसे जरलाहा...मुझौसा..पतरसुक्खा....etcc...उसकी दोस्त और उसका उस दिन बहुत ज्ञानवर्धन किये थे हम :Pabhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-38573323272466163862012-05-25T20:45:05.770+05:302012-05-25T20:45:05.770+05:30"ट्रांसलेशन की अपनी हज़ार खूबियां हैं मगर मुझ..."ट्रांसलेशन की अपनी हज़ार खूबियां हैं मगर मुझे हमेशा ट्रांसलेशन एक बेईमानी सा लगता है..."<br />बात से कुछ कुछ सहमत हूँ पर असहमित दर्ज़ कराने से भी खुद को रोक नहीं पाऊंगा.क्या मूल का भी कोई एक सर्वव्यापी वस्तुनिष्ठ अर्थ होता है?रचनात्मक लेखन में मूल को सब अपनी अपनी तरह से समझते है या कहें ग्रहण करते है.कविता को तो एक ही आदमी बार बार नये अर्थों में समझता है.अनुवाद में हम कई बार 'एक रूपांतरित मूल' या बेहतर मूल को ही पढ़ रहे होतें है....sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-63352294411176892042012-05-25T20:43:38.031+05:302012-05-25T20:43:38.031+05:30This comment has been removed by the author.sanjay vyashttps://www.blogger.com/profile/12907579198332052765noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-90628788838218356982012-05-25T20:36:40.739+05:302012-05-25T20:36:40.739+05:30हम तौ अवधी वाले होई मगर इ तौ जंबी करित
है की अपने ...हम तौ अवधी वाले होई मगर इ तौ जंबी करित<br />है की अपने भाषा म बतियाये कई मजा अलग बाय<br />भोजपुरी से भी अच्छा नाता है ननिहाल बनारस में होने से गर्मी<br />की छुट्टियाँ वहीँ बीतती थी इसलिए उन पर अच्छा रियाज है<br />अभी भी बनारस में भोजपुरी में ज्यादा बात करना पसंद करता हूँ<br />सबसे बड़ा फायदा ये होता है की आपको कोई बेवकूफ बनाने की जल्दी<br />हिम्मत नहीं करता | अभी पिछले साल गोवा में कई दुकानदारों से मुलाक़ात<br />हुई कोई बनारस का आजमगढ़ का जौनपुर जब उनसे बात भोजपुरी में होने लगी<br />तो वे सामान का पैसा लेने को तैयार नहीं कि कोई तो बहुत दिन बाद मिला<br />अपनी भाषा में बात करने वाला |<br />अपनी भाषा का रस कहीं नहीं |<br />क बबुनी तू त अईसन लिख कर अक्दमै से छा गइलू|Dhirendra Vikram Kushwahahttps://www.blogger.com/profile/08327747462240143363noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-20457428559654688942012-05-25T20:15:58.186+05:302012-05-25T20:15:58.186+05:30बिहार में दू साल बिता कर बस यही लगता है कि बिहार आ...बिहार में दू साल बिता कर बस यही लगता है कि बिहार आत्मसात करने के लिये वहाँ जन्म लेना आवश्यक है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-81255756656130420182012-05-25T17:47:59.728+05:302012-05-25T17:47:59.728+05:30भाषा-बोली को लेकर की गयी सार्थक माथापच्ची:)भाषा-बोली को लेकर की गयी सार्थक माथापच्ची:)अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-7248019838001661782012-05-25T15:17:32.926+05:302012-05-25T15:17:32.926+05:30daiya re daiya.........ee darbhangakumari barka bu...daiya re daiya.........ee darbhangakumari barka bujhbai.ya..<br /><br />je thure se 'thor'...pher nib ke tor....chatiya sab ke pakar......aa bilag pe dhar<br />......sab bani gelai lat-khor.....aab ta' bha gel hatai bhor'.......<br /><br />ee padhke agar kalla-kan-kana-ne lage ta' 2/4 lili-mouni gariya ujhal dena...bujhe....सञ्जय झाhttps://www.blogger.com/profile/08104105712932320719noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-80679885576683305592012-05-25T13:22:18.053+05:302012-05-25T13:22:18.053+05:30परसांत तुम तो एकदम सुपरहीरो हो, ध्रुव के जैसन...और...परसांत तुम तो एकदम सुपरहीरो हो, ध्रुव के जैसन...और ई झूठ फूस पीठ कुरियाने का डीलिंग मत दो...हम सब बूझते हैं कि दो बजे रात तुमको तुमरा 'दोबजिया बैराग' जागता है सो बैठ के मैथली, मगही और भोजपुरी में किसी को गप्प दे रहे होगे छुटंकी बचवा सब का. :) :)Puja Upadhyayhttps://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-23579526932495156342012-05-25T13:08:51.432+05:302012-05-25T13:08:51.432+05:30मरिंग दी लाठी, फोरिंग कापर
लाइयिंग दे रेक्सा पहुचा...मरिंग दी लाठी, फोरिंग कापर<br />लाइयिंग दे रेक्सा पहुचायिंग अस्पताल ...... <br />... बस पर लिखा होता था... लटकले बेटा तो गेले बेटा..... बचपन में तो माथा में भूसा भरा होता था हमारे... <br /> बिहारी मतलब कई भाषाओँ का साझा संगम... भोजपुरी, मैथिलि, अंगिका, मगही और इन सबके बीच कई बोलिया....ओल ...बकलोल... . और फिर भाषाई इन्नोवेशन... आनंद आ गया...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-38834661535849824822012-05-25T12:50:31.190+05:302012-05-25T12:50:31.190+05:30कल किसी का पैर टटा रहा था, तो किसी का कपाड दुखा रह...कल किसी का पैर टटा रहा था, तो किसी का कपाड दुखा रहा था..<br />मेरा तो पीठी कुरिया रहा था जिस वक्त तुम ये सब लिख रही थी.. :-|<br /><br />BTW, हम बिहार में बोली जाने वाली तीनों भाषा कामचलाऊ बोल लेते हैं. मैथिलि, मगही और भोजपुरी. :-)PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-18846502227337414872012-05-25T12:07:23.988+05:302012-05-25T12:07:23.988+05:30Puja ji मुझे यह बहुत पसंद आया ...मैं यह Facebook प...Puja ji मुझे यह बहुत पसंद आया ...मैं यह Facebook पर साझा कर रहा हूँ ...ताकि अन्य लोगों को भी अपने ब्लॉग में सौंदर्य महसूस हो ..काश मुझे भी भोजपुरी याद होती ... :)Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09885562740564355708noreply@blogger.com