tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post6025081191293014188..comments2024-03-16T10:24:55.941+05:30Comments on लहरें: मैं तुमसे नफरत करती हूँ...ओ कवि!Puja Upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-16565123898768898762012-01-18T18:52:19.348+05:302012-01-18T18:52:19.348+05:30वाह..... बेजोड़ रचना ...बेजोड़ प्रस्तुति ...बधाई
...वाह..... बेजोड़ रचना ...बेजोड़ प्रस्तुति ...बधाई<br /><br />नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-52116322389892212702012-01-18T14:22:28.054+05:302012-01-18T14:22:28.054+05:30स्वप्नजीवी कवि के
प्रेम की तिजारत से बेहतर है
कि...स्वप्नजीवी कवि के <br />प्रेम की तिजारत से बेहतर है <br />किसी यथार्थजीवी निष्ठुर की नफ़रत <br />कम से कम वह ज़मीन पर तो है <br />कभी भी मना लेंगे उसे.<br /><br />पूजा ! तुम हर बार निःशब्द कर देती हो .....हुंकारी भरने के लिए शब्द खोजने पड़ते हैं ......ऐसी समस्या से अब तो रोज ही दो-चार होना पड़ा रहा है.......यह कैसा एंटीओक्सिडेंट है जो सारी ओक्सिजन ख़त्म कर देता है ?बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-3623256833879841632012-01-18T11:47:43.747+05:302012-01-18T11:47:43.747+05:30नफरत है या प्यार की इंतहा...
खूबसूरत रचना।नफरत है या प्यार की इंतहा...<br /><br />खूबसूरत रचना।Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-85629073810164151022012-01-17T22:55:23.760+05:302012-01-17T22:55:23.760+05:30बहुत बेहतर बहुत आलाबहुत बेहतर बहुत आलाबवालhttps://www.blogger.com/profile/11131413539138594941noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-16890917723156959162012-01-17T21:10:12.877+05:302012-01-17T21:10:12.877+05:30आह!आह!देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-16982173907362495332012-01-17T19:12:46.061+05:302012-01-17T19:12:46.061+05:30unbelievable outburst of emotions ...splendid....unbelievable outburst of emotions ...splendid....Anupama Tripathihttps://www.blogger.com/profile/06478292826729436760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-85933407399627007582012-01-17T16:12:07.660+05:302012-01-17T16:12:07.660+05:30भँवरा जो हूँ इक कली से प्यार करता हूँ...
मौत है वो...भँवरा जो हूँ इक कली से प्यार करता हूँ...<br />मौत है वो मेरी , ये ऐतबार करता हूँ...<br />भींच लेगी मुझे आगोश में, और अंत कर देगी..<br />फिर भी अपनी मौत से, में प्यार करता हूँ....<br /><br />जब भावना पिघल कर शब्द बन जाए तो ही ऐसे कलाकृति बनती है,,,, बहुत खूबसूरतअनुराग गौतमhttps://www.blogger.com/profile/04432436780029107644noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-10666238980464222232012-01-17T15:47:18.030+05:302012-01-17T15:47:18.030+05:30वे दिन बहुत खूबसूरत थे
जो कि बेक़रार थे
सुलगते होठ...वे दिन बहुत खूबसूरत थे<br />जो कि बेक़रार थे<br />सुलगते होठों को चूमने में गुजरी वो शामें<br />थीं सबसे खूबसूरत<br />झुलसते जिस्म को सहलाते हुए<br />बर्फ से ठंढे पानी से नहाया करती थी<br />दिल्ली की जनवरी वाली ठंढ में<br />ठीक आधी रात को<br />और तवे को उतार लेती थी बिना चिमटे के<br />उँगलियों पर फफोले पड़ते थे<br />जुबान पर चढ़ता था बुखार<br />तुम्हारे नाम का<br />behad umda..... humesha ki tarah...<br />dhanywad<br />avinash001.blogspot.comअविनाश मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/03793916184887668151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-56909109591775079632012-01-17T15:43:24.907+05:302012-01-17T15:43:24.907+05:30मेरा चेहरा तुम्हें तितली के परों जैसा लगता है
और त...मेरा चेहरा तुम्हें तितली के परों जैसा लगता है<br />और तुम मुझे किसी किताब में चिन देना चाहते हो <br />तुम मुझे अपनी कविताओं में दफनाना चाहते हो<br />तुम मुझे अपने शब्दों में जला देना चाहते हो<br /><br />वाह अद्भुत भाव एवं प्रवाह बधाईAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/18094849037409298228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-12314051357029507982012-01-17T15:20:07.917+05:302012-01-17T15:20:07.917+05:30पर मैं तुमसे प्यार और बस प्यार करती हूँ
z.. मेरे ...पर मैं तुमसे प्यार और बस प्यार करती हूँ <br />z.. मेरे कवि<br />वो भी बेइन्तिहा<br />मरने के जैसा <br />या शायद मर ही जाऊँ कुछ दिन में<br /><br />तुमने जो किया .. जो भी<br />मेरे सर माथे ..Gunjanhttps://www.blogger.com/profile/08585406660165756738noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-46687107538617521532012-01-17T15:04:41.844+05:302012-01-17T15:04:41.844+05:30बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......
मेरे ब्लॉग पर आपक...बहुत बेहतरीन और प्रशंसनीय.......<br />मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।Shanti Garghttps://www.blogger.com/profile/03904536727101665742noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-36996196533458235632012-01-17T14:46:26.318+05:302012-01-17T14:46:26.318+05:30निशब्द करती उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...निशब्द करती उत्कृष्ट अभिव्यक्ति...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-16865741616568236002012-01-17T14:44:53.862+05:302012-01-17T14:44:53.862+05:30कितना सुन्दर नफरत है ! हम भी ऐसा नफरत करेंगे
इसी...कितना सुन्दर नफरत है ! हम भी ऐसा नफरत करेंगे<br /><br /><br />इसी पर कहा गया है " मैं कुछ कुछ भूलता जाता हूँ तुझको".... और फिर शिद्दत से याद किया जाता है.<br />एक और <br />"अंदाज़ अपने देखते हैं आईने में वो<br />और ये भी देखते हैं कोई देखता ना हो"सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-78553958504293526472012-01-17T14:37:13.071+05:302012-01-17T14:37:13.071+05:30प्रेमपाश में बंधे व्यकित्व और उसकी पीड़ा को कवि के ...प्रेमपाश में बंधे व्यकित्व और उसकी पीड़ा को कवि के शब्दों का जामा पहना दिया ...बहुत खूबAnju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-7720836560937742422012-01-17T14:27:56.154+05:302012-01-17T14:27:56.154+05:30कभी प्यार में पीड़ा का लावा और कभी पीड़ा को शब्दों...कभी प्यार में पीड़ा का लावा और कभी पीड़ा को शब्दों में व्यक्त करने वाले कवि को उलाहना। यह कैसा चुम्बकीय अन्धकूप हैं प्रेम जिसमें हम जैसे प्रेम के लघु-चुम्बक अपनी दिशा खो देते हैं।<br /><br />अनुपम वर्णन..प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-26833991047338651962012-01-17T14:16:13.063+05:302012-01-17T14:16:13.063+05:30बहुत खूब............
निःशब्द कर दिया आपकी रचना ने....बहुत खूब............<br />निःशब्द कर दिया आपकी रचना ने...vidyahttps://www.blogger.com/profile/07319211419560198769noreply@blogger.com