tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post3380394748723807503..comments2024-03-16T10:24:55.941+05:30Comments on लहरें: आलंबनPuja Upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-91835721316210912742011-01-26T16:36:11.882+05:302011-01-26T16:36:11.882+05:30रेंत के मानिंद फिसलते पलो में जिन्दंगी को मुट्ठी म...रेंत के मानिंद फिसलते पलो में जिन्दंगी को मुट्ठी में पकड़ने की दस्ता. ए इश्क तुझे मेरे ख्वाबो की उम्र लग जाये. किसी जीती जागती कविता से यह परिचय सिर्फ मौन में ले गया. खुबसूरत, बहुत खुबसूरत.Rahul Paliwalhttps://www.blogger.com/profile/10172932105201007746noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-22412521827120726692011-01-15T13:59:46.347+05:302011-01-15T13:59:46.347+05:30भावुक अभिव्यक्ति.........अच्छी लगी।भावुक अभिव्यक्ति.........अच्छी लगी।Shikha Deepakhttps://www.blogger.com/profile/14771628630149514529noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-46667461612134253892011-01-14T15:42:46.514+05:302011-01-14T15:42:46.514+05:30आपको मकर संक्रांति की हार्दिक बधाई ।
बहुत खूब मज़...आपको मकर संक्रांति की हार्दिक बधाई ।<br /><br />बहुत खूब मज़ा आ गया पढ़ कर।<br />जी धन्यवाद।शिव शंकरhttps://www.blogger.com/profile/12563856370126245256noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-40555976636083049942011-01-13T18:45:44.652+05:302011-01-13T18:45:44.652+05:30अच्छी रचना, बधाई।अच्छी रचना, बधाई।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-49653560951062528442011-01-13T13:19:05.829+05:302011-01-13T13:19:05.829+05:30लगता है जीवन भर अलाव की जरूरत रहेगी. सुन्दर रचना.लगता है जीवन भर अलाव की जरूरत रहेगी. सुन्दर रचना.P.N. Subramanianhttps://www.blogger.com/profile/01420464521174227821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-46259461296988464372011-01-13T10:45:53.773+05:302011-01-13T10:45:53.773+05:30.
मुझे इस भावुक कविता ने भावुक कर दिया.
..<br /><br />मुझे इस भावुक कविता ने भावुक कर दिया. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-2728284885946907152011-01-13T10:44:58.571+05:302011-01-13T10:44:58.571+05:30.
@ शेष कविता में भाव की दृष्टि कहीं कोई कमी नहीं....<br /><br />@ शेष कविता में भाव की दृष्टि कहीं कोई कमी नहीं.<br /><br />अनधिकार चेष्टा की.......... क्षमा.<br />आभारी हूँ वंदना जी का जिन्होंने चर्चा मंच में आपका लिंक दिया. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-20695159039041106772011-01-13T10:40:44.292+05:302011-01-13T10:40:44.292+05:30.
उम्र के साथ रक्त संचालन धीमा पड़ता है
पहले दिल ....<br /><br />उम्र के साथ रक्त संचालन धीमा पड़ता है<br />पहले दिल धड़कता था कितनी तेज़<br />जब छू भी जाता था तुम्हारा हाथ<br />अलाव सी जलती थी हथेली, देर तक. <br /><br />@ वाह! .........<br /><br />यौवन की स्मृति अधेड़ उम्र में आती ही है. ...<br />एक पीड़ा है शरीर के निस्तेज होते जाने की. <br /><br />'रक्त-संचार' धीमा पड़ जाता है. <br />वाक्य में 'रक्त संचालन' बोलने में मुख-सुख बिगड़ रहा है.<br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-58187521575832286042011-01-13T10:33:40.866+05:302011-01-13T10:33:40.866+05:30.
अब आसार नज़र आने लगे हैं
झुर्रियों के, थरथराहट ....<br /><br />अब आसार नज़र आने लगे हैं<br />झुर्रियों के, थरथराहट के<br />ठंढे रहते हैं मेरे हाथ अक्सर<br />झीने ठंढ वाले मौसम में भी<br /><br />@ प्रवाह में हैं भाव .... बस 'ठंढे' की बजाय 'ठंडे' कर लें...<br />बढ़ती उम्र का एहसास कराने में सक्षम अभिव्यक्ति.<br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-28354746750172626212011-01-13T10:30:01.692+05:302011-01-13T10:30:01.692+05:30.
@ पहले त्रुटि संकेत :
'इन्होने काम किया है....<br /><br />@ पहले त्रुटि संकेत : <br />'इन्होने काम किया है' .. के स्थान पर .... 'कम किया है' .. कर लें.<br />मेरी ज़िंदगी में ... केवल 'ज़िंदगी' लाने भर से काम चल सकता है. <br /><br />हाथ उदास हैं और थके हुए भी. ..... शानदार बिम्ब.<br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-61348008402218114432011-01-13T10:22:18.552+05:302011-01-13T10:22:18.552+05:30.
रात ठहरी हुयी है
जहाँ अलाव में मैं सेंक रही हूँ....<br /><br />रात ठहरी हुयी है<br />जहाँ अलाव में मैं सेंक रही हूँ<br />अपनी ठिठुरती उँगलियाँ<br />नाखून जैसे नीले से पड़ गए हैं.<br />@ रात के ठहरे रहने, उँगलियों के ठिठुरने और नाखूनों के नीला पड़ जाने में कविता के तत्व हैं. <br />वह कैसे? <br />वह ऐसे कि ....... सर्द रात बिताये नहीं बीत रही, उसके ठहरे रहने की यही ध्वनि है. <br /><br />आप इसकी शुरुआत यदि ऐसे करते तो <br />अधिक प्रभावी होता ....<br /><br />रात ठहरी हुयी है <br />अलाव में सिंक रही हैं <br />ठिठुरती उंगलियाँ <br />नाख़ून जैसे पीले से पड़ गये हैं. <br /><br />इसके बाद स्वयं को कविता में शामिल करें तो अच्छा लगेगा. <br />प्राकृतिक घटनाओं और उपांगों में मानवीकरण का पुट देकर भाव द्विगुणित प्राभावी हो जायेंगे.... मेरा ऐसा मानना है. <br /><br />.प्रतुल वशिष्ठhttps://www.blogger.com/profile/00219952087110106400noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-26809482001662552442011-01-13T07:56:39.946+05:302011-01-13T07:56:39.946+05:30bahut sundarbahut sundarAnamikaghatakhttps://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-65907081695083686782011-01-12T17:56:36.692+05:302011-01-12T17:56:36.692+05:30बहुत सुंदर - विचार भी - और अभिव्यक्ति भीबहुत सुंदर - विचार भी - और अभिव्यक्ति भीAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-69995430625032179562011-01-12T14:50:37.539+05:302011-01-12T14:50:37.539+05:30स्पर्श ऊर्जा दे जाता है, रक्त धमनियों में दौड़ने ल...स्पर्श ऊर्जा दे जाता है, रक्त धमनियों में दौड़ने लगता है, निर्बाध, व्यक्त करने की इच्छा हो उठती है। सुन्दर रचना।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com