tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post3254839703662551239..comments2024-03-16T10:24:55.941+05:30Comments on लहरें: दिल्ली तेरी गलियों का...Puja Upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comBlogger19125tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-45948131081219693242010-09-13T17:11:14.980+05:302010-09-13T17:11:14.980+05:30ये बात ...."बस जिन्दगी की रफ्तार बदल जाती है&...ये बात ...."बस जिन्दगी की रफ्तार बदल जाती है"..ये हमेशा तेज ही नही रहती..हमेशा स्लो भी नही चलती पर हाँ...एक सी नही रहती...कभी.!<br /><br />"एक याद वाली पगडण्डी<br /><br />एक आधा बांटा हुआ चाँद<br /><br />और अलाव के इर्द गिर्द<br />गाये हुए गीतों के कतरे."<br /><br />सर्द मौसम में दूर तक दिखता भी नही तो बस दो ही ...! गाये हुए गीतों के कतरे...ये लाईन ..! उन कतरों में कितना कुछ सिमटा पड़ा है ना..सोचता हूँ, जबतक दिल्ली में हूँ और कैम्पस में हूँ..ओढ़-बिछा लूं..हर वक़्त को..!<br /><br />पूजा जी को आपको खूब सारा थैंक्स..! और हाँ..सागर भाई..तू तो यार..कमालहै..! पता है होगी ये लोगों के लिए कविता...अगर मै गलत नही हूँ तो मेरे लिए तो यह सुबहो-शाम की अलमस्ती है... तो क्या हुआ..पी.एच.डी. की सिनोप्सिस दो बार प्रेजेंट कर चूका हूँ पर फिर भी अभी अप्रूव्ड नही हुई.....:)Dr. Shreesh K. Pathakhttps://www.blogger.com/profile/09759596547813012220noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-1842895126584605152009-02-27T00:07:00.000+05:302009-02-27T00:07:00.000+05:30commenting anything will be doing injustice to the...commenting anything will be doing injustice to the emotions behind this...rajeev sunejahttps://www.blogger.com/profile/08534621133039149526noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-52050267551608286132009-02-03T20:00:00.000+05:302009-02-03T20:00:00.000+05:30क्या बात है, आपने तो पुराने दिन याद दिला दिए.क्या बात है, आपने तो पुराने दिन याद दिला दिए.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-6837589818273400032008-12-23T18:32:00.000+05:302008-12-23T18:32:00.000+05:30aaj unhi tarikhon menmain hoon, tum bhi ho...jinda...aaj unhi tarikhon men<BR/><BR/>main hoon, tum bhi ho...jindagi bhi hai<BR/><BR/>agar kuchh kho gaya hai to bas<BR/><BR/>vo shahar ...jahan hamen muhabbat huyi thi <BR/><BR/>dilli, teri galiyon ka<BR/><BR/>vo ishk yad aata hai...<BR/><BR/><BR/>bahut hi umdaa.....outstanding :)Rakheehttps://www.blogger.com/profile/07766391972473683869noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-51981324818704398172008-12-18T22:58:00.000+05:302008-12-18T22:58:00.000+05:30मैं हूँ, तुम भी हो...जिंदगी भी हैअगर कुछ खो गया है...मैं हूँ, तुम भी हो...जिंदगी भी है<BR/><BR/>अगर कुछ खो गया है तो बस<BR/><BR/>वो शहर ...जहाँ हमें मुहब्बत हुयी थी<BR/><BR/>दिल्ली, तेरी गलियों का<BR/><BR/>वो इश्क याद आता है...<BR/><BR/><BR/>जबरदस्त रचना<BR/>infact बहुत ज्यादा अच्छी कविताप्रशांत मलिकhttps://www.blogger.com/profile/00731890204631377889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-61157656721332573442008-12-15T14:29:00.000+05:302008-12-15T14:29:00.000+05:30wow.. the only word after reading your poem.. :-) ...wow.. the only word after reading your poem.. :-) bahut sundar likha.. kuch hame bhi sikha dijiye na ki bhawnao ko shabd kaise dete hai?travel30https://www.blogger.com/profile/00114463185726816112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-91810587155120620302008-12-14T19:41:00.000+05:302008-12-14T19:41:00.000+05:30"रह जाती है बसएक याद वाली पगडण्डीएक आधा बांटा हुआ ..."रह जाती है बस<BR/><BR/>एक याद वाली पगडण्डी<BR/><BR/>एक आधा बांटा हुआ चाँद<BR/><BR/>और अलाव के इर्द गिर्द<BR/><BR/>गाये हुए गीतों के कतरे..."<BR/><BR/>संवेदित पंक्तियां . भावना के गहरे साहचर्य के साथ लिखी गयी हैं यह. <BR/>धन्यवाद.Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-80440292226994932732008-12-14T13:35:00.000+05:302008-12-14T13:35:00.000+05:30छः मंजिल सीढियों पर रेस लगानारात के teen बजे पराठे...छः मंजिल सीढियों पर रेस लगाना<BR/><BR/>रात के teen बजे पराठे खाना <BR/><BR/>और चिल्लड़ गिन कर झगड़ना <BR/><BR/>कॉफी या सिगरेट खरीदने के बारे में...<BR/><BR/>कोहरे से तुम्हें आते हुए देखना<BR/><BR/>और फ़िर गुम हो जाना उसी कोहरे में <BR/><BR/>बहुत ही सुंदर रचना है !!!विक्रांत बेशर्माhttps://www.blogger.com/profile/07105086711896834472noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-48070729888321021632008-12-14T11:48:00.000+05:302008-12-14T11:48:00.000+05:30वाह शब्दों से क्या सुर बाधा हैं। कई बार पढ गया। छः...वाह शब्दों से क्या सुर बाधा हैं। कई बार पढ गया। <BR/>छः मंजिल सीढियों पर रेस लगाना<BR/>रात के teen बजे पराठे खाना<BR/>और चिल्लड़ गिन कर झगड़ना<BR/>कॉफी या सिगरेट खरीदने के बारे में...<BR/>कोहरे से तुम्हें आते हुए देखना<BR/>और फ़िर गुम हो जाना उसी कोहरे में<BR/>हम दोनों का...<BR/><BR/>पुरानी यादों में ले जाता हुआ। अदभुत।सुशील छौक्कर https://www.blogger.com/profile/15272642681409272670noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-80607246493995210172008-12-14T11:26:00.000+05:302008-12-14T11:26:00.000+05:30एक याद वाली पगडण्डीएक आधा बांटा हुआ चाँदऔर अलाव के...एक याद वाली पगडण्डी<BR/><BR/>एक आधा बांटा हुआ चाँद<BR/><BR/>और अलाव के इर्द गिर्द<BR/><BR/>गाये हुए गीतों के कतरे...<BR/><BR/>छः मंजिल सीढियों पर रेस लगाना<BR/><BR/>रात के teen बजे पराठे खाना<BR/><BR/>और चिल्लड़ गिन कर झगड़ना<BR/><BR/>कॉफी या सिगरेट खरीदने के बारे में...<BR/>कोहरे से तुम्हें आते हुए देखना<BR/>और फ़िर गुम हो जाना उसी कोहरे में<BR/>हम दोनों का...<BR/>आज उन्ही तारीखों में<BR/>मैं हूँ, तुम भी हो...जिंदगी भी है<BR/>अगर कुछ खो गया है तो बस<BR/>वो शहर ...जहाँ हमें मुहब्बत हुयी थी<BR/>दिल्ली, तेरी गलियों का<BR/>वो इश्क याद आता है...<BR/><BR/><BR/><BR/>puja !YOU are at your best when you write in this flow.....rather very honestly...i am fan of parveen shaaqir too..who said ...<BR/><BR/>चाँद ..<BR/><BR/>एक से मुसाफिर हैं <BR/>एक सा मुक़द्दर हे <BR/>मैं ज़मीन पर तनहा <BR/>ओर वोह आसमान में <BR/><BR/><BR/><BR/>keep flowing .you are awesome today.डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-45219027297388213742008-12-14T10:14:00.000+05:302008-12-14T10:14:00.000+05:30बेहद सुन्दर रचना ! पुरानी यादों को खंगालती हुई !रा...बेहद सुन्दर रचना ! पुरानी यादों को खंगालती हुई !<BR/><BR/>राम राम !ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-47564213604801682008-12-14T01:25:00.000+05:302008-12-14T01:25:00.000+05:30ऐसी लेने पढ़कर चाहे-अनचाहे यादें घेर लेती हैं. फ़ि...ऐसी लेने पढ़कर चाहे-अनचाहे यादें घेर लेती हैं. <BR/>फ़िल्म के लिए शुभकामनायें !Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-71414387377148010552008-12-14T00:17:00.000+05:302008-12-14T00:17:00.000+05:30बहुत अच्छी कविता किसी के एक मुकतक के साथ बधाई.......बहुत अच्छी कविता किसी के एक मुकतक के साथ बधाई....<BR/>दिल में अपने कोई बोझ न भारी रखिए,<BR/>जिंदगी जंग है,इस जंग को जारी रखिए।<BR/>शहर नया है दोस्त बन रखिए,<BR/>दिल मिले न मिले हाथ मिलाए रखिए।bijnior districthttps://www.blogger.com/profile/02245457778160306799noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-45359756751149741902008-12-13T23:27:00.000+05:302008-12-13T23:27:00.000+05:30एक बात कहनी भूल गया.. आपने भी आधे चांद की बात कहकर...एक बात कहनी भूल गया.. आपने भी आधे चांद की बात कहकर कहीं किसी के चांद कि चोरी तो नहीं कर ली ना? विस्तार से ई-मेल में बताता हूं.. क्योंकि मैं बेकार का ब्लौग जगत में एक और बहस नहीं चाहता हूं.. ;)<BR/>वैसे जिसके लिये लिखा है वो शायद समझ जायेंगे.. :)PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-64552777617041242102008-12-13T23:24:00.000+05:302008-12-13T23:24:00.000+05:30इसे पढ़कर कुछ जानी-अनजानी, चाही-अनचाही यादों ने घेर...इसे पढ़कर कुछ जानी-अनजानी, चाही-अनचाही यादों ने घेरा डाल दिया..<BR/>कविता बहुत सुंदर..PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-4958888161583138192008-12-13T22:51:00.000+05:302008-12-13T22:51:00.000+05:30दिल्ली, तेरी गलियों कावो इश्क याद आता है.............दिल्ली, तेरी गलियों का<BR/><BR/>वो इश्क याद आता है................<BR/>बीते हुए लम्हे....<BR/>गुजरे हुए पल.....<BR/>बिखरी हुई यादें.....<BR/>थोडी-सी कसक.....<BR/>थोडी सी-सी महक....<BR/>डूबी हुई कोई सिसकी....<BR/>कोई खुशनुमा-सी शाम.....<BR/>या दर्द में डूबा संगीत..........<BR/>सुरमई से कुछ भीने-भीने रंग.....<BR/>यादों से विभोर होता हुआ मन.......<BR/>मचलती हुई कई धड़कनें....<BR/>फड़कती हुई शरीर की कुछ नसें.....<BR/>जाने क्या कहता तो है मन....<BR/>जाने क्या बुनता हुआ-सा रहता है तन....<BR/>बहुत दिनों पहले की तो ये बातें थीं......<BR/>आज तक ये क्यूँ जलती हुई-सी रहती है....<BR/>ये आग मचलती हुई-सी क्यूँ रहती है.....<BR/>अगर प्यार कुछ नहीं तो बुझ ही जाए ना....<BR/>और अगर कुछ है तो आग लगाये ना...<BR/>बरसों पहले बुझ चुकी जो आग है....<BR/>वो अब तलक दिखायी कैसे देती है....<BR/>और हमारी तन्हाईयों में उसकी सायं-सायं <BR/>की गूँज सुनाई क्यूँ देती है....!!<BR/>प्यार अमर है तो पास आए ना....<BR/>और क्षणिक है तो मिट जाए ना......<BR/>मगर इस तरह आ-आकर हमें रुलाये ना....!!राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-1661046812294050032008-12-13T22:03:00.000+05:302008-12-13T22:03:00.000+05:30bahut sundar ehsaasbahut sundar ehsaasmehekhttps://www.blogger.com/profile/16379463848117663000noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-926051422783095272008-12-13T21:32:00.000+05:302008-12-13T21:32:00.000+05:30"एक याद वाली पगडण्डीएक आधा बांटा हुआ चाँद""कोहरे स..."एक याद वाली पगडण्डी<BR/><BR/>एक आधा बांटा हुआ चाँद"<BR/><BR/>"कोहरे से तुम्हें आते हुए देखना<BR/><BR/>और फ़िर गुम हो जाना उसी कोहरे में"sshttps://www.blogger.com/profile/10746526495871896780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-34955701536443529372008-12-13T21:29:00.000+05:302008-12-13T21:29:00.000+05:30वाह पूजा जी शब्दों को कितना ढंग से शक्ल दी है आप...वाह पूजा जी शब्दों को कितना ढंग से शक्ल दी है आपने अच्छी कवितामोहन वशिष्ठ https://www.blogger.com/profile/00939783274989234267noreply@blogger.com