tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post1102808945846809416..comments2024-03-16T10:24:55.941+05:30Comments on लहरें: किस्सा ऐ किताब...दिल्ली से बंगलोरPuja Upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-65383662685720374982010-08-25T09:13:50.076+05:302010-08-25T09:13:50.076+05:30मैंने भी बंगलौर में हिंदी की किताबें बहुत ढूंढी थ...मैंने भी बंगलौर में हिंदी की किताबें बहुत ढूंढी थी . लैंडमार्क में मिलती नहीं थी और हिंदी प्रेमी लोग बहुत कम थे मेरे कॉलेज में.<br />खैर अपनी लैब्ररी में बेसमेंट में एक कोना था उपेक्षित सा, मैंने वहां पर हिंदी की कुछ किताबें ढूंढ निकाली थी. पांच साल मैंने ऐसे गुजारे.<br />सोचा था वापस दिल्ली जाकर खूब सारी किताबें खरीदूंगी हिंदी की , कुछ खरीदी और सारा कुछ फिर से पैक कर के छोड़ आई जब दिल्ली से बाहर जाना हुआ.<br />आपका पोस्ट पढ़ कर फिर से मन होने लगा की एक आधा हिंदी का अच्छा उपन्यास / पुस्तक पढने को मिल जाये तो बस मज़ा आ जायेA Girl from Timbuktuhttps://www.blogger.com/profile/16597619712361540147noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-12367612074575842932009-12-18T03:18:26.353+05:302009-12-18T03:18:26.353+05:30amm yaar publisher ke paas likh maaro ...bhej dega...amm yaar publisher ke paas likh maaro ...bhej dega...yeh sahi hai ki dhoond ke kahridna or phir padna...wah wah wah wahRohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-1617880187944805172009-10-13T18:58:02.910+05:302009-10-13T18:58:02.910+05:30हमें भी बताइये उस दुकान का पता जहां हिन्दी की किता...हमें भी बताइये उस दुकान का पता जहां हिन्दी की किताबें मिलती हैं। हम पिछले तीन सालों से बैंगलौर में हिन्दी की किताबें ढूंढ रहें हैं, पर शायद हम ठीक से ढूंढ ही नहीं पाये। पिछले साल बुक फेयर में कुछ हिन्दी किताबें मिल गयीं थी बस उसी से काम चला रहे थे।Sarika Saxenahttps://www.blogger.com/profile/07060610260898563919noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-70202003433290030732009-06-16T05:52:37.075+05:302009-06-16T05:52:37.075+05:30एक ठो लिस्ट तो टिपा ही आना था कि ये किताबें मंगा द...एक ठो लिस्ट तो टिपा ही आना था कि ये किताबें मंगा दो..आगे की खरीददारी के काम आती. लिस्ट की सारी तो मंगा न पायेगा तो उसमें बिखरे मोती भी लिख देना-कविवर समीर लाल की. :) नाम तो पहुँचे ..भले ही लिस्ट में. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-17082384665569499782009-06-15T14:11:18.234+05:302009-06-15T14:11:18.234+05:30हमने सी पी की खूब छांक मारी है .लेडी हार्डिंग से क...हमने सी पी की खूब छांक मारी है .लेडी हार्डिंग से कई बार पैदल चलकर भी गये है ..सन्डे को फुटपाथ पे पुरानी किताबो से कई बार कई मोती हाथ लगे है ....ऐसे ही एक बार नेहरु की डिस्कवरी उफ इंडिया की सी डी हाथ लगी थी पिछले साल ..खैर तुम्हारे एयरपोर्ट पे अंग्रेजी किताबे अच्छी है ...डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-66075820243815646602009-06-15T13:00:08.810+05:302009-06-15T13:00:08.810+05:30usase puchho ki uska koi branch Chennai me hai kya...usase puchho ki uska koi branch Chennai me hai kya?? agar han to mujhe uska address dena.. :)PDhttps://www.blogger.com/profile/17633631138207427889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-46521692120070881012009-06-14T19:49:39.739+05:302009-06-14T19:49:39.739+05:30वैसे हम बंगलोर में ही हैं लेकिन किताबें अब दिल्ली ...वैसे हम बंगलोर में ही हैं लेकिन किताबें अब दिल्ली जाकर ही खरीदेंगें।sshttps://www.blogger.com/profile/10746526495871896780noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-51207573871146629612009-06-14T19:21:20.007+05:302009-06-14T19:21:20.007+05:30सोचता था कि मैं ही अकेला आशिक हूँ
किताबों का !
...सोचता था कि मैं ही अकेला आशिक हूँ <br />किताबों का ! <br /><br />कितना अच्छा लगता है अपने जैसे मिजाज के लोगों को पाकर ! <br /> <br />किताबों से जुडी ही एक मात्र घटना ऐसी है जिसको लेकर मेरी अंतरात्मा पर कोई बोझ नहीं है ! <br />घटना बोलें तो -<br />"बहुत पहले मैंने एक लाईब्रेरी से एक किताब <br /> चुराई थी !" <br /><br /><b><a href="http://aajkiaawaaz.blogspot.com" rel="nofollow"> आज की आवाज </a></b>प्रकाश गोविंदhttps://www.blogger.com/profile/15747919479775057929noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-1348389139021328092009-06-14T12:41:22.174+05:302009-06-14T12:41:22.174+05:30bangalore ki yaadein mat dilaiye!bangalore ki yaadein mat dilaiye!Dharnihttps://www.blogger.com/profile/11988701220844256208noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-55002257121059734362009-06-13T23:30:00.932+05:302009-06-13T23:30:00.932+05:30बहुत अच्छा लगा आपका पढने का जज्बा...
इतना सहज लिखत...बहुत अच्छा लगा आपका पढने का जज्बा...<br />इतना सहज लिखती है कि तस्वीर की तरह दृश्य मानस पटल पर उभरने लगते है...प्रकाश पाखीhttps://www.blogger.com/profile/09425652140872422717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-53435636371155637482009-06-13T22:23:10.911+05:302009-06-13T22:23:10.911+05:30बधाई हो आपको !! आपकी मनोकामना पूर्ण हुई :-)बधाई हो आपको !! आपकी मनोकामना पूर्ण हुई :-)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-26175642314428750392009-06-13T20:17:32.281+05:302009-06-13T20:17:32.281+05:30:):)वर्तिकाhttps://www.blogger.com/profile/13444219725390127945noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-4261021514607252332009-06-13T18:48:39.979+05:302009-06-13T18:48:39.979+05:30pujaji....mai bhi bangalore me isi prob le jujh rh...pujaji....mai bhi bangalore me isi prob le jujh rha hu...lakh dhundhne per bhi hindi books nahi mili..kripya bataye aapne koun si dukan dundh li hai..plz plz....:)राहुल पाठकhttps://www.blogger.com/profile/16910145304776955794noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-2536512039656387432009-06-13T18:34:46.572+05:302009-06-13T18:34:46.572+05:30सुन्दर! ऐसे ही वीकेन्ड पर जाकर किताबें खरीदकर पढ़ती...सुन्दर! ऐसे ही वीकेन्ड पर जाकर किताबें खरीदकर पढ़ती रहो और उनके बारे में बताओ भी! कौन किताब पढ़ी! पुस्तक मित्र योजना की सदस्य बन ही जाओ। ऐसा भी क्या आलस!अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-75825764136096515472009-06-13T17:54:35.121+05:302009-06-13T17:54:35.121+05:30ऐसा है जी, हिंदी किताबों के लिए परेशान होने की जरु...ऐसा है जी, हिंदी किताबों के लिए परेशान होने की जरुरत नहीं है. जो भी किताब चाहिए, हमको बता दो, आखिर हम भी तो दिल्ली वाले हैं. खरीद लिया करेंगे. <br />और पैसे? वो आप हमारा खाता नं. ले लो, उसमे डाल दिया करना, या फिर एक काम करना, हमारे मोबाइल को रिचार्ज करा दिया करना. <br />ठीक है ना?नीरज मुसाफ़िरhttps://www.blogger.com/profile/10478684386833631758noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-3718349861090146472009-06-13T15:06:01.748+05:302009-06-13T15:06:01.748+05:30आजकल हिंदी की किताबें दिल्ली में भी कम मिलती है, न...आजकल हिंदी की किताबें दिल्ली में भी कम मिलती है, नोएडा के ग्रेट इंडिया मॉल में एक अच्छी दुकान है ओम बुक स्टोर , नहीं तो सीपी में भी आजकल अंग्रेजी का बोलबाला है।appuhttps://www.blogger.com/profile/12526976041610118640noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-91432175126023593592009-06-13T13:32:16.014+05:302009-06-13T13:32:16.014+05:30अरे हमारे यहां ति कोई हिन्दी बोलने बाला भी नही मिल...अरे हमारे यहां ति कोई हिन्दी बोलने बाला भी नही मिलता, अगर कोई मिल जाये तो उस इज्जत से घर बुलाते है अपनी कार मे बिठा कर लाते है, खिलाते है सिर्फ़ अपनी प्यारी हिन्दी मे कुछ बोल चाल करने के लिये.<br />धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-50703206898843061712009-06-13T12:13:31.278+05:302009-06-13T12:13:31.278+05:30achha laga aapke saath cp aur delhi ke anya hisso ...achha laga aapke saath cp aur delhi ke anya hisso me ghumkar.....Arvind ottahttps://www.blogger.com/profile/07090385005722058934noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-36369743790595245362009-06-13T11:49:47.195+05:302009-06-13T11:49:47.195+05:30हमारे यहाँ ये समस्या नहीं है क्यूँकि साल में एक बा...हमारे यहाँ ये समस्या नहीं है क्यूँकि साल में एक बार लगने वाला बुक फेयर अपने काम भर की किताबों को एक ही बार में खरीदने की सहूलियत प्रदान कर देता है। इसका मतलब ये भी है कि यहाँ भी हिंदी के अच्छे बुक स्टोर नहीं हैं। दरअसल आजकल हिंदी भाषी भी हिंदी की नई किताबों को पढ़ने में दिलचस्पी नहीं दिखाते तो दुकान वाले पुरानी क्लासिक या चलता हुई अंग्रेजी किताबों के हिंदी संस्करण रख कर ही काम चला लेते हैं।Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-86066050684880966732009-06-13T11:38:43.284+05:302009-06-13T11:38:43.284+05:30ढ़ूंढने से सब मिलता है।वाह बधाई हो आपको किताबें ढूं...ढ़ूंढने से सब मिलता है।वाह बधाई हो आपको किताबें ढूंढ लेने की।Anil Pusadkarhttps://www.blogger.com/profile/02001201296763365195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-46709888591569995362009-06-13T10:55:34.892+05:302009-06-13T10:55:34.892+05:30चलो अच्छा हुआ... इसे कहेगें.. डुबते को haggin both...चलो अच्छा हुआ... इसे कहेगें.. डुबते को haggin bothams का सहारा...:)रंजन (Ranjan)https://www.blogger.com/profile/04299961494103397424noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-36067365814995411422009-06-13T10:12:42.260+05:302009-06-13T10:12:42.260+05:30KhubsuratKhubsuratइरशाद अलीhttps://www.blogger.com/profile/15303810725164499298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-85078141736835977402009-06-13T08:15:10.792+05:302009-06-13T08:15:10.792+05:30तुमने दुखती रग पर हाँथ रख दिया कोलकता में भी यही ह...तुमने दुखती रग पर हाँथ रख दिया कोलकता में भी यही हाल होता है ..एक साल तक मैंने नेशनल लाइब्रेरी की सदस्यता भी ले रखी थी, पर आने जाने में लगने वाला वक्त अखर जाता था.अहिन्दी भाषी प्रदेशों में यही समस्या हैL.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-39762086494569815862009-06-13T07:37:00.348+05:302009-06-13T07:37:00.348+05:30हिंदी सेवा का जज्बा या जुनुन एक दिन अवश्य रंग लाये...हिंदी सेवा का जज्बा या जुनुन एक दिन अवश्य रंग लायेगा. शुभकामनाएं.<br /><br />रामराम.ताऊ रामपुरियाhttps://www.blogger.com/profile/12308265397988399067noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-8564195801205459302009-06-13T05:40:39.954+05:302009-06-13T05:40:39.954+05:30अरे डॉक्टर साहिबा...दिल्ली के दरियागंज के पत्री बा...अरे डॉक्टर साहिबा...दिल्ली के दरियागंज के पत्री बाजार पहुँचती कभी तो आप हमसे भी टकरा जाती..चलिए सीपी के कमी वहाँ होग्गिन बौथम (नाम तो किसी अंग्रेज गवर्नर का लगता है ) से पूरी कर रही हैं आप बढ़िया लगा जानकार....दिल्ली की यादों का क्या कहें.....दिल्ली की गलियां है गालिब...उफ़ छूटने पर भी कहाँ छूटती हैं....? अजी किताबों की याद न दिल्यारा करें..अपना भी वही हाल था..हाँ था ..श्रीमती जी यहीं हैं तो यही लिखना पडेगा न..मैंने तो दिली की पुस्तक मेलों में जाकर किताबें खरीदना एक पक्का नियम बनाया हुआ है...सिर्फ किराये के पैसे अलग रख कर लग जाता हूँ खरीदने ..पूरे पैसे की किताबें खरीद कर हो लिए वापस...चलिए घूमिये...बंगलोर में और किस किस अंग्रेज गवर्नर की दूकान है बताइयेगा....अजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.com