tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post1083046451572045019..comments2024-03-16T10:24:55.941+05:30Comments on लहरें: क्राकोव डायरीज-५-मृत्यु के अँधेरे एकांत सेPuja Upadhyayhttp://www.blogger.com/profile/15506987275954323855noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-84040025269654495772012-08-16T19:44:35.283+05:302012-08-16T19:44:35.283+05:30हर ऐसी जगह की त्रासदी के बारे में चाहे आपने जितना ...हर ऐसी जगह की त्रासदी के बारे में चाहे आपने जितना पढ़ रखा हो जब तक आप उसे करीब से देख नहीं लेते तब तक शिद्दत से उस दर्द का अनुभव नहीं कर पाते जो वहाँ के लोगों ने सहा है। हिरोशिमा की यात्रा ने मन को ऐसा ही अवसादग्रस्त कर दिया था । बहरहाल संवेदनशीलता से भरा बेहतरीन लेख !Manish Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10739848141759842115noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-14259039028838485132012-08-09T21:00:45.542+05:302012-08-09T21:00:45.542+05:30I dont know what to say Puja...I dont know what to say Puja...abhihttps://www.blogger.com/profile/12954157755191063152noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-39305755818870087852012-08-08T21:52:42.945+05:302012-08-08T21:52:42.945+05:30......Abhishek Ojhahttps://www.blogger.com/profile/12513762898738044716noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-50901292939519967092012-08-08T20:30:31.446+05:302012-08-08T20:30:31.446+05:30Yakin nahi aata, if ever humanity suffered like th...Yakin nahi aata, if ever humanity suffered like this!Rahul Paliwalhttps://www.blogger.com/profile/10172932105201007746noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-82557009098881503772012-08-08T19:49:51.874+05:302012-08-08T19:49:51.874+05:30पूजा की आँखों से महसूस कर रहा हूँ हिटलर की दरिन्दग...पूजा की आँखों से महसूस कर रहा हूँ हिटलर की दरिन्दगी को जिसके आगे शब्द बहुत बौने लग रहे हैं। <br />यह ख़ौफ़नाक मंज़र हमेशा ज़िन्दा रहना चाहिये ....मौत से नहीं बल्कि नफ़रत और हैवानियत से दुनिया को रू-ब-रू कराने के लिये। सत्ता जब ज़ाहिलों की हाथ में पहुँचती है तब अकल्पनीय इतिहास के पन्ने कालिख में डुबो-डुबो के लिखे जाते हैं। ये यातना शिविर इसलिये भी ज़िन्दा रहने चाहिये ताकि लोग अब कभी ऐसी यातनाओं के लिये मज़बूर न हों। <br />तुम दुःखी हुईं...क्योंकि तुमने वहाँ की फ़िज़ां में बसी अमानवीय चीखों को सुन लिया... और देख ली निरंकुश मानव की हैवानियत को। ...किंतु सिर्फ़ इसी कारण मैं तुमसे यह नहीं कहूँगा कि ऐसी जगह मत जाया करो। क्योंकि ऐसी यादों के फ़ॉसिल्स दर्द के साथ और भी बहुत कुछ दे जाते हैं जो हमारी सोच को पूर्वापेक्षा और भी व्यापक और लोककल्याणकारी बना देते हैं।बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-88268764775622265462012-08-08T08:37:17.301+05:302012-08-08T08:37:17.301+05:30पढ़ कर ही रूह कंकंपा गयी है ...तुमने कैसे देखा होग...पढ़ कर ही रूह कंकंपा गयी है ...तुमने कैसे देखा होगा , उन लोगों ने कैसे झेला होगा !!<br />अब यकीन हो रहा है कि यक़ीनन अब हम विकसित सभ्यता से हैं !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-26967571825288585512012-08-08T03:19:18.360+05:302012-08-08T03:19:18.360+05:30क्या कहूं। क्या सोचकर आया था रात के ढाई बजे तेरे प...क्या कहूं। क्या सोचकर आया था रात के ढाई बजे तेरे पास। फिल्में देखी हैं, पर हिटलर के बारे में ज्यादा पढ़ा नहीं है, सिवाय द्वितीय विश्वयुद्ध पर लिखे कोरे इतिहास के। लेकिन जो कहानी यहां दरियाफ्त हुई है, वो भयानक है। पढ़कर एक भय सा बैठ गया। घटना के अनेक दशकों बाद तेरे लिए ये देखना, और उस देखे हुए को हमारे लिए पढ़ना अगर रुह कंपा देता है..तो उन रूहों पर क्या गुज़री होगी, जिन्होंने ये भोगा था...और दूसरों को भोगते हुए अपनी आंखों से देखा था। पूजा, शायद दर्द की भी एक सीमा होती है...और उस दर्द की उस सरहद के पार सब खत्म हो जाता है...तकलीफ, दर्द, अफसोस...क्या पता...Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/16212603087691751810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-40365690543249213932012-08-07T20:25:01.254+05:302012-08-07T20:25:01.254+05:30कुछ कहने को नहीं है. अच्छा किया कि जैसा महसूस किया...कुछ कहने को नहीं है. अच्छा किया कि जैसा महसूस किया वैसा दर्ज कर दिया...महेनhttps://www.blogger.com/profile/00474480414706649387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-79401641025602987412012-08-07T18:54:27.228+05:302012-08-07T18:54:27.228+05:30जितनी बार भी इस तरह की फिल्में देखी हैं, मन दुखी ह...जितनी बार भी इस तरह की फिल्में देखी हैं, मन दुखी हो जाता है। आज भी पढ़ कर मन दुखी हो गया।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-66138308597483140362012-08-07T17:14:50.333+05:302012-08-07T17:14:50.333+05:30jo tumne mehsuus kiya ..sab jhalak raha hai yahan....jo tumne mehsuus kiya ..sab jhalak raha hai yahan...bhay ,avsaad,baarish,dhuup ,khud ko khona-paana...पारुल "पुखराज"https://www.blogger.com/profile/05288809810207602336noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-18452257874687696692012-08-07T14:12:40.620+05:302012-08-07T14:12:40.620+05:30हिटलर एक बेहद सनकी, पागल और खूंखार आदमी था. अहा जि...हिटलर एक बेहद सनकी, पागल और खूंखार आदमी था. अहा जिंदगी में एक बार उसके जीवन की किताब आई थी. अन्दर ही अन्दर तैयार हुआ वो आदमी अपने देश को अगर कुछ दे कर गया तो बस एक शर्मनाक कलंक... मुझे तसल्ली मिलती अगर वो बाहर आ कर मारा जाता उसी तरह से जैसा तुमने लिखा है. मुझे ये समझ नहीं आया आज तक कि एक आदमी पागल हो सकता है क्या वहां से सारे अधिकारी पागल हो गए थे ?<br /><br />अपने इसी हादसे के कारण वो मंज़र आज भी जर्मनी और पोलैंड के लोगों के नज़रों में ठहरे हैं और वो सूखे, ठंढे और जाने कैसे नज़र आते हैं... जैसे हमारे उम्र के वो लोग जिन्होंने विभाजन देखी थी, वो हालत के बनावट हैं...सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-20415973147436617332012-08-07T14:03:54.738+05:302012-08-07T14:03:54.738+05:30आज ही लिखना था ?आज ही लिखना था ?सागरhttps://www.blogger.com/profile/13742050198890044426noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-4018296141771745972012-08-07T13:43:22.083+05:302012-08-07T13:43:22.083+05:30मेरा मानना है हर यात्रा आपके भीतर कुछ डालती है .एक...मेरा मानना है हर यात्रा आपके भीतर कुछ डालती है .एक मूवी याद आ रही है एंटी नीओ की नाम याद नहीं आ रहा जिसमे उसे अनुभव होता है किसी गुमशुदा व्यक्ति के बारे में वो कहाँ है कैसे हालात में है ...उसके किसी रिलेटिव को छूकर ,उसे देखकर नींद यद गयी थीडॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8251191037711858199.post-43133426150318885772012-08-07T13:40:38.450+05:302012-08-07T13:40:38.450+05:30one of your best write up puja...one of your best write up puja...डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.com