29 January, 2015

येलो ब्लू बस तोस्का

सुनो, मुझे एक बार प्यार से तोस्का बुलाओगे? जाने कैसे तो तुमसे बात करते हुए बात निकल गयी...कि मुझे भी अपने किरदारों के नाम रखने में सबसे ज्यादा दिक्कत होती है. फिर जब तुम मुझे तोस्का बुलाओगे तो मुझे लगेगा मैं तुम्हारी कहानियों का कोई किरदार हूँ और अपने मन का कुछ भी कर देने के पहले तुम्हारे आर्डर का वेट करूंगी. यूँ एक बार पुरानी कहानी लिखी थी जिसमें किरदार का नाम था तोश्का...बड़ी जहीन सी लड़की थी...अल्हड़...उड़ती थी...मगर जाने क्यूँ तुम्हारी आवाज़ में अपने लिए तोस्का ही सुनने का मन है...लगता है जैसे ये शब्द बना ही था इसलिए कि तुम कभी मुझे इस नाम से बुला सको. तुम्हारी आवाज़ में एक अधिकार उभरता है. जैसे कुछ हूँ मैं तुम्हारी. जैसे कोई कभी नहीं थी तुम्हारी कभी. तुम मुझे तोस्का बुलाओगे तो मैं तुम्हारी कहानी में उतर जाउंगी...तुम्हारी भाषा बोलूंगी...मेरी आँखें भी तुम्हारी आँखों जैसी हो जायेंगी न? लाईट ब्राउन.

तुम मुझे तोस्का बुलाओगे तो मैं अपना असली नाम भूल जाउंगी...मैं कोई और होने लगूंगी सिर्फ तुम्हारे लिए...मेरी बनायी पहचान के कांटे तुम्हारी यादों में नहीं चुभेंगे. हम एक जिंदगी में कई पैरलल जिंदगियां जियेंगे. फिर मैं एकदम पजेसिव हो जाउंगी और जिद मचा दूँगी कि तुम्हारी कहानियों में तोस्का के अलावा कोई और किरदार हो ही नहीं सकता. तुम्हारा दम घुटने लगेगा. तुम इस नाम से भागोगे. इस फीलिंग से भागोगे. तुम मुझसे दूर जाने के लिए दम तनहा हो जाना चाहोगे. इस दरमयान तुम अपनेआप को बेहतर पहचानोगे कि उस दूर पहाड़ी गाँव में कोई आइना नहीं होगा. तुम मुझे पूरा लिख नहीं पाओगे कि पूरा होना मेरी किस्मत में नहीं बदा है. तुम मुझे जरा सा बचा कर रखना चाहोगे अपने सीने में...अफ़सोस की तरह...तकलीफ की तरह...फिर बहुत सालों बाद दिल्ली में पड़ेगी बर्फ और तुम बेतरह रूस को मिस करोगे...मुझसे बस जरा सा ही कम. मैं इत्तिफाकन अपने रेड स्कार्फ में गिरहें लगाती गुजरूंगी उसी रास्ते से जहाँ तुम ठिठक कर खड़े हुए हो. तुम्हारी आँखें यूँ चमक उट्ठेंगी कि बरबस मेरे मुंह से निकल जाएगा बहुत साल पुराना, तुम्हारा प्यार का नाम 'सोंयिसको'. 
---होना था 'धूप'...और लगनी थी 'प्यास'
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एक पैरलल दुनिया होगी जिसमें इस दुनिया की कोई बंदिश नहीं होगी. सब कुछ अपनी मर्जी का. सब कुछ. उस दुनिया में मुझे बेहतरीन डांस करना आएगा और मैं तुम्हारे साथ क्लोज डांस करूंगी...इतने करीब कि तुम्हारी सांस मुझमें उतर जाए. सर्द सर्द बर्फ़बारी के किसी मौसम में.
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'बट आई हैव नेवर बीन टू रशिया. '
'तो अच्छा है न. जो शहर खुलेंगे उनके नाम असली होंगे बस...बाकी नक्शा सारा का सारा हम साथ मिल कर बना लेंगे...मौसम वही होगा जो गूगल दिखाएगा लेकिन हम अपनी मर्ज़ी से वहां अमलतास के पेड़ रोप आयेंगे. तुम्हें अमलतास पसंद तो है न या कुछ और?'
'अरे लेकिन ऑथेंटिक तो होना चाहिए.'
'ऑथेंटिक. मने रियल. तुम्हारा प्यार है ऑथेंटिक? कह सकते हो सीने पे हाथ रख के...एकदम खालिस...बिना मिलावट का? ऐसा नहीं है जान...कुछ भी रियल नहीं होता. हम भी किसी की काल्पनिक दुनिया में जी रहे हैं न...तो इस तिलिस्म के अन्दर एक और तिलिस्म हमारा. '
'मगर तोस्का!'
'हाय! तुम ये नाम लेते हो न तो बस सारे तानेबाने बुनना छोड़ कर तुम्हें किस करने का मन करने लगता है. कैसे तो लेते हो तुम ये नाम...जैसे मैं सदियों इसी नाम से सुनती आई हूँ खुद को...तुम हमेशा से तो यहाँ नहीं थे न?

गूगल ट्रांसलेट तोस्का का मतलब हिंदी में एक ही शब्द लिखता है 'तड़प'...अंग्रेजी में 'यर्निंग' मगर जब तक तुमने पुकारा नहीं था ये सिर्फ एक शब्द था...अब इस शब्द में जान आ गयी है. ये शब्द हमारे रिश्ते को भी तो परिभाषित करता है न...कुछ भी तो और नहीं है हमारे बीच...इस खिंचाव...इस तड़प के सिवा...सुबह से शाम की ये हरारत...ये इंतज़ार...फोन से व्हाट्सएप्प से लेकर फेसबुक तक...तुम्हारी एक झलक का...तुम्हारे एक स्माइली का...आवाज़ के ज़रा से एक कतरे का...कि बस यही है न. वरना कौन करता है किसी से यूँ निंदाये बात कि बाद में पूछो...'हम सुबह तुमसे क्या बात किये...नींद में थे...कुछ याद नहीं है'. कोई तो है इगोर इबोनोव...सोचो न...जाने कैसा होगा...कैसा दिखता होगा...स्क्रीनशॉट लेकर रखा है. हम जायेंगे यहाँ कभी. और इगोर को थैंक यू बोलेंगे.'
'तुम एकदम ही पागल हो. गूगल मैप पर किसी ने तस्वीर डाली है तो अब मिल लोगी जा कर उससे!'
'न रे...सोचो इगोर एकदम प्योर वोडका पीता होगा. खालिस. असली. जैसे हमारे यहाँ ताड़ी होता है वैसा कोई लोकल ड्रिंक वहां भी मिलेगा. उसके साथ बैठ के पीने में कितना मज़ा आएगा.'
'ए. तोस्का की बच्ची. अब मुझे जलन हो रही इगोर से...तुझे कोई भी अच्छा लग जाता है...किसी के भी साथ दारू पीने बैठ जायेगी कमबख्त. कोई पसंद नापसंद है कि नहीं तेरी?'
'माहौल होता है बस...पानी देख रहे हो कितना नीला है...जो ऐसी जगह रहता होगा...अच्छा ही इंसान होगा. इसमें सोचना क्या है. दोस्त, परिवार और कलीग्स से बढ़ कर हम हमारे शहर के होते हैं...बहुत बहुत बहुत. तुम भी तो बहुत पहाड़ घूमे हो, किसी बुरे पहाड़ी से मिले हो कभी? नहीं न...वे इतने साफ़ और निर्मल इसलिए होते हैं कि कि उनका माहौल ऐसा होता है.'
'तू बहुत जिद्दी है रे. अच्छा चल. तेरे इगोर के साथ वोडका पी लूँगा. खुश.' 

'सच्ची. तुम मुझे ले चलोगे ये जगह? मैंने यहाँ के कौरडिनेट्स नोट कर लिए हैं. बस जीपिएस में डाल देने की बात है. आजकल तो सिंपल है एकदम. सुनो, तुम्हारी म्यूजिक पर पकड़ तो अच्छी है न? जिनको कोई एक इंस्ट्रूमेंट बजाना आता है वो अक्सर कोई और भी बजा लेते हैं...तुम तो गिटार जानते हो...जरा सा बलालाइका से कुछ धुन निकाल पाओगे क्या?'

'तुमने कहा कि ये मेरी कहानी है...तुम तोस्का हो...अगर यहाँ अमलतास का पेड़ उग सकता है तो मैं बलालाईका तो बजा ही लूँगा.' 
'अब मेरा कुछ करने को जी नहीं कर रहा...मैं थक गयी.'
'ya lyublyu vas toska'
'येलो ब्लू बस...क्या क्या बोल रहे हो तुम अब.'
'पगली...मैंने तुझे राशियन में आई लव यू कहा. ठीक से प्रैक्टिस कर...जब मिलूंगा तो सुनूंगा तुमसे.'
'किस पर प्रैक्टिस करूँ? 'टी' को बोलूं? येल्लो ब्लू बस.'
'कमबख्त की बच्ची...किसी को बोल कर प्रैक्टिस करने की जरूरत नहीं है. यहाँ हम आई लव यू बोल रहे हैं और मैडम को खुराफात सूझ रहा है.'
'तोस्का मेरी जान...मेरा नाम तोस्का है...मैं तड़प हूँ...उँगलियों में सुलगती...आँखों में हहराती हुयी...मैं तुम्हारी जिंदगी में पा लेने का सुकून नहीं खो जाने का खौफ़ लेकर आई हूँ...लौन्गिंग...तड़प...आह...तकलीफ...कि मैं नहीं करती तुमसे प्यार'
'सुनो...तोस्का...मेरी तोस्का...'
'सुनो...सोंयिसको...'
'आहा...तुम सीख रही हो...जरा जरा...तुम्हारे इस टूटे फूटे उच्चारण से कैसी गुदगुदी सी होती है कि उफ़.'
'हाँ...मेरी जिंदगी की धूप हो तुम...मेरी आँखों का रंग...मेरी हथेलियों की सूखती लकीरें...छत पर पसारे हुए कपास के दुपट्टे में खनखनाती धूप हो तुम...सोंयिसको. सनशाइन. मेरा अपना सूर्य.'
'तुम प्यार करती हो ना मुझसे?'
'मालूम नहीं. तुम्हें क्या लगता है?'
'तोस्का...मेरी तोस्का...मेरी हो. इतना लगता है. बस.'

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मैं वोल्गा किनारे हूँ सुबह से. तुम्हारे साथ. तुम्हारी बांहों में. बहुत सी वोडका पी रखी है. झूम रही हूँ. कोई राशियन लोकगीत बज रहा है. शायद कोई चरवाहों का झुण्ड होगा दूर के किसी पहाड़ पर. हवा पर पैर धरते बलालाइका की धुन आई है. तुम्हारे होठों का स्वाद चेरी फ्लेवर्ड सिगार जैसा है.
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वोडका की बोटल शिकायत मोड में है. ये कैसी रात है कि सील तक नहीं तोड़ी है. चेरी जूस भी वैसा का वैसा धरा है फ्रिज में. फिर ये सब क्या था? उफ्फ्फ...तुम न. जान ले लो मेरी.

1 comment:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (30.01.2015) को ""कन्या भ्रूण हत्या" (चर्चा अंक-1873)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।

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