13 December, 2014

खुदा जिंदगी को सही लम्हे में पॉज करना नहीं जानता


'अब तुम किस गली जाओगे मुसाफिर?' मैं पूछती हूँ.
'पूजा, मेरा एक नाम है...तुम मेरा नाम क्यूँ नहीं लेती?'
'नाम लेने से किरदारों में जान आ जाती है...उनका चेहरा बनने लगता है...नाम नहीं लेने से हर बार जब कोई कहानी पढ़ता है उसी किरदार को नया नाम मिलता है...नयी पहचान मिलती है...किरदार से साथ पढ़ने वाला ज्यादा घुल मिल जाता है'
'मगर मेरे वजूद का क्या...तुम्हारे साथ जो मैंने लम्हे जिए उनका कोई मोल नहीं? तुम ये सब बिसर जाने दोगी? ये जो गहरे नीले रंग की टी-शर्ट है...ये इसिमियाके की खुशबू...ये किरदार में रख सकती हो तो मेरा नाम क्यूँ नहीं लिख सकती?'
'ये सब इसलिए जान कि लोग जब इस किरदार के बारे में सोचें तो अपनी जिंदगी के उस शख्स को कुछ नयी आदतें दे सकें. तुम तो जानते हो कि खुशबुओं का अपना कुछ नहीं होता...तुम्हारा परफ्यूम जब मैं लगाती हूँ तो मेरे बदन से वो खुशबू नहीं आती जो तुम्हारे बदन से आती है. इसी तरह जब पाठक मेरी कहानी में इसिमियाके के बारे में पढ़ेगी तो शायद बाजार जा कर इसिमियाके ढूंढेगी...फिर अपनी प्रेमी को गिफ्ट करेगी और उसकी गर्दन के पास चूमते हुए सोचेगी कि शायद मुझे ऐसा ही कुछ लगा हो जब मैं तुम्हारे इतने करीब आई थी. मगर उसकी खुशबू अलग होते हुए भी कहानी का अभिन्न हिस्सा होगी.'
'मुझे अगला परफ्यूम कब गिफ्ट कर रही हो?'
'मैं तुम्हें परफ्यूम क्यूँ गिफ्ट करुँगी...तुम बहुत पैसे कमाते हो, अपने लिए खुद तलाश सकते हो...मैंने इतना पढ़ा लिखा रक्खा है तुम्हें...जाओ और अपनी अलग पहचान बनाओ'
'पढ़ना लिखना और बात है...और फिर तुम ये हमेशा बीच बीच में पैसों का कहाँ से किस्सा ले आती हो...परफ्यूम खरीदना बड़ा इंटिमेट सी चीज़ होती है...अकेले खरीदने में क्या मज़ा. तुम चलो न साथ में मॉल. जब कलाई की जगह गर्दन पर परफ्यूम लगाऊंगा और तुम्हें सूंघ के बताने को बोलूँगा कि कैसी है...सोचो न...मॉल असिस्टेंट कितनी स्कैंडलाइज हो जायेगी. बहुत मज़ा आएगा'
'यू आर अ मोरोन मिस्टर लूसिफ़र टी डिमेलो'
'यु टुक माय नेम!'
'डैम...कसम से लूक, यु आर द क्रेजियेस्ट कैरेक्टर आई हैव एवर इमैजिंड...पता नहीं क्या पी के तुम्हें लिखा था...थोड़ी वोडका...थोड़ी विस्की...थोड़ी सी बची हुयी ऐब्सिंथ भी थी शायद.'
'पीने से याद आया...थोड़ी सी बेलीज आयरिश क्रीम बची हुई है...कॉफ़ी बनाऊं...दोनों पीते हैं थोड़ा थोड़ा...आज तुम्हारा मूड बड़ा अच्छा है. कहानी में मेरा नाम तक लिख दिया. इस ख़ुशी में वैसे तो पिंक शैम्पेन पीनी चाहिए लेकिन कमबख्त औरत, इतने भी पैसे नहीं कमाता हूँ मैं.'
'पेशेंस माय लव...पेशेंस...अगले फ़ाइनन्शियल इयर में तुम्हें ४० परसेंट इनक्रीज दिला दूँगी. खुश?'
'इतना लम्बा अफेयर मेरे साथ? तुम्हारे बाकी किरदारों का क्या होगा? इतनी देर से गप्प मार रही हो मेरे साथ, नावेल लिखोगी क्या मुझ पर?'
'अहाँ...एक्चुअली, नॉट अ बैड आइडिया...नॉट अ बैड आइडिया ऐट आल मिस्टर लूक. यू हैव मेड मी प्राउड. कंसिडरिंग, आई ऐम इन लव विथ यू. गोइंग बाय द पास्ट रिकॉर्ड, कोई ६ महीने तो ऐसा चलेगा. इतने में एक नावेल तो लिख ही सकती हूँ'
'कमाल...तो क्या क्या है आगे प्लाट में. लम्बा नावेल लिख रही हो...दो चार प्रेमिकाओं का इंतज़ाम करोगी न?'
'अरे कमबख्त. जरा सा फुटेज मिला नहीं कि मामला सेट कर रहे हो. मेरा क्या? हैं? इतनी मेहनत से तुम्हें किसी और के लिए लिखूंगी...सॉरी, इतना बड़ा दिल नहीं है मेरा. तुम सिर्फ मेरे लिए रहोगे'.
'पूजाssssss डोंट बी मीन न. ऐसे थोड़े होता है. देखो तुम हमेशा मेरी चीफ प्रिंसेस रहोगी...है न. जैसे राजाओं के हरम होते थे न...मगर रानी सिर्फ एक होती थी. बाकी मनोरंजन के लिए. लम्बा नावेल है. तुमसे बोर हो जाऊँगा.'
'बाबा रे ऐटिट्युड देखो अपना. दिल तो कर रहा है इसी चैप्टर में मार दूं तुम्हें. वो भी फ़ूड पोइजनिंग से'
'फ़ूड पोइजनिंग? उसके लिए तुम्हें मुझे खाना खिलाना होगा...कंसिडरिंग कि तुम्हें खाना बनाने में कोई इंटरेस्ट नहीं है...चाहे मेरे जितना हॉट किरदार तुमसे मिन्नतें करे तो हमारा अगला स्टॉप कोई रेस्टोरेंट होगा. वहां तुम खुद से कहानी का कोई चैप्टर लिखने के मूड में आ जाउंगी. बस फिर तो जरा सा मक्खन मारना है तुम्हें. वैसे भी कैलिफोर्निया पिज़्ज़ा का चोकलेट मिल्कशेक पी कर तुम्हारा मूड इतना अच्छा हो जाता है कि फरारी लिखवा लूं अपने लिए कहानी में...फिर मेरे क़त्ल का प्रोग्राम फॉरएवर के लिए पोस्टपोंड. तुम्हें वैसे भी कहानी में मर जाने वाले किरदार अच्छे नहीं लगते.'

'तुम कितनी बकबक करते हो लूसिफ़र'
'हाय, तुम कितना चुप रहती हो पूजा...उफ़ मैं तुम्हारी आवाज़ सुनने के लिए तरस गया हूँ. कुछ कहो न...प्लीज...मेरी खातिर. सन्नाटे में सुन्न हुए मेरे कानों की खातिर'
'उफ़. मुझे क्या पड़ी थी...अकेलापन इतना थोड़े था. मर थोड़े जाती. तुम्हें लिखा ही क्यूँ. मैं और मेरे खुराफाती कीड़े. तुम्हें इस दिन के लिए आर्किटेक्ट बनाया था. तुम्हारा काम है बड़े बड़े शहरों की तमीज से टाउन प्लानिंग करना. मैप्स देखना और कॉन्टूर्स पर अपना दिमाग खपाना...तुम खाली जमीनें देखो...पुराने शहर देखो...एक्सक्यूज मी...तुम्हारा काम सिर्फ सुनना था. ये घड़ी घड़ी रनिंग कमेंट्री देना नहीं. ख्वाब देखो शेखचिल्ली के. हुंह'
'जानेमन, गुस्से में तुम कमाल लगती हो. तुम्हें पता है तुम्हारे गाल लाल हो जाते हैं और इन्हें पकड़ कर गुगली वुगली वुश करने का मन करने लगता है'
'मुझे तुम्हें थपड़ियाने का मन करता है सो'
'बस, यही गड़बड़ है तुम्हारा...ये जो बिहारी इंस्टिंक्ट है न तुम्हारे अन्दर. हमेशा मार पीट कुटम्मस. ये क्या है. बताओ. तुम्हारे जैसी लड़की को ये सब शोभा देता है? मैं इतनी मुहब्बत से बात कर रहा हूँ तुमसे और तुम लतखोरी पे उतर आई हो!'
'ऐ, लूसिफ़र, मार खाओगे अब...अपनी वोकैब सुधारो. ये सब मेरे टर्म्स हैं. तुम्हें ऐसे बात करने की परमिशन नहीं है'
'अच्छा छोड़ो, तुम्हें किस करने की परमिशन है आज?'
'व्हाट द हेल इज रौंग विद यु लूसिफ़र. हैव यू लॉस्ट योर फकिंग माइंड?'

'सॉरी. बट आई मिस यू अ लॉट. तुम कितने दिन बाद आई हो मुझसे मिलने. ऐट लीस्ट अ हग. प्लीज. तुम ऐसे कैसे कोई किरदार बना कर चली जाती हो. अधूरा. मैं क्या करूँ बताओ.'
'अरे, ये कैसी शिकायत है. तुम अकेले थोड़े हो. इतने सारे सपोर्टिंग करैक्टर क्या फ्री में इतनी ऐश की जिंदगी जी रहे हैं. मैंने पूरा इकोसिस्टम बनाया है तुम्हारे लिए. वो तुम्हारा बेस्ट फ्रेंड जो है. उसके साथ बोलिंग चले जाओ. या फिर तुम्हारी पोएट्री रीडिंग ग्रुप है...सैटरडे को उनसे मिलने का प्लान कर लो. न हो तो पोंडिचेरी चले जाओ ट्रिप पर. कितना कुछ है करने को जिंदगी में. तुम कैसी कैसी बात करते हो. इसमें मुझे मिस करने की फुर्सत कहाँ से निकाल लेते हो. व्हाट नॉनसेंस!'
'पूजा. आई मिस यू. सब होने के बावजूद...और चूँकि जानता हूँ कि सब कुछ तुम रच रही हो. तुम्हें मालूम है मैं क्या सोच रहा हूँ, मेरे डर क्या क्या हैं और उसके हिसाब से तुम दुनिया में उलटफेर करती जाती हो. मगर जानती हो, देयर इज आलवेज समथिंग मिसिंग. मुझे हमेशा तुम्हारी कमी महसूस होती है.'
'कुछ तो मिसिंग रहेगा न लूक...मैं भगवान् तो नहीं हूँ न. तुम जानते हो'
'इसलिए तो कभी कभार तुम्हें तलाशता हूँ. अपने क्रियेटर से प्यार हो जाना कोई गुनाह तो नहीं है. तुम रहती हो तो सब पूरा पूरा सा लगता है. जैसे दुनिया में जो भी गैप है...जरा सा भर गया है. प्लीज, कम हियर एंड गिव मी अ हग. अगली बार पता नहीं कब आओगी'
***

मैं कुछ देर उसकी बांहों में हूँ. मैं उसे लूसिफ़र कहती हूँ क्यूंकि उसे लिखते हुए पहली बार काली स्याही का इस्तेमाल किया था. इस काली स्याही के पीछे भी एक कहानी है. उसके साथ जीना सियाही में डूबना है. उसके हृदय में उतना ही अंधकार है जितना कि मेरे. उतना ही निर्वात जितना कि मेरे. फिर जब उसकी बांहों में होती हूँ तो कैसे लगता है कि पूरा पूरा सा है सब. कॉपी पर सर टिकाये कहीं दूर भटक जाती हूँ. पहाड़ों के बीच एक नदी बहती है. चिकने पत्थरों पर. जंगल की खुशबू आती है. हर ओर इतनी हरियाली है कि आँखों का रंग होने लगता है हरा. नदी में एक छोटी सी नाव है जिसपर हम दोनों हैं. ठहरे हुए. जिन्दा. पूरे.

***
'आई लव यू पूजा'
'आई लव यू टू लूक'
'अब'
'रीबाउंड की तैय्यारी करते हैं.'
'मतलब तुम जा रही हो?'
'जाना जरूरी है जान. वर्ना कहानी कैसे आगे बढ़ेगी. यहाँ पर सब ठहर जाएगा.'
'उफफ्फ्फ्फ़. रियल जिंदगी इससे भी ज्यादा मुश्किल होती होगी न?'
'यु हैव नो आईडिया. खैर. चलो...कैसी लड़की क्रियेट करें तुम्हारे लिए?'
'कोई एकदम तुम्हारे जैसी'
'ना ना...उसके बहुत से साइड इफेक्ट्स होंगे.'
'जैसे कि?'
'वो बिलकुल मेरे जैसी होगी...लेकिन जरा सा कम...और ये जरा सा कम बहुत चुभेगा तुम्हें. क्यूंकि तुम्हें वो गैप्स दिखते रहेंगे. जैसे चांदनी रात में तुम उसकी आँखों में देखने की जगह चाँद को ताकते रहोगे. इसमें वो भी दुखी होगी और तुम भी.'
'फिर क्या करें? मुझे तुम्हारे जैसी ही पसंद आएगी'
'यू विल बी सरप्राइज्ड...वैसे भी हम सिर्फ एक रिबाउंड क्रियेट कर रहे हैं. ये तुम्हारे जनम जनम का प्यार थोड़े है. न पसंद आये तो कुछ दिन में डिच कर देना'
'और जो उस लड़की का दिल टूटेगा, सो?'
'वो कहानी की मेन किरदार थोड़े है. हु केयर्स कि उसके साथ क्या हुआ उन चंद फ्रेम्स के बाद'
'तुम इतनी कोल्ड हो सकती हो, मैंने सोचा नहीं था.'
'सी, तुम मुझे ठीक से जानते तक नहीं. तुम्हारे लिए इस बार एकदम प्यारी और क्यूट सी लड़की क्रियेट करती हूँ. कोई ऐसी जो इतनी भोली और मासूम हो कि उसे मालूम ही न चले कि दिल टूटना भी कुछ होता है. कोई एकदम अनछुई. जिसे प्यार ने कभी देखा तक न हो'
'ऐसी लड़की का दिल तोड़ने में मैं जो टूट जाऊँगा सो?'
'तो तुम्हारे टूटने से कौन सी प्रॉब्लम आ रही है मेरे टाइमलाइन में ये बताओ?'
'पूजा, सीरियसली...यही प्यार है तुमको मुझसे...मेरी ख़ुशी के बारे में सोचना तुम्हारा काम नहीं है?'
'दुःख किरदार को मांजता है. सुख का एक ही आयाम है. दुःख के बहुत सारे. तुम टूटोगे तो तुममें चिप्पियाँ लगाने की जगह बनेगी. हंसती खेलती जिंदगी में कोई रस नहीं होता...तुम्हें दुःख से डर कब से लगने लगा?'
'मुझे अपनी नहीं उस साइड किरदार की चिंता है जिसकी तुम्हें कोई चिंता नहीं...उसे भी तो दुःख होगा...और लड़कियां ऐसी चीज़ों को सदियों दिल से लगाये रखती हैं.'
'तुम्हें लड़कियों के बारे में इतना कैसे पता लूक?'
'लास्ट टाइम जब तुम बहुत सालों तक नहीं आई तो मैं लाइब्रेरी में घूम रहा था, वहां विमेन साइकोलोजी पर एक किताब थी'
'यू नेवर फेल टू अमेज़ मी. पोर्न लाइब्रेरी में तुम विमेन साइकोलोजी पढ़ रहे थे? प्योर मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट है...तुम्हारे दिमाग की वायरिंग रिसेट करनी पड़ेगी. तुम नार्मल लड़कों की तरह बिहेव नहीं कर सकते. विमेन साइकोलोजी माय फुट!'

'अच्छा तो जब वो लड़की मेरी जिंदगी में रहेगी, मुझे तुम्हारी याद नहीं आएगी?'
'कभी कभार आएगी...मगर धीरे धीरे कम होती जायेगी.'
'फिर मैं एक दिन भूल जाऊँगा तुमको?'
'हाँ'
'और अगर मेरा इस रिबाउंड में कोई इंटरेस्ट नहीं है फिर भी तुम इस लड़की को क्रियेट करोगी? मैं अपने वक्त का बेहतर इस्तेमाल करूंगा...क्राइम सोल्व करूंगा...सोशल वर्कर बनूँगा...जिंदगी का कोई मायना तलाश लूँगा...हम ऐसे ही नहीं रह सकते? मैं जरा जरा तुम्हारे प्यार में...तुम कभी कभी मिलने चली आओ...एक आध हग...कभी साथ में हाथ पकड़ कर किसी बसते हुए शहर के किनारे किनारे टहल लें हम. मेरे लिए इतना काफी है...मत लिखो न ये चैप्टर. प्लीज.'
'देखो लूक...आगे के चैप्टर्स में तुम्हारा एक परिवार होगा...बच्चे होंगे...बीवी होगी. तुम मुझमें अटके नहीं रह सकते न. मैं तुम्हें ऐसे अकेला भी नहीं लिखूंगी पूरी नॉवेल में. तुम्हारा ही आईडिया था न. मैं तो एक चैप्टर ही लिख रही थी मेरी तुम्हारी बातों का.'
'मैं गलती नहीं कर सकता? इतनी बड़ी सजा दोगी मुझे?'
'तुम्हें टाइमलाइन नहीं दिखती लूक. कुछ भी बहुत वक़्त के लिए नहीं होता. सब गुज़र जाता है. आखिरी चैप्टर में जब तुमसे मिलूंगी तो बड़े सुकून से मिलोगे मुझसे...उस सुकून की खातिर तुम्हें इस सब से गुज़ारना होगा.'

'सारे चैप्टर्स लिखते वक़्त तुम बेईमानी करोगी न...तुम जान कर मेरी यादों से अपना चेहरा धुंधला दोगी न?'
'अब मैं जाऊं? तुमसे रोमांस करने के अलावा भी बहुत सा काम है मुझे'
'फिर कब आओगी?'
'पता नहीं. तुम्हारे लिए घबराहट होती है कभी कभी. मैं उम्मीद करती हूँ कि तुम्हें सही सलामत लास्ट चैप्टर तक पहुंचा दूं. तुम्हें भी क्या पड़ी थी...नॉवेल लिखो...जितना जुड़ती हूँ तुमसे उतनी तकलीफ होती है. तुम्हारी तरह मैं अपने क्रियेटर से बात नहीं कर सकती न. उसका भी मैनुफैक्चरिंग डिफेक्ट हूँ मैं. कहाँ जा के रिफंड मांगूं. बताओ.'

'गुडबाय पूजा.'
'गुडबाय लूसिफ़र टी डिमेलो'

*** 

दुःख मांजता है...सुख तो बस ऊपर के टच अप्स हैं डार्लिंग. फिर मैं लूक के किरदार से गुजरते हुए क्यूँ नहीं इस दर्द को किसी चैप्टर में डिलीट कर पा रही हूँ. मैंने क्यूँ रचा था उसे. बस एक छोटी सी मुलाकात ही तो थी. उसकी तकलीफें इस कदर जिंदगी का हिस्सा होती जाएँगी कब सोचा था. रिबाउंड चल रहा है. वो खुश है. मैं देखती हूँ उसकी आँखों की चमक. उसकी यादों में धुंधलाता अपना चेहरा. उस मासूम लड़की के कंधे से आती खस की गहराती हुए गहरी हरी महक. मैं टर्काइज इंक से लिखती हूँ मुहब्बत. मुहब्बत. मुहब्बत. लूक की आँखों का रंग भी होने लगा है फिरोजी.

***

मेरा खुदा मगर मेरे लिए कोई रिबाउंड नहीं लिखता. मैं वही ठहरी हुयी हूँ. उसकी बांहों में. अंतिम अलविदा में. जिंदगी कई मर्तबा पॉज हो जाती है...दिक्कत यही है कि रिमोट हमारे हाथ नहीं खुदा के हाथ है.

5 comments:

  1. खूबसूरत प्रस्तुति।

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  2. जब सब कुछ बुझा-बुझा सा लगता है,तब आपकी कृतियाँ पढकर लगता है मानो,किसी ने नॉब घुमाकर लालटेन की बत्ती अचानक ऊँची कर दी हो...

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    1. कितना सुन्दर शब्द चित्र है अनंत। शुक्रिया।

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  3. दुःख किरदार को मांजता है. सुख का एक ही आयाम है. दुःख के बहुत सारे. तुम टूटोगे तो तुममें चिप्पियाँ लगाने की जगह बनेगी. हंसती खेलती जिंदगी में कोई रस नहीं होता...
    मैं टर्काइज इंक से लिखती हूँ मुहब्बत. मुहब्बत. मुहब्बत. लूक की आँखों का रंग भी होने लगा है फिरोजी........

    आँखों की हरहरी में अचानक से ही लाल मिर्च का कीड़ा घुस गया है, ऐसा ही होता है जब सच से मुलाकात होती है, धुंधली होती तस्वीरों में सब कुछ फिरोज़ी ही लगता है।

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