कहाँ कहाँ न बची रह जाती हैं चीजें...और मुझे लगता था मैं खो जाउँगी! बहरहाल, आप जिस कहानी को तलाशते यहाँ पहुँच गये हैं उसका पता बदल गया है...वो क्या है ना, इंटरनेट का कोई भरोसा नहीं है...हाँ कागज पर छपा कुछ कहीं नहीं जाता इसलिये सोचा कि अपनी फेवरिट कुछ कहानियों को छपवा देती हूँ।
ये कहानी अब पेंग्विन प्रकाशन से छपी मेरी किताब 'तीन रोज़ इश्क़' में मिलेगी।
आप किताब अमेज़न से खरीद सकते हैं, लिंक ये रहा: http://tinyurl.com/amazonteenrozishq
परेशानी के लिये माफी और कहानियों को यूँ तलाशने का शुक्रिया।
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