15 May, 2013

जंकयार्ड डायरीज

तुम कोई उदास कविता नहीं हो कि तुम्हारे खो जाने पर आंसू बहाए जाएँ...तुम तो जिंदगी का रस हो, राग हो, नृत्य हो...तुम्हारे होने से धूप निकलती है...तुम पास होते हो तो जैसे सब कुछ थिरक उठता है...अब किसी दिन ऐसी ही कोई धुन गुनगुनाते आओगे कि पाँव रुक नहीं पायेंगे तो मैं क्या करूंगी बताओ...फिर कभी कभी सोचती हूँ बड़ी खूबसूरत चीज़...सोलह साल की लड़की होती है तो सोचती है...क्या वो मुझसे प्यार करता है...नहीं करता है...कुछ भी महसूस करता है मेरे लिए...मगर ३० की उम्र पहुँचने पर ऐसी छोटी चीज़ों में वक़्त जाया नहीं करते, इसलिए मैं तुम्हें कह सकती हूँ...डांस विद मी...मुझे जो चाहिए उसके बारे में अब दुआएं नहीं करती...तुमसे पूछ सकती हूँ और अगर तुम ना कह दो तो मैं उस लम्हे को वहीँ बिसार कर आगे बढ़ जाउंगी. मेरी फितरत नदी के विपरीत सी होती जा रही है. पहले तो समंदर के पास की नदी जैसा कुछ ठहराव था मगर अब पहाड़ी नदी जैसा बाँध तोड़ता बहाव है. मैं रुक नहीं सकती...ठहर नहीं सकती...मुझसे प्यार है तो मेरे साथ बह जाओ वरना नदी किनारे अनेक सभ्यताओं के बसने के निशान हैं...तुम भी किसी विस्मृत सभ्यता जैसे हो जाओगे जिसका बचा हुआ टुकड़ा टुकड़ा मिलेगा, पूरा कुछ कभी नहीं हो पायेगा...वो शब्द जो तुमने मुझसे कहे ही नहीं कोई ऐसी लिपि हो जायेगी जिसे सुलझाते पुरातत्त्वेत्ता उम्र गुज़ार देंगे.

जब हमें बहुत सी बात छुपानी होती है तो या तो हम बहुत चुप हो जाते हैं या बहुत बोलते हैं...इतनी सारी बातों में वो बात भी खो जाती है जो हम कहना चाहते तो हैं मगर सिर्फ एक उस बात को कहने में डरते हैं. आई लव यू ऐसी ही कोई शय है...दुनिया जहान की बातें करते हुए...फिल्मों पर बहस करते हुए...तुम्हारे पसंदीदा लेखक की कोई कविता पढ़ते हुए कहोगे मुझसे...मैं जानती हूँ...वैसे ये शब्द हैं भी काफी खतरनाक, इन्हें बाकी शब्दों के ककून में ही लपेट कर रखना चाहिए. बिना दस्ताने की उँगलियों से छू लो तो फ्रॉस्टबाईट हो सकता है. अगली बार मेरे गले लगो तो गौर से महसूस करना...मेरे गुडबाय में आई लव यू की खुशबू आती है. तुमने यूँ तो बहुत विदा के गीत सुने होंगे...आजकल किस गीत से गुज़र रहे हो? वो लैम्पशेड याद है जो हमने मिल कर बनाया था? हर रंग के रिबन में लपेट कर कांच की चूड़ियों संग...ड्रीम कैचर जैसा दिखता वो लैम्पशेड तुम्हारे ख्वाबों को रोशनी से भरता है क्या?

तुम्हारा प्यार किसी सोलर लैम्प जैसा है...जब तुम होते हो तो तुम्हारी मुस्कुराहटें सहेज कर रख देता है...बारिशों वाले दिन के लिए और जैसा कि बैंगलोर का मौसम है, इस लैम्प की अक्सर जरूरत पड़ती है. फिर इस मुस्कुराते उजाले में मैं शैडो डांस करती रहती हूँ...मेरी परछाई मुझसे कहीं ज्यादा डार्क और मिस्टीरियस है...कई बार तो मुझे अपनी परछाई खुद से ज्यादा अच्छी लगती है. 

सोच रही थी कि लोगों को कभी चीज़ों से नहीं जोड़ना चाहिए...लोग चले जाते हैं पर वो इनऐनीमेट चीज़ें कतरा कतरा जान लेती रहती हैं. मैं उन सारी चीज़ों से दूर नहीं भाग सकती जो तुम्हारे साथ रहते हुए मुझे अच्छी लगती थीं. वाईट लिली...वाईट चोकोलेट...वाईट फॉक्स मिंट...वाईट अल्ट्रा माइल्ड सिगरेटें...मेरी वाईट शर्ट...कमरे में आता सफ़ेद धूप का संगमरमर के सफ़ेद फर्श पर गिरता पहला टुकड़ा. तुम सफ़ेद रंग हो...तुमसे सारे रंग की रोशनियाँ निकलती हैं. 

खैर जाने दो...ऐवें ही कुछ कुछ लिखने का मन कर रहा था...बहुत सारा वर्कलोड होता है तो दिमाग में कुछ शब्द फँस जाते हैं...इन्हें लिखना जरूरी होता है वरना कुछ नया लिखने में दिक्कत होती है. जंकयार्ड डायरीज... ऐसा ही कुछ लिखने के लिए होती हैं. कल कोई तो कहानी लिखने का मन कर रहा था...फिर कभी...आज फिर ऑफिस को देर हो जायेगी...लिखेंगे बाकी वाकया ऐसे ही. आजकल लिखना प्यार की तरह हो गया है...भागते दौड़ते, दो मिनट निकाल कर लिखते हैं...बहरहाल...ओके...टाटा...लव यू...बाय. 

4 comments:

  1. mam when i dont understand , stressed anything i read your blog, its redeeming. Gives lil smile.

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  2. मन की थिरकन कौन सम्हाले,
    कब तक बैठें भोले भाले।

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  3. जैसे कोई बच्चा पहली बार कठपुतली का खेल देखता है तो देखता ही रहता है आँखे फाड़े, मैं भी उसी तरह पूजा के ब्लॉग पर( मैं इसे पूजा का गाँव कहना अधिक पसन्द करता हूँ) आने के बाद एक-एक शब्द चित्र को निहारता रहता हूँ, गोया कुछ अद्भुत सा देख रहा हूँ। आज बहुत दिन बाद इस गाँव में आना हो पाया है तो रफ़्ता-रफ़्ता हर छूटे हुये कोने देखने का इरादा है।

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  4. 'सोच रही थी कि लोगों को कभी चीज़ों से नहीं जोड़ना चाहिए...लोग चले जाते हैं पर वो इनऐनीमेट चीज़ें कतरा कतरा जान लेती रहती हैं. ' so true!!!

    लगता है जैसे कई बार मेरा ही अनुभूत सत्य लिख रही हो तुम्हारी लेखनी...!

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