16 December, 2010

तेरे बोसे हमपे उधार हैं जानां

तुझको पल भर मिलूं और खूबसूरत हो दुनिया
मेरी नज़र में बस इक यही प्यार है जानां

तुझसे झगडूं तो मेरा बचपन लौट लौट आये
इससे प्यारी कोई तकरार है जानां?

नीम बेहोश पलकों को तेरे ख्वाब चूमें
तेरे बोसे हमपे उधार हैं जानां

तुम्हारी बालकनी पे शाम कोई सूरज डूबे
मेरी रातों को भी कौन सा करार है जानां

इत्तिफकों की कोई लौटरी निकल आये
तू मिले तो लगे, परवरदिगार है जानां

अबकी बार मेरी बाँहों में पल भर रुकना
तुझे मालूम पड़े तुझको भी प्यार है जानां

8 comments:

  1. बहुत ही सुन्दर प्रेम भरी रचना है।

    ReplyDelete
  2. इत्तिफकों की कोई लौटरी निकल आये
    तू मिले तो लगे, परवरदिगार है जानां

    superrrrbbb....!!!!!!!

    bohot pyaari ghazal hai, vo takraar wala sher, udhaar wala sher, ek ek sher behtareen hai....lovely :)

    ReplyDelete
  3. नीम बेहोश पलकों को तेरे ख्वाब चूमें
    तेरे बोसे हमपे उधार हैं जानां

    इत्तिफकों की कोई लौटरी निकल आये
    तू मिले तो लगे, परवरदिगार है जानां

    एक से बढ़ कर एक खूबसूरत शेर ....बहुत अच्छी गज़ल ..

    ReplyDelete
  4. एक बार उतर, इस समन्दर के भीतर,
    लहरों में जानो, कितनी धार है जानां।

    ReplyDelete
  5. ओह्ह.. मार ही डाला आपने...एक एक शेर उम्दा...
    माशाल्लाह ....

    ReplyDelete
  6. sundar bhaav..
    khoobsurat se ehsaas,
    kaafi accha laga padhkar!

    dhanyawaad sahit..
    #ROHIT

    ReplyDelete
  7. ''नीम बेहोश पलकों को तेरे ख्वाब चूमें'' लाजवाब नजाकत.

    ReplyDelete

Related posts

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...