01 December, 2009

तुम बिन जीना

बहुत सी नई पुरानी किताबों में
इन्टरनेट पर बिखरे हजारों पन्नो में
घर की कुछ धूल भरी अलमारियों में
गिटार के बेसुरे बजते तारों में
तुम्हारे पहने हुए कुछ कपड़ों में
अटक
अटक के गुजरती रात में
गुजर के ठहरे हुए पिछले तीन साल में

पिछले कुछ दिनों से ढूंढ रही हूँ तुम्हारे हिस्से
सबको एक जगह शब्दों में समेट दूँ
शायद फ़िर चैन से रह सकूं तुम्हारे बगैर कुछ पल

वो लम्हे जब तुम मुझसे दूर होते हो
मुझे सबसे शिद्दत से इस बात का अहसास होता है
कि मैं तुमसे कितना प्यार करती हूँ

मगर मैं इस अहसास के बगैर ही जीना चाहती हूँ
मुझे अकेली छोड़ के मत जाया करो...


आज ये गीत बहुत दिनों बात सुना...बचपन में सुना था कई बार...पापा के टीवी के रिकार्डेड प्रोग्राम से शायद, या फ़िर रेडियो से...यहाँ डाल रही हूँ की फ़िर खोजने की जरूरत न पड़े...ताहिरा sayed का वो बातें तेरी वो फ़साने तेरे...
Get this widget | Track details | eSnips Social DNA

18 comments:

  1. बहुत खूब, पुरानी पर दिलचस्प, वैसे प्रेम के एहसासात एक ही जैसे होते हैं । अब कोई कैसे बयां करता है यह उसकी काबिलियत पर निर्भर करता है

    ReplyDelete
  2. बहुत खूब

    ReplyDelete
  3. मगर मैं इस अहसास के बगैर ही जीना चाहती हूँ
    मुझे अकेली छोड़ के मत जाया करो...

    -बहुत भावपूर्ण रचना..अच्छा लगा पढ़कर.

    ReplyDelete
  4. बस ज़िंदगी को अपनी अदा से बहने दीजिए |
    आपकी अदा खुद तय हो जायेगी ...

    इस खुबसूरत एहसास के लिए
    बारहा शुक्रिया !

    ReplyDelete
  5. वाह,वाह! क्या बात है। जय हो।

    ReplyDelete
  6. वो लम्हे जब तुम मुझसे दूर होते हो

    गहराई से रची रचना... और अंतरतम से निकली आवाज...

    ReplyDelete
  7. मगर मैं इस अहसास के बगैर ही जीना चाहती हूँ... bful.. wo batein teri wo fasane tere... lajawab

    ReplyDelete
  8. बहुत सुन्दर भावमय रचना बधाई

    ReplyDelete
  9. सुन्दर... गीत बहुत पसंद आया... शुक्रिया...

    ReplyDelete
  10. kya bolun... very beautifully written..
    and one really lucky fellow :)

    ReplyDelete
  11. "पिछले कुछ दिनों से ढूंढ रही हूँ तुम्हारे हिस्से
    सबको एक जगह शब्दों में समेट दूँ
    शायद फ़िर चैन से रह सकूं तुम्हारे बगैर कुछ पल"

    यह बात खूब कही है आपने । एहसास इस तरह गुंथ जाते हैं कविताओं में कि क्या कहें ! आभार ।

    ReplyDelete
  12. मोहब्बत को, एहसासों को आप बहुत प्यार से बयाँ करती हैं.
    सच बहुत प्यार से

    ReplyDelete
  13. प्यार का सही अहसास उसके दूर जाने पर ही होता है :-)..गीत नहीं सुना.. अभी ऑफिस में हूँ ..

    ReplyDelete
  14. आ जायेगा भई.. जल्द ही आ जायेगा.. :)

    और यह गीत स्वाति नाटेकर की आवाज में सुनना हो तो कहो.. मैं भेज दूंगा.. मुझे वह वाला ज्यादा अच्छा लगता है..

    ReplyDelete
  15. बहुत खूब........keep it up

    ReplyDelete
  16. बेहतरीन.. तुम्हारी छाप और तुम्हारे दिये रन्ग लिये हुए... वाह

    ReplyDelete

Related posts

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...