25 March, 2009

बिखरे लफ्ज़

सफ्हों में सारी की सारी उड़ेल कर
चल दिए ऐ जिंदगी, हम फिर तेरी तलाश में
-------००००-----------००००-------
क्यों तुम्हें भी बाँध दू उम्र भर की मुहब्बत में
सफर के लिए इतना काफी है...तूने कभी मुझे चाहा
----------००००--------००००-------
तुझे तेरा दर मुबारक, मुझे ये सफ़र मुबारक
किसी मोड़ पर मिलें शायद...फिलहाल, अलविदा

23 comments:

  1. मुझे मेरे दिल के करीब लगा ये वाला

    क्यों तुम्हें भी बाँध दू उम्र भर की मुहब्बत में
    सफर के लिए इतना काफी है...तूने कभी मुझे चाहा ....

    बेहतरीन हैं सब के सब

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  2. हम पाबन्द-ए-मुहब्बत हैं, कोई दीवाने नहीं
    लोग दीवाने हैं ... ज़ंजीर लिए फिरते हैं ....

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  3. अलविदा भी इतनी नफासत के साथ। अच्‍छा लगा पढ़कर।

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  4. क्यों तुम्हें भी बाँध दू उम्र भर की मुहब्बत में
    सफर के लिए इतना काफी है...तूने कभी मुझे चाहा
    ...................सुंदर पंक्तियाँ। सुंदर रचना।

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  5. तुझे तेरा दर मुबारक, मुझे ये सफ़र मुबारक
    किसी मोड़ पर मिलें शायद...फिलहाल, अलविदा


    बहुत लाजवाब रचना..पर आखिरी लाईन..???

    रामराम.

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  6. बहुत सुन्दर

    तुझे तेरा दर मुबारक, मुझे ये सफ़र मुबारक
    जिन्दगी के सफ़र में , नया सफ़र मुबारक
    दिल पे छोड़ जायेगे हर सफ़र एक इबारत
    कल फिर नजर आएगी नयी मंजिले और ईमारत

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  7. अपनी वजहे बरबादी सुनिए तो मजे की है
    जिंदगी से यूँ खेले जैसे दूसरे की है -jaaved akhtar

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  8. क्यों तुम्हें भी बाँध दू उम्र भर की मुहब्बत में
    सफर के लिए इतना काफी है...तूने कभी मुझे चाहा

    बहुत सुंदर लिखा है आपने। मन को छू गया।

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  9. तुझे तेरा दर मुबारक, मुझे ये सफ़र मुबारक
    किसी मोड़ पर मिलें शायद...फिलहाल, अलविदा

    असलियत तो यही है जी बहुत सुन्दर लगे यह बिखरे दिल में उतरते लफ्ज़

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  10. किसी मोड़ पर मिलें शायद...फिलहाल, अलविदा
    --------
    ओह नो! इस मोड़ के आगे का सफर तो खतरनाक लगता है?!

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  11. क्यों तुम्हें भी बाँध दू उम्र भर की मुहब्बत में
    सफर के लिए इतना काफी है...तूने कभी मुझे चाहा
    ----------००००--------००००-------
    waah lajawab

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  12. लिखे तो तीनों ही बेहतर है। पर ये वाला कुछ ज्यादा ही अच्छा लगा।
    क्यों तुम्हें भी बाँध दू उम्र भर की मुहब्बत में
    सफर के लिए इतना काफी है...तूने कभी मुझे चाहा

    सुन्दर।

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  13. आप के शॆर तो सभी बहुत अच्छे ओर लाजवाब है, लेकिन मुझे फ़िक्र है आप अब वहा से उतरेगी केसे? अरे बाबा मुझे तो देख कर ही डर लग रहा है

    तुझे तेरा दर मुबारक, मुझे ये सफ़र मुबारक
    किसी मोड़ पर मिलें शायद...फिलहाल, अलविदा
    अरे अरे नही अलबिदा नही....:)

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  14. है यही सफ़र का फलसफा कि चलते हुए यादों को समेट लूं, उनकी चाहतो का ख्याल थपकियाँ देगा कहीं छाँव में सुस्ताते हुए !...पूजा जी रचना का भाव बेहद खूबसूरत है...

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  15. क्यों तुम्हें भी बाँध दू उम्र भर की मुहब्बत में
    सफर के लिए इतना काफी है...तूने कभी मुझे चाहा !


    खूबसूरत लिखा है .

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  16. किंचित लापरवाही के ब्रश स्ट्रोक्स के साथ आपका ये हस्तक्षेप बहुत पसंद आया.ये बिखरे लफ्ज़ सचिन तेंदुलकर के क्लासिक शॉट्स की छाप लिए है.बधाई.

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  17. क्यों तुम्हें भी बाँध दू उम्र भर की मुहब्बत में
    सफर के लिए इतना काफी है...तूने कभी मुझे चाहा .........very well said..dont have any words to express

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  18. किसी मोड़ पर मिलें शायद...

    UMMIDON KA CHIRAG JALTA RAHE BAS ...

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  19. aapki likhi gayi sari kavitao se alag phir bhi payri :-) us din se ab tak naaraz hai kya aap?

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  20. वाह जी वाह बहुत ही अच्‍छे शेर हैं सभी

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