24 January, 2009

किसी मोड़ पर



बहुत जरूरी है कि हमें याद रहे

भूलना...

ताकि वक़्त वक़्त पर

हम एक दूसरे को उलाहना दे सकें

पैमानों में नाप सकें प्यार को

और हिसाब लगा कर कह सकें

कि किसका प्यार ज्यादा है...


बहुत जरूरी है

किसी मोड़ पर बिछड़ना

ताकि फ़िर किसी राह पर

मिलने कि उम्मीद बरक़रार रहे

और हम अपने कदम दर कदम बढ़ते रहे

चाहे उन क़दमों से फासले ही क्यों न बढें


बहुत जरूरी है

अपने दरमयान एक दूरी रखना

अपने वजूद को जिन्दा रखने के लिए

क्योंकि अगर जिन्दा रहेंगे हम दोनों

तभी to रहेगा प्यार...हमारे बीच

अगर ये बीच की दूरी ही न रहे

प्यार का वजूद भी नहीं होगा...


इसलिए मेरे हमसफ़र
आज दो नई राहें चुनते हैं
और उनपर बढ़ते हैं

ताकि अगर कहीं हम आगे जा कर मिले

तो हमारे पास दो कहानियाँ होंगी

और अगर हम बहुत दूर चले गए

तो वापस आ जायेंगे

बस हमें अपने प्यार पर भरोसा रखना होगा

कि हम लौट कर आ सकें

और अगर कोई पहले पहुँच जाए

तो इंतज़ार करे

प्यार में सबसे खूबसूरत

इंतज़ार ही तो होता है...नहीं?

21 comments:

  1. wah yaad rakhne kee ahmiyat to sabne batai thee aaj aapne bhoolne kee ahmaiyat bata dee . ab aapko padhta rahunga.

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  2. कोई अगर पहले पहुंच जाए तो इंतजार करे...बहुत सुंदर लगी यह बात मुझे...लेकिन ऐसा होता नहीं है ना...कितना मुश्किल है...प्यार और इंतजार

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  3. ये पैमानों में नापना , बिछड़कर किसी राह पर मिलने की उम्मीद, बीच की दूरी के साथ प्यार का वजूद , और चलते चलते ....मिलने के लिए इंतज़ार .............
    बहुत खूब अति उत्तम ..... भावनाओं का अनूठा संगम

    अनिल कान्त
    मेरा अपना जहान

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  4. बहुत ही बढ़िया.

    किसी ने क्या खूब कहा है अब क्या बताएं उसके मिलने से क्या मिला
    गम हुआ मुझे दिल का पता मिला.

    www.merichopal.blogspot.com

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  5. "चाहे उन क़दमों से फासले ही क्यों न बढें"
    हम सहमत हैं. बहुत खूबसूरत.आभार.

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  6. pyaar ki zarurton ko bataa diya.....bahut hi achhi rachna hai

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  7. और अगर इंतजार एक तरफा हो जाये तब?

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  8. हमारे दरमियाँ ऐसा कोई रिश्ता नहीं था
    तेरे शानों पे कोई छत नहीं थी
    मेरे ज़िम्मे कोई आँगन नहीं था
    कोई वादा तेरी ज़ंज़ीर-ए-पा बनने नहीं पाया
    किसी इक़रार ने मेरी कलाई को नहीं थामा
    हवा-ए-दश्त की मानिन्द
    तू आज़ाद था
    रास्ते तेरी मर्ज़ी के तबे थे
    मुझे भी अपनी तन्हाई पे
    देखा जाये तो
    पूरा तसर्रुफ़ था
    मगर जब आज तू ने
    रास्ता बदला
    तो कुछ ऐसा लगा मुझ को
    के जैसे तूने मुझ से बेवफ़ाई की
    -parveen shakir.

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  9. sach pooja ji aaj to dil ki baat keh di aapne jo jubaan tak aake lauti hai,bahut sahi kaha thode fasle jaruri hai.bahut sundar.

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  10. बहुत जरूरी है

    अपने दरमयान एक दूरी रखना

    अपने वजूद को जिन्दा रखने के लिए..BAHUT ACCHHA KAHTI HO POOJAA

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  11. बहुत अच्‍छा लिखा है पूजा जी कभी हमारे ब्‍लाग पर भी दर्शन दो

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  12. और अगर कोई पहले पहुँच जाए

    तो इंतज़ार करे

    प्यार में सबसे खूबसूरत

    इंतज़ार ही तो होता है...नहीं?

    वाह !!बहुत अच्‍छा !!

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  13. बहुत ही बढ़िया.

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  14. लाजवाब, आज तो बिल्कुल दार्शनिक अभिव्यक्ति. बहुत शुभकामनाएं.

    रामराम.

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  15. बहुत जरूरी है
    अपने दरमयान एक दूरी रखना
    अपने वजूद को जिन्दा रखने के लिए
    वाह क्या गजब लिखा है।

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  16. bilkul sahi kaha pooja ji.. sacchi baat

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  17. बहुत ही अच्छे विम्ब प्रस्तुत किए हैं पूजा जी.
    बहुत प्यारा लिखती हैं आप, बधाई
    - विजय

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  18. बधाई अच्छी रचना और गणतंत्र दिवस की।

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  19. pyar insan ki kamzori bhi hain or takat bhi ,chahe jo ho darasal aapki KAVITA utni hi zaruri hain jitna bhar PYAR
    kyonki in sabse zuda hokar bhala JEEVAN syam k artth kaise khojega

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  20. बहुत अच्‍छा !!

    प्यार में सबसे खूबसूरत

    इंतज़ार ही तो होता है...नहीं?

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