03 December, 2008

देखना है जोर कितना बाजू ऐ कातिल में है

आज कुछ नहीं कहूँगी...बस ये विडियो पोस्ट कर रही हूँ। जब भी देखती हूँ रोंगटे खड़े हो जाते हैं। रंग दे बसंती से ये दो क्लिप कुछ कुछ राहत देते हैं।
जब भी सुनती हूँ तो लगता है कहीं कोई हलचल होने लगी है दिल में, कुछ करने का जज्बा जोर मारने लगता है। मुझे लगता है कि आज ऐसे कुछ और शायरों की जरूरत है, वही हम सब को इस नींद से झकझोर कर उठा सकते हैं।
सरफरोशी कि तमन्ना अब हमारे दिल में है...



9 comments:

  1. nice videoes.. ach jab bhi sunta hu inhe rongte khade ho jate hai.. dil mein kuch kar gujar jane ka jajba sa aa jata hai.. khatam hote hi dekhta hu dusro ko to pata ki mai bhi unhi ki tarah bas bolta hu, kosta hu, kata kuch bhi nahi
    :-(

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  2. 'गिरा अनयन नयन बिनु बानी' . कुछ नहीं कह पा रहा हूँ. बस आपकी फालोअर लिस्ट में अपना नाम लिखा रहा हूँ .

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  3. सरफरोशी कि तमन्ना अब हमारे दिल में है...

    बहुत जरुरत है इस जज्बे की ! सामयीक हैं !

    रामराम !

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  4. बस्स!! सुन लिया!! जरुरी था इस वक्त!

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  5. बिल्कुल सही... मैं भी कुछ ऐसा ही सोच रहा था

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  6. हर देशवासी के सीने में यही ऊबाल है पूजा ...यही उबाल

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  7. तमन्ना दिलों में ही न रह जाए इसलिये मैं चाहता था कि लोग एम जी रोड़ (बंगलौर) पर इकठ्ठे हों और मोमबत्तियां जलाएं और मानव-श्रंखला बनाकर "सारे जहां से अच्छा" गाएं। ऐसा सिर्फ़ मुंबई में ही हो यह ज़रूरी तो नहीं, हर शहर में ऐसा किया जाना चाहिये। इससे कितना असर पड़ेगा सोचा जा सकता है।

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  8. ek nahi kai Rang De Basanti ki jaroorat hai abhi bharat ko..

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  9. आपके विचार बहुत सुंदर है , आप हिन्दी ब्लॉग के माध्यम से समाज को एक नयी दिशा देने का पुनीत कार्य कर रहे हैं ....आपको साधुवाद !
    मैं भी आपके इस ब्लॉग जगत में अपनी नयी उपस्थिति दर्ज करा रही हूँ, आपकी उपस्थिति प्रार्थनीय है मेरे ब्लॉग पर ...!

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