30 July, 2008

तसवीरें और प्यार...



जादू सी रौशनी है

या प्यार है जो रंग देता है नज़रिया...



तुम्हारे इंतज़ार में
शाम भी जैसे बाहें फैलाये हुए है...



और सिर्फ़ मैं ही नहीं
फूल भी गुनगुना रहे हैं...



आते ही पकोड़े खिलाऊंगी
जल्दी आओ ना...

12 comments:

  1. kyaa baat hai! din par din kavitaayen haseen hoti jaa rahi hain.

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  2. This comment has been removed by the author.

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  3. Very good pictures and comments even better

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  4. बहुत ही सुंदर.
    मन को आनंदित करती हुई.
    आभार.

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  5. चित्रों और शब्दों का अदभुत संयोजन।

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  6. पूजा जी,

    हमारी पहली दस्तक है आपके ब्लोग के दरवाजे पर... सुन्दर ब्लोग और सुन्दर रचनायें...

    और ताजी रचना में तो पकोडों का जिक्र है.. हमारी कमजोरी... हम तो दिल्ली में ही हैं..अगर निमन्त्रण असली है तो कभी भी आ सकते हैं..

    लिखते रहिये

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