24 June, 2008

कॉपी के पन्ने

लड़कपन तो नहीं कह सकते लेकिन स्कूल के आखिरी सालों(12th) में हमेशा कॉपी के आखिरी पन्नो पर केमिस्ट्री के फार्मूला और फिजिक्स के थेओरेम के अलावा ये कुछ खुराफातें मिली रहती थी। माँ हमेशा इन्हें कचरा कहती थी, कोई कॉपी उलट के देखा तो क्या कहेगा। पर हम भी थेत्थर थे लिखते रहते थे, आज मेरे पास एक कूड़ेदान के जैसी दिखने वाली फाइल है, जिसमें सारे पन्ने फटे हुए रखे हैं। जब इनको खोलती हूँ तो लगता है एक दशक पीछे पहुँच गई हूँ...

इन कतरनों की कुछ पंक्तियाँ...

---०---०---

जिस्म के परदे हटा कर रूह तक झांक लेती हैं
मुहब्बत करने वालों की अजीब निगाहें होती है

---०----०----

कोई जब मुस्कुरा के मुझको दुआ देता है
मुझको उसकी आँखें तुझ जैसी लगती हैं

---०---०---

जब वो सोते हैं छुपा के अपनी नफरत पलकों में
तो लगते हैं कुछ कुछ मुहब्बत के खुदा जैसे

---०---०---

मेरे जिस्म में यूँ बसी है उसकी खुशबु
वो मेरी रूह का हिस्सा जैसे
यूँ झुकती हैं पलकें उसको देख कर
वो ही हो मेरा खुदा जैसे

---०---०---

यूँ लगता है तुम्हारे होठों पर मेरा नाम
काफिर के लबों से ज्यों दुआ निकले

---०---०---

10 comments:

  1. पूजा बहुत अच्‍छा लिखते हो जारी रखो तुम्‍हारी लेखनी में दिखता है वो अंश जारी रखो

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  2. क्या बात है.. बहुत बढ़िया लिखा है है..

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  3. क्या बात है.. बहुत बढ़िया लिखा है है..

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  4. यूँ लगता है तुम्हारे होठों पर मेरा नाम
    काफिर के लबों से ज्यों दुआ निकले
    vah.....vah...
    lagta hai kapi ke aor panne bhi dekhne padege...

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  5. काश मैं अपनी कापियों को बचा पता. खैर पुरानी यादें यद् दिलाने के लिए शुक्रिया

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  6. बहुत ही बढ़िया। सच में मुझे आपकी शेर बहुत अच्छे लगे। मोहतरमा अगर आप 12वीं में ऐसा लिखती थीं, तो अब कैसा लिखती होंगी। हमें तो 12वीं में poetry & litrature का क,ख,ग भी नहीं पता था। हमें तो पता ही नहीं था कि ये बला क्या है। वैसे एक शेर आपका को पढ़ाता हूं जो 12वीं के अंग्रेज़ी के पेपर के एक दिन पहले पेपर की तैयारी करते-2 कापी पर शब्दों में उतर गया।
    एक मुहब्बत की कली थी
    जिसने मेरे दिल के गुलशन में खिलकर
    उसे गुलफ़ाम कर दिया
    वो ही मुहब्बत एक दिन
    मेरे दिल पर बिजली बनकर गिरी
    और मुझे बर्बाद कर दिया
    ऐसे की थी तैयारी हमने अंग्रेजी के पेपर की और ये मेरा पहला शेर है।

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  7. बहुत उम्दा...वाह!!

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  8. जिस्म के परदे हटा कर रूह तक झांक लेती हैं
    मुहब्बत करने वालों की अजीब निगाहें होती है..

    Incredibly good....the first three are really impressive...
    likhte rahiye..

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  9. main to abhi tak likhta hun.. meri office ki diary dekh lo.. uske last 2 panne aise hi range huye milenge.. :D

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