04 June, 2008

शौक़ है...

बहुत पुराना एक गाना था गुलज़ार का, मेरा कुछ सामान...लगता था जैसे इसके शब्द और धुन एक दूसरे के लिए ही बने हैं. एक बहती हुयी नदी सा गीत था. आज बहुत दिनों बाद गुरु का ये गीत सुना, पता नहीं था कि किसने लिखा है पर लगा की फ़िर से वही गुलज़ार पंचम की जोड़ी है, शब्दों की गुनगुनाहट, बिना किसी छंद के, जैसे बन्धन तोड़ के बहती हुयी कविता.

सुनकर काफ़ी देर तक गूंजते रहते है ये शब्द मन में, और धुन तो खैर लाजवाब है ही. video तो कहीं से नहीं मिला, बस एक रीमिक्स टाइप था, बहुत ढूँढने पर भी सोंग ट्रैक नहीं मिला. आज सोचा की ब्लोग्गिंग के नेक्स्ट स्टेप से रूबरू हो ही जाएँ.
मैंने ये video youtube से लिया है जिसके लिंक है http://www.youtube.com/watch?v=QyUeYRJ1jZc&NR=1


रात का शौक़ है
रात की सोंधी सी
खामोशी का शौक़ है
शौक़ है...

सुबह की रौशनी
बेजुबान सुबह की ओ गुनगुनाती
रौशनी का शौक़ है
शौक़ है...



शौक़ है
सनसनी बादलों का
ये इश्क के बावालों का
बर्फ से खेलते बादलों का
शौक़ है...

काश ये जिंदगी
खेल ही खेल में खो गई होती
रात का शौक़ है
शौक़ है...

नींद की गोलियों का
ख्वाब की लोरियों का
नींद की गोलियाँ
ख्वाब की लोरियाँ
बेजुबान ओस की
बोलियों का
शौक़ है

काश ये जिंदगी
बिन कहे बिन सुने सो गई होती

सुबह की रौशनी
बेजुबान सुबह की ओ गुनगुनाती
रौशनी का शौक़ है

5 comments:

  1. मेरा पसंदीदा गीत है.. इसका वीडियो भी है मेरे पास यू ट्यूब से ही डाउनलोड किया था.. गुलज़ार साहब ने बहुत खूबसूरती से लिखा है इसे और रहमान ने पंचम वाला जादू बरकरार रखा है... यहा सुनाने के लिए धन्यवाद.. इसी कड़ी में झूम बराबर झूम का बोल ना हल्के हल्के भी बहुत प्यारा सॉंग है.. गुलज़ार साहब बहुत टाइम बाद उस गाने में मूड में नज़र आए है

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  2. पहली बार सुना काफी अच्छा प्रयास है

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  3. उम्दा प्रस्तुति. सफल प्रयास के लिए बधाई.

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  4. बहुत खूबसूरत गीत है पूजा.....आपने मेरी शाम बना दी........शुक्रिया......
    एक बात ओर ....आपने जो लिंक दिया है ....इससे ओपन नही होता है....चेक्क कर ले.... .
    kush ji aapse nivedan hai....
    kripya mujhe mail kar de...

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  5. shukriya is geet ko yahan pesh karne ke liye..

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