26 April, 2008

...

कभी कभी मेरी सारी कायनात सिमट कर एक ख्वाहिश में आ जाती है
काश तुम अपनी गोद में मेरा सर लेकर बालों में उँगलियाँ फिराओ कुछ देर

उफ़ इस ipl ने जिंदगी की सारी रूमानियत ख़त्म कर दी है

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अंधेरे में खाना बनाना पड़ता है, गर्मी के मारे हालत ख़राब हो जाती है
फ़िर भी पॉवर कट से कोई खास शिकायत नहीं होती
टीवी से हटकर तुम मेरे पास घड़ी भर ठहरते तो हो
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5 comments:

  1. naa jaane aapne kya likha hai par jo bhi likha hai sachchaai hai..
    main hameshaa se TV ke against hi raha hun.. ye logon ka samay khaane ka sabse achchha saadhan hai..

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  2. बहुत अच्छा. आपकी फ़ोटो भी अच्छी है.

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  3. ऊपर की लाइनों में शिकायत दर्ज कराने का लहजा बहुत अच्छा है। नीचे की पंक्तियां प्यार की उस परिभाषा को बयान करती हैं जिसमें उस दुख को झेलने की प्रेरणा है जिस दुख के बावजूद प्रेमी के मिलन की पूरी गुंजाइश है। भावनाएं अच्छी हैं। अगर मेरी व्याख्या में कुछ अधूरा हो या कमी हो तो प्रतिक्रिया जरूर दीजिएगा। वैस पिछली पोस्ट में आपका जवाब पढा अच्छा लगा।

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  4. ऊपर की लाइनों में शिकायत दर्ज कराने का लहजा बहुत अच्छा है। नीचे की पंक्तियां प्यार की उस परिभाषा को बयान करती हैं जिसमें उस दुख को झेलने की प्रेरणा है जिस दुख के बावजूद प्रेमी के मिलन की पूरी गुंजाइश है। भावनाएं अच्छी हैं। अगर मेरी व्याख्या में कुछ अधूरा हो या कमी हो तो प्रतिक्रिया जरूर दीजिएगा। वैस पिछली पोस्ट में आपका जवाब पढा अच्छा लगा।

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  5. कभी कभी मेरी सारी कायनात सिमट कर एक ख्वाहिश में आ जाती है
    काश तुम अपनी गोद में मेरा सर लेकर बालों में उँगलियाँ फिराओ कुछ देर

    ye sabki khvahishe hai....mohtarma..
    aor aapki agli panktiya mujhe kahi door peeche kheench le gayi.

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