26 March, 2008

कभी कभी यूँ ही
किसी कागज़ पे तुम्हारी handwriting दिख जाती है
अनायास ही...सामने आ जाती है पूरी जिंदगी
जो तुमने अपने हाथों से सँवारी थी

याद आती हैं वो थपकियाँ jab गर्मी की दोपहर मैं सोती नहीं थी
याद आते हैं वो किचन के लम्हे जब चटनी का स्वाद चखाती थी
याद आते हैं वो जन्मदिन जब तुम हाथ पकड़ के केक कटवाती थी
याद आता है वो तुम्हारा कौर कौर खिलाना सुबह सुबह

याद आते हैं वो सारे स्वेटर के फंदे वो तुमने मेरी जिद पे बनाये थे
याद आता है मेरी पेंटिंग्स टू तुम्हारा स्ट्रोक्स देना
मेरी कढाई के लिए फ्रेम कसना
मेरी साड़ी बांधना

मेरी जिंदगी तुम्हारे हाथो की संवारी हुयी है माँ
आज मुझे तुम्हारे हाथों की बहुत याद आती है

कोई नहीं रखता है सर पे हाथ तुम्हारी तरह
आज तुम्हारे हाथों की बहुत याद आती है माँ

2 comments:

  1. hi,
    log gitna bhi MAA sabd ka vislesan kare wo utna hi kam lagta hai,MAA k bare m jitna bhi likho wo MAA sabd k aage chota lagta hai.kyonki MAA janm dene wali,palnewali sab wahi hai.

    http://www.apurvgouravlkr.blogspot.com

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