08 January, 2008

यादों की किरिचें

shabdon के ढेर आँखों में पड़े रहते हैं
पर भाषा है कोई अनजानी सी
पढ़ नहीं पाता है कोई भी आँखों में

या आँखें ही अजीब है
शायद opaque हैं
जबकि मुझे लगता है transparent होंगी

नहीं है ऐसा

सिर्फ शब्दों के होने से अभिव्यक्ति नहीं होती
उसके लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ती है

आँखों कि भाषा पढ़ने के लिए आँखें भी वैसी होनी चाहिऐ
बड़ी बड़ी, कजरारी, काली आँखें, जिनमें एक ही झलक में सब साफ दिख जाए

क्लास के blackboard की तरह

मेरी आँखें तो बड़ी नहीं हैं
छोटी छोटी सी हैं मेरी आँखें
इनमें सारे शब्द उलझ जाते होंगे

बहुत confusing सा होगा
जैसे जगह कम पड़ने पर ख़त में लिख देते हैं
आदि तिरछी लकीरों में ही सारी बातें

मुझे एक पोस्टकार्ड याद आ गया
मेरी बातें हमेशा ज्यादा होती थी
और पोस्टकार्ड में जगह कम
कितनी मुश्किल से अटाना पड़ता था सब कुछ

अगर आँखों से नहीं उठता इतना सारा भर
तो मैं कह क्यों नहीं देती

कह भी दूंगी,पर पहले जान तो जाऊँ कि क्या कहना है

क्या इतना कहना काफी होगा की मैं दुखी हूँ
शायद नहीं
वजहें ढूंढ़नीं होंगी

मैं अकेला महसूस करती हूँ
मैं अनाथ महसूस करती हूँ

कुछ नहीं है
माँ तुम्हारी बहुत याद आती है बस
और तुम आ नहीं सकती हो

8 comments:

  1. माँ सी छाया जीवन मे कोई नही दे सकता । कहना आसान है करना कठिन फिर भी यही कहूंगी,जब मन घबराये तो प्रार्थना की जाये

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  2. अच्छी रचना है। दिल को छूने वाले। बधाई।

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  3. maa ...kitni kavitaye,kitni vyakhyae kar lo,fir bhi har panne me alag murat dikhayi deti hai.

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  4. shukriya...
    koshish kar rahi hun ek dard ko vyakt kar ke kuch kam karne ki,warna kai baar yaadon ke khandahar ke sannaton mein khud ko bhi sun nahin paati hun.

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  5. Jab sannata bolega to apne dil ki awaaj sunogi. Is udaasi mein jeevan ka saar mile aapko. Yahi kaamna hai.

    Thak haar kar jab muskaraogi thabhi jaan lena maa ne us pal tumhe ek baar phir se sparsh kiya hai.

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  6. मां से मिलने की ख्वाहिश और अपने अकेलेपन की भावना को अच्‍छी तरह व्यक्त किया है, लेकिन आप अंग्रेजी शब्दों की जगह हिंदी शब्द प्रयोग करतीं तो प्रवाह बाधित नहीं होता,

    जैसे ओपेके लिए धुधली, ट्रांसपेरेंट के लिए पारदर्शी और कन्फ्यूजिंग के लिए उलझन भरा/भरी और ब्लैकबोर्ड
    आप भविष्य में लिखना चाहती हैं, तो लिखने के साथ साथ दुनिया का अच्छा साहित्य भी पढ़ना जारी रखिए....

    और हां, आपने शायद अपने प्रोफाइल में अपनी पसंदीदा फिल्‍मों में खामोशी का जिक्र भी किया है....

    वह वाकई बेहद शानदार फिल्म है, विचार और कहानी, और निर्देशन, संगीत, अभिनय सभी तरह से...और वहीदा रहमान ने इस फिल्म में वाकई लाजवाब अभिनय किया है

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  7. संदीप जी, मुझे समझने की कोशिश करने के लिए शुक्रिया, एक दो बातें साफ करना चाहूंगी, i mean clear kar dun. मैं अंग्रेजी के शब्दों का इस्तेमाल नहीं करने का कारण ये नहीं है कि मुझे उनके पर्यायवाची नहीं आते बल्कि वजह है कि मेरी कविता या गद्य हमेशा उस भाषा में होता है जिसमें मैं सोचती हूँ, अगर मेरे दिमाग में confusion शब्द आएगा तो मैं वही लिखूंगी उसका पर्याय नहीं इस्तेमाल करुँगी क्योंकि इससे कविता का फ्लेवर चला जाता है. ऐसा मैं सोचती हूँ, जरूरी नहीं कि सही सोचूं, पर सोच यही है.
    और आपकी एक भूल मैं सुधार दूँ...opaque का मतलब धुंधला नहीं होता...अपारदर्शी होता है.
    शुक्रिया...हिन्दी और अंग्रेजी कि इन बारीकियों पर ध्यान दिलाने के लिए.

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  8. कुछ नहीं है
    माँ तुम्हारी बहुत याद आती है बस
    और तुम आ नहीं सकती हो
    kuch aisa hi hai
    sach!!

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