10 May, 2007

मासूमियत

चाहती हूँ

कभी क्षितिज पर जाकर तुम्हें आवाज देना
आकाशगंगा के सबसे खूबसूरत सितारे का अक्स अपनी आंखों में देखना

चाहती हूँ
सागर की लहरों पर गुलाब की अनगिनत पंखुरियाँ बिखेर देना
रोशनदान से आती चांदनी की डोर से झूला बांधना
मखमली डूब पर पडी ओस की बूँद को हवा में घुलते देखना

चाहती हूँ
प्यार की एक हद बनाना

और चाहती हूँ
तुम्हें उस हद से ज्यादा चाहना

dated: 11th march 03

1 comment:

  1. इतना भी चाहना ठीक नही कि दूसरे को अपनी जगह न मिल पाये। यह लोगों को आपसे दूर कर देता है।

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